गोपाल देवकर । बुरहानपुर. शहर में कॉलोनाइजर की धोखाधड़ी (Burhanpur Plot fruad) के मामले आम होते जा रहे हैं। ताजा मामला शहर से सटे ग्रामीण इलाके बाडा जैनाबाद का है। यहां सरकारी कर्मचारी, राजनेताओं और टेक्सटाईल कारोबारियों ने अपना घर बनाने के लिए प्लॉट खरीदे थे। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई, लेकिन इस जमीन के पास से बायपास गुजर गया है। इससे जमीन की कीमत करोड़ों में हो गई। आरोप है कि जमीन की कीमत बढ़ने के कारण कॉलोनाइजर अब प्लॉट देने से मुकर रहा है। पीड़ित नागरिकों ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की है।
सारी सरकारी प्रोसेस भी पूरी हो चुकी: जैनाबाद (Jainabad, burhanpur plot controversy) में 20 साल पहले सरकारी कर्मचारी, राजनेताओं, कारोबारियों ने जमीन खरीदी थी। इसके बाद सारी सरकारी प्रोसेस भी हो गई। लेकिन ऐन वक्त पर इस जमीन के पास से बायपास निकलने के कारण इसकी मार्केट वैल्यू करोड़ों में पहुंच गई। कॉलोनाइजर (colonizer fruad) ने कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तन भी करा लिया है। वहां बेसिक सुविधाएं विकसित नहीं थी। इसलिए उस समय खरीददारों ने जमीन पर कब्जा नहीं लिया था।
कॉलोनाइजर करने लगा खेती: आरोप है कि इसका फायदा उठाकर कॉलोनाइजर ने दोबारा खेती शुरू कर दी। इसकी शिकायत पीडितों ने कलेक्टर प्रवीण सिंह से की है। कलेक्टर ने ADM की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर 15 दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन देने का कहा है, जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ितों ने सुनाई अपनी व्यथा: पीड़ितों ने बताया कि हम सभी लोगों ने सुरेंद्र चौहान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। खसरा नंबर 94/1 और 94/2 है, इस पर सभी लोगों के प्लॉट है, इसकी रजिस्ट्री भी हो चुकी है। लेकिन वर्तमान में ये खेती कर रहा है। जमीन का डायवर्जन और रजिस्ट्री (Land registry Process) होने के बाद भी ये कब्जा नहीं दे रहा है। जबकि हमने इस जमीन को आवासीय मद में खरीदा था। अब बोल रहा है कि इसके पीछे जमीन दे दूंगा। 20 पहले हमने अपनी गाढ़ी कमाई से इस जमीन को खरीदी था, अब जमीन करोड़ों की हो गई तो इसकी नीयत बिगड़ गई।
कॉलोनाइजर के अपने तर्क: इधर, कॉलोनी विकसित करने वाले डॉ सुरेंद्र सिंह चौहान (Surendra singh chouhan) ने आरोपों को निराधार बताकर कहा कि जो जमीन बेची है, उसी पर कब्जा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस समय जमीन दी गई थी। उस समय के रजिस्ट्रर में साफ लिखा है कि रोड़ के किनारे की जमीन नहीं देंगे। तभी शर्त तय हुई थी कि विकास कार्य के बाद ही रजिस्ट्री की जाएगी। इन्होंने दवाब डालकर रजिस्ट्रियां करा ली, जो कि शर्तों के आधार पर गलत है। ये विकास कार्य के पहले की कब्जा लेने की कोशिश कर रहे हैं।
SDM ने खारिज कर दी शिकायत: SDM काशीराम बड़ोले ने बताया कि शिकायत की गई थी स्कूल के सामने हमने प्लॉट लिया है। लेकिन प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है। चूंकि वो पुराना मामला है, लगभग 20-25 साल पहले प्लॉट लिए थे। प्लॉट से समझ नहीं आ रहा है कि इन्होंने प्लॉट पीछे लिए हैं कि आगे लिए हैं। इससे ये मामला विवादित हो गया है। मेरे पास केस आया था, मैने प्रकरण निरस्त कर दिया है। अब उन्होंने कलेक्टर के यहां आवेदन दिया है।