Jabalpur. जबलपुर नगर निगम चुनाव में नन ऑफ द अबव यानि ‘नोटा’ का फैक्टर भी काफी चर्चा में हैं। यहां 5 वार्डों में बहुत मामूली अंतर से जीत-हार हुई है और खास बात यह है कि इन पांचों वार्डों में हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा में पड़े हैं। मतलब साफ है कि यदि नोटा में वोट डालने वाले मतदाता यदि किसी भी प्रत्याशी को वोट देते तो चुनाव परिणाम कुछ और हो सकता था।
महापौर चुनाव में भी इतने वोट नोटा को
नगर सरकार के लिए हुए चुनाव में महापौर के पद के लिए 12 वां नंबर नोटा का था। मेयर के पद के लिए पड़े कुल 5 लाख 79 हजार 1 सौ 43 मतों में से 69 वोट खारिज हो गए थे। वहीं 6 हजार 3 सौ 37 वोटर्स ने मेयर प्रत्याशी के तौर पर नोटा के विकल्प की बटन को दबाया। शायद इन्हीं 6337 मतदाताओं ने पार्षद पद के प्रत्याशियों को नकार दिया है। हम इस नतीजे पर इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि महापौर और पार्षद प्रत्याशियों दोनों के हिस्से में कुल 6337 वोट नोटा के खाते में गए।
5 वार्डों में निर्णायक रहे नोटा के वोट
नगर निगम चुनाव में 5 वार्ड ऐसे रहे जहां जीत हार का अंतर तो बेहद कम रहा ही। खास बात यह रही कि यहां जीत हार का अंतर नोटा में पड़े वोट से भी कम रहा। नोटा के वोट जिस किसी भी प्रत्याशी के खाते में जाते वह पार्षद बन जाता और बाजी पलट सकती थी।