BHOPAL. विदिशा में लटेरी के जंगल में वनकर्मियों की फायरिंग में हुई आदिवासी की मौत के मामले में मध्यप्रदेश में जमकर राजनीति हो रही है। आदिवासी एक आदतन अपराधी था जो 9 अगस्त को वनकर्मियों की फायरिंग में मारा गया था। बीजेपी सरकार ने आनन-फानन में मृतक के परिजन को 20 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया तो वहीं कांग्रेस ने आदिवासी को बलिदानी का दर्जा देने तक की मांग कर दी।
सरकार ने डिप्टी रेंजर को बना दिया आरोपी
सरकार ने डिप्टी रेंजर निर्मल अहिरवार को आदतन अपराधी की मौत का आरोपी बना दिया और गिरफ्तारी के साथ उन पर केस भी दर्ज हो गया। मध्यप्रदेश के वन कर्मचारी संघ सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि बीजेपी और कांग्रेस एक आदतन अपराधी को हीरो साबित करने में क्यों जुटी हुई हैं।
पूरे मामले की जांच के बाद होगा फैसला-वन मंत्री विजय शाह
वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच हो रही है। चैन सिंह भील आदतन अपराधी था या नहीं इसकी जांच पुलिस कर रही है। जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे उनको देखते हुए फैसला लिया जाएगा। वनकर्मियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
द सूत्र के पास सारे दस्तावेज
चैन सिंह भील आदतन अपराधी था या नहीं, वन मंत्री विजय शाह अपने मुंह से कहना नहीं चाह रहे लेकिन द सूत्र के पास सारे दस्तावेज हैं जिसमें चैन सिंह लकड़ी चोरी के मामलों में शामिल था। घटना के दिन लकड़ी तस्करों ने वनकर्मियों पर पत्थरबाजी की थी जिसके जवाब में आत्मरक्षा के लिए वनकर्मियों ने गोली चलाई थी।
सरकार चोरों का साथ दे रही है-डिप्टी रेंजर की पत्नी
डिप्टी रेंजर निर्मल अहिरवार की पत्नी सुशीला अहिरवार का कहना है कि उनके पति को जेल में डाल दिया गया है। सरकार चोरों का साथ दे रही है। जो चोर हैं उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है और जो ईमानदारी से काम कर रहे हैं उन्हें गिरफ्तार किया गया है। सुशीला चाहती हैं कि उनके पति को बरी किया जाए और चोरों को सजा दी जाए। डिप्टी रेंजर के बेटे ने भी पिता पर लगे सभी आरोपों को झूठा बताया है।
बीजेपी सरकार में आदिवासियों का दमन हो रहा है-कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि बीजेपी की सरकार में आदिवासियों का दमन हो रहा है। लटेरी की घटना में आदिवासियों पर गोलियां चलाईं जिसमें एक आदिवासी की मौत हुई और कई घायल हुए। कांग्रेस ने इस मामले को उठाया। सरकार ने हत्या का मामला दर्ज करने की बात कही। मृतक के परिजन को मुआवजा दिया और घायलों को मुआवजा दिया। बीजेपी कभी आदिवासी को माफिया बता रहे हैं तो कभी तस्कर बता रहे हैं। पूरे मामले की जांच के बाद सच्चाई सामने आनी चाहिए। बीजेपी पहले आदिवासियों के हित की बात करती है और अब यू-टर्न ले रही है। आदिवासियों के प्रति बीजेपी की भावना शुरू से अच्छी नहीं रही है।
'हर घटना को जातिगत व्यवस्था ने ना जोड़ें, BJP हर वर्ग की चिंता करती है'
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी का कहना है कि हर घटना को जातिगत व्यवस्था से नहीं जोड़ना चाहिए। जब ये घटना हुई थी तो सरकार ने तुरंत जांच कराई थी। अब लगभग सब साफ हो गया है जो लोग इस मामले को राजनीति का रंग दे रहे थे उन्हें जवाब मिला है। हम लोग हर वर्ग की चिंता करने वाले लोग हैं। सबका साथ, सबका विकास के आधार पर राजनीति करते हैं। किसी व्यक्ति और जाति पर टारगेट करके कोई घटना हो ऐसा हो ही नहीं सकता।
'वनकर्मियों के पास अधिकार नहीं'
रिटायर्ड वन अधिकारी घनश्याम सक्सेना का कहना है कि वनकर्मियों के पास अधिकार नहीं हैं। इसलिए वनों की रक्षा नहीं हो पाती। वनकर्मी का काम कठिन होता है। पुलिस को जो अधिकार हैं वो वनकर्मियों को नहीं हैं। पुलिस को फोर्स घोषित किया गया है लेकिन वनकर्मियों को फोर्स घोषित नहीं किया गया है। लटेरी के मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपराधी हैं। जंगलों में चोरी राजनीतिक संरक्षण के बिना नहीं हो सकती। वनकर्मियों को फोर्स घोषित किए बिना जंगल की चोरी नहीं रुक सकती।