जबलपुर. मध्यप्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून एमपी हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है। अदालत में 8 सितंबर को याचिका की सुनवाई हो सकती है। याचिका में बताया गया है कि मध्यप्रदेश में लागू जनसंख्या कानून (population) में सुधार की गुंजाइश है। इसलिए इस नीति की समीक्षा की मांग की गई है। यह याचिका 28 जुलाई को नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट (mp highcourt) में दायर की थी।
कानून पर बीजेपी कांग्रेस आमने-सामने
जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस विधायक (congress) और प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री तरुण भनोट ने कहा कि हमारी सरकार तो इस मामले में नीति लेकर आई। लेकिन जब 2003 से प्रदेश में 15 साल तक भाजपा का शासन रहा तब जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। हालांकि उन्होंने इस बयान को व्यक्तिगत राय बताया है। भनोट के बयान पर बीजेपी विधायक इंदु तिवारी (indu tiwari) ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस क्या करना चाहती है, उसे वह खुद ही नहीं पता। अगर वो हकीकत में इसके समर्थन में है तो इसका विरोध क्यों करते हैं।
दिग्विजय सरकार ने बनाया था नियम बनाया
2000 में तात्कालिक दिग्विजय (digvijay govt population law) सरकार ने 2000 में जनसंख्या कानून बनाया गया था। इस कानून में सरकार ने सरकारी सेवाओं और पंचायती राज चुनावों में दो बच्चों का नियम बनाया था।