ग्वालियर. मध्यप्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर जातीय संघर्ष की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है। इस संघर्ष की कहानी फिल्मी है। इस कहानी में दोनों राज्यों के चार विधायकों के साथ एक डकैत भी है। वहीं, माफिया और दो जातियों के प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं। कहानी मिर्जापुर वेब सीरीज जैसी ही है। लेकिन यह मामला बेहद गंभीर है। इस कहानी का पहला किरदार जगन गुर्जर (Jagan Gurjar) का है, जो पूर्व डकैत है। इस पर राजस्थान पुलिस ने 15 हजार का इनाम घोषित किया है। कहानी का दूसरा अहम किरदार है राजस्थान की बाड़ी सीट से कांग्रेस (Congress) विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा (Girraj Singh Malinga) हैं।
इन दो किरदारों के बीच शुरू हुई इस लड़ाई की आंच मध्य प्रदेश तक जा पहुंची है। एमपी के तीन विधायक ऐंदल सिंह कंसाना, अजब सिंह कुशवाह और रवींद्र तोमर की एंट्री हो गई है। एंट्री ऐसी हुई है कि अब ये लड़ाई बीजेपी बनाम कांग्रेस के साथ साथ राजपूत बनाम गुर्जर की लड़ाई होती जा रही है। मसला पिछले एक हफ्ते से गरमाया हुआ है।
ये मसला है क्या : दरअसल डकैत जगन गुर्जर और कांग्रेस एमएलए के बीच ये लड़ाई बाड़ी के बाजार में लूटपाट की घटना से शुरू हुई। इसके बाद ये लड़ाई सोशल मीडिया पर आ गई और अब ये मामला जातीय संघर्ष में तब्दील होता नजर आ रहा है। राजस्थान की मीडिया रिपोर्ट्स कहती है कि कुछ दिनों पहले बदमाश जगन ने बाड़ी के बाजार में आकर कुछ दुकानों पर लूटपाट की थी। इस पर विधायक ने पुलिस को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके बाद जगन गुर्जर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में जगन ने जो कहा वो हम आपको बता नहीं सकते, क्योंकि इसमें गालियों और अपशब्दों का जमकर इस्तेमाल किया गया है।
बाड़ी विधायक पर लगाया गंभीर आरोप : इस वीडियो में जगन गुर्जर ने एमएलए गिर्राज सिंह मलिंगा को इतनी भद्दी गालियां दीं कि मलिंगा तिलमिला गए और जगन गुर्जर के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई के बाद जगन गुर्जर और भड़क गया। उसने एक और वीडियो जारी किया जिसमें आरोप लगाया कि बाड़ी विधायक ने इसी विधानसभा सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक जसवंत गुर्जर की हत्या करने के लिए कहा था और जब उसने इनकार किया तो उसके खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई। इसके साथ ही जगन ने विधायक गिर्राज सिंह को खुली धमकी देते हुए बाहुबल से लड़ने के लिए कहा।
सियासत गरमाई : जगन गुर्जर के इस वीडियो के वायरल होने के बाद विधायक मलिंगा ने भी जवाब दिया और जगन गुर्जर को खुला चैलेंज देते हुए कहा मैं इतना कमजोर व्यक्ति नहीं हूं कि तेरे जैसे टुटपूंजिया से डरता हूं। सामने क्यों नहीं आता। इस तनातनी के बाद राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासत तो गरमाई ही, मामला राजपूत बनाम गुर्जर भी हो चुका है। पिछले दिनों राजपूत समाज ने 'मैं भी मलिंगा' कैंपेन शुरू किया, जिसमें जगन गुर्जर की गिरफ्तारी की मांग की गई। राजस्थान पुलिस ने भी जगन गुर्जर की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है।
अब सवाल ये है कि राजस्थान में शुरू हुई ये लड़ाई एमपी तक कैसे जा पहुंची है और आखिरकार इस लड़ाई का एमपी पर खासतौर पर ग्वालियर चंबल के इलाके पर क्या असर होगा। राजपूत और गुर्जर समाज के बीच शुरू हुई इस जातीय लड़ाई में एमपी के नेताओं ने अपना हित साधना शुरू कर दिया है।
जगन गुर्जर के एमपी में होने की शंका : ग्वालियर चंबल के मुरैना (Morena) जिले से महज 20 किमी दूर पर राजस्थान का धौलपुर (Dholpur) है। राजस्थान का पूरा असर मुरैना पर दिखाई देता है। सीमावर्ती जिला होने से सियासत भी असर डालती है और अपराधियों के लिए बॉर्डर पार करना मुफीद होता है। कहा जा रहा है कि रासुका की कार्रवाई के बाद जगन गुर्जर एमपी आ चुका है और यहीं से बैठकर सोशल मीडिया के जरिए धमकी भरे वीडियो जारी कर रहा है। जगन गुर्जर गुर्जर समुदाय से है और मुरैना जिला गुर्जर बाहुल्य इलाका है, इसलिए कहा ये भी जा रहा है कि उसे यहां आसानी से पनाह मिली हुई है। ये भी कहा जा रहा है कि गुर्जर समुदाय से आने वाले पूर्व विधायक ऐंदल सिंह कंसाना (Aindal Singh Kansana), जगन के संपर्क में है। लेकिन ऐंदल सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। पूर्व विधायक कंसाना का कहना है कि मैंने आज तक उसे देखा ही नहीं है। हां, नाम जरूर सुना है। मैं इस तरह की छोटी राजनीति नहीं करता। हमारी विधायक मलिंगा से राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता है, लेकिन मैं ऐसी ओछी हरकत नहीं करता।
एमपी में इसका असर क्या होगा : दरअसल राजस्थान में राजपूत (Rajput) गुर्जर (Gurjar) समुदाय के खिलाफ हुए तो इधर एमपी के गुर्जरों ने राजपूत समाज के खिलाफ मोर्चा खोला। ये इलाका जातीय समीकरणों में उलझा हुआ है। इसलिए जब राजपूतों ने राजस्थान में प्रदर्शन किया तो एमपी के दो विधायक सुमावली सीट से अजब सिंह कुशवाह और दिमनी से विधायक रवींद्र सिंह तोमर राजस्थान पहुंचे और गिर्राज मलिंगा को सपोर्ट किया। मध्यप्रदेश की सुमावली विधानसभा से विधायक अजब सिंह कुशवाह ने कहा अगर डकैत जगन ने नजर उठाई तो ईंट से ईंट बजाने के लिए जनता तैयार है। यदि वह एक आंख दिखाएगा, तो उसकी दोनों आंखें निकाल लूंगा। वहीं, दिमनी से विधायक रवींद्र सिंह तोमर का कहना है कि गुर्जर समाज के लिए तो वैसे भी बड़े-बूढ़ों ने कहा है कि इनकी बंदर धमकी है। यदि इनकी धमकी में कोई पड़ गया तो ये लोग पीछे पड़ जाएंगे। यदि सामने खड़े हो जाओ तो इनका पता भी नहीं चलता।
चंबल में गुर्जर बनाम ठाकुर का संघर्ष : दोनों कांग्रेस के विधायक है और ऐंदल सिंह कंसाना कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए है। लिहाजा ये लड़ाई इस वजह से और गरमा गई है। रवींद्र सिंह तोमर तो राजपूत समाज से आते हैं इसलिए राजपूतों का साथ देने और अपने विधानसभा सीट के समीकरणों को देखते हुए इस लड़ाई में शामिल हो गए। दूसरी तरफ अजब सिंह कुशवाह ने 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान ऐंदल सिंह कंसाना को मात दी। ऐसे में गुर्जर समुदाय को एकजुट होता देखकर अजब सिंह कुशवाह राजपूतों के साथ हो लिए है और सुमावली के जातीय समीकरणों को साधने में जुटे है। ऐसे में ये मामला जल्द नहीं सुलझा तो आने वाले दिनों में ग्वालियर चंबल में गुर्जर बनाम ठाकुर का संघर्ष नजर आ सकता है। नेता इसे भुनाने में पीछे नहीं रहेंगे, क्योंकि चंबल की राजनीति का आधार ही जातीय समीकरण माना जाता है।