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ओपी नेमा, जबलपुर. लेमा गार्डन (Lema Garden) में बने पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के मकानों पर बेजा कब्जे हटाने 20 मार्च की सुबह भारी फोर्स के साथ पहुंचे प्रशासन ने मकान खाली कराने के पहले हाईकोर्ट (High Court) के आदेश (Order) की मुनादी की। मकानों पर अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई शुरू होते ही एक युवक मासूम बच्चे को लेकर बालकनी से कूदने खड़ा हो गया। उसे बड़ी मुश्किल से नीचे उतारा गया। प्रशासनिक टीम (Administrative Team) ने यहां पहले ही एनाउंस किया कि यह कार्रवाई हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश पर की जा रही है। इसलिए इसका विरोध करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उधर ,सुबह-सुबह कार्रवाई की सूचना मिलते ही क्षेत्रीय नेताओं सहित नगर-निगम (Municipal Corporation) के कुछ कर्मचारी नेताओं ने भी यहां पहुंच कर विरोध करना शुरू कर दिया जिसके चलते हंगामे की स्थिति बन गई। प्रशासन को एनाउंस करना पड़ गया कि जो कर्मचारी काम नहीं करना चाहते वे यहां से अलग हो जाएं, लेकिन कार्रवाई जारी रहेगी।
पुलिस-प्रशासन से झड़प, मिला दोहपर तक का समय: बेदखली का विरोध कर रहे पीएम आवास में रहने वालों ने आक्रोश में आ कर पुलिस-प्रशासन से झड़प करना शुरू कर दी। इसके चलते प्रशासन को सख्ती करना पड़ी और पुलिस बल ने लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया। इस कारण शहर से भी लोग पहुंच गए और प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ लामबंद होने लगे। उधर, प्रशासन की दो टूक चेतावनी यह रही कि कार्रवाई का विरोध करने वालों पर कानूनी कार्रवाई कर दी जाएगी। बताया जाता है कि लोगों को मकान खाली करने दोपहर तक का समय दिया गया। एसडीएम अधारताल नम: शिवाय अरजरिया, सीएसपी अखिलेश गौर, तहसीलदार राजेश सिंह, थाना प्रभारी अरविंद चौबे आदि के साथ रहवासियों की बार-बार झड़प की नौबत आई।
सामान समेट कर ट्रक में रखवा दिया: इस कार्रवाई से लेमा गार्डन में हड़कम्प की स्थिति बनी रही। उल्लेखनीय है कि लेमा गार्डन के सभी 434 मकानों में रहने वालों की प्रशासन ने दो दिन पहले ही जांच की है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा कलेक्टर को जारी शोकॉज नोटिस के बाद से ही पीएम आवास का मामला हाईलाइट हो गया है। इसमें जिम्मेदार कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे थे।