ऑथर:रूचि वर्मा
छतरपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार यानी 22 जनवरी को गर्भवती महिलाओं के पहली तिमाही में ही त्वरित रजिस्ट्रेशन के लिए छतरपुर जिले की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि छतरपुर जिले में गर्भवती महिलाओं का पहली तिमाही में रजिस्ट्रेशन 4 साल में 37% से बढ़कर 97% हो गया। लेकिन सच्चाई इन झूठे आंकड़ों से इतर है। दरअसल, 4 साल पहले छतरपुर जिले में गर्भवती महिलाओं के पहले तिमाही में रजिस्ट्रेशन लगभग 61% (61.07) होते थे, जो अब बढ़कर 76% (76.15) के आसपास पहुंच गए हैं। यानी ये आंकड़े 97% पहुंच जाने की बात गलत है। नीति आयोग के आकांक्षी जिलों के संदर्भ में वेबसाइट पर दिए आंकड़े द सूत्र के इस तथ्य का समर्थन करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि नीति आयोग के अफसरों ने दूसरे इंडिकेटर्स (पैमाने) के आंकड़े इधर-उधर फिट कर दिए, जिससे ये गलतफहमी हुई है। क्योंकि 4 साल पहले 37% और वर्तमान में 97% आंकड़े होने का उल्लेख तो एक भी इंडिकेटर में नहीं है। यही नहीं, इस समय छतरपुर जिले में 67 एएनएम के पद खाली पड़े हैं, तो गर्भवती महिलाओं का प्रथम तिमाही रजिस्ट्रेशन 97% होना असंभव सा है। NHM मध्य प्रदेश की मैटनरल हेल्थ डिपार्टमेंट की डिप्टी डायरेक्टर अर्चना मिश्रा ने भी द सूत्र के साथ अपनी बातचीत में माना की असली आंकड़ा 76% है न की 97%। बहरहाल प्रधानमंत्री द्वारा छतरपुर के उत्साहवर्धन के लिए उनकी सराहना की जाना चाहिए, लेकिन PMO द्वारा सही फिगर्स का उपयोग हो, यह नीति आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए था।
पूर्व कलेक्टर लेने लगे वाहवाही: मजे की बात यह है छतरपुर के एक पूर्व कलेक्टर ने प्रधानमंत्री द्वारा छतरपुर जिले की सराहना को अपनी उपलब्धि दर्शाते हुए एक एजेंडे के तहत स्वयं की सराहना करवाना शुरू कर दिया। जबकि सच यह है कि वास्तविक आंकड़े 97% न होकर 76% है। यानी 4 सालों में गर्भवती महिलाओं के प्रथम तिमाही में रजिस्ट्रेशन में 16% (15.08) के आसपास की ही ग्रोथ हुई है। छतरपुर से हटाए गए कलेक्टर ने भोपाल से एक पोस्ट डलवाई कि विधायक के कहने पर जिस कलेक्टर को मुख्यमंत्री शिवराज ने हटाया, उसी कलेक्टर की प्रधानमंत्री ने सराहना की है। जबकि पिछले 4 सालों में छतरपुर में 3 कलेक्टर रमेश भंडारी, मोहित बुंदस और शीलेन्द्र सिंह कार्यरत रहे हैं। इस वजह से श्रेय भी सभी को मिलना चाहिए था। हालांकि असली श्रेय तो उन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, एएनएम और उन जमीनी कर्मचारियों को मिलना चाहिए, जिन्होंने वास्तव में योजना को जमीनी स्तर पर अंजाम दिया। लेकिन सारा श्रेय एक ही कलेक्टर लेने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि उन्हें दूसरे जिले की कलेक्ट्री मिल सके। कलेक्टर को जिन कारणों से हटाया गया, वह सर्वविदित है। ऐसे में मुख्यमंत्री को टारगेट करना अनुचित है। खुद गलती करो, और योजनाबद्ध तरीके से मुख्यमंत्री के खिलाफ पोस्ट डलवाना अनुशासनहीनता है। इसकी विस्तृत जांच हो जाए, तो सच सामने आ जाएगा।
आंकड़े कई बार बदलते रहते हैं: पूरे मामले में छतरपुर जिले के कलेक्टर संदीप जी आर भी किसी तरह का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। आंकड़ों के हेरफेर के बारे मैं उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस तरह के आंकड़े कई बार बदलते रहते हैं, एक समान नहीं रहते हैं। क्योंकि ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। अलग-अलग स्तर पर आंकड़े अलग हो जाते हैं।
97% का आंकड़ा गलत है, कुछ गड़बड़ी हुई है: जब मध्य प्रदेश नेशनल हेल्थ मिशन में मैटरनल हेल्थ की डिप्टी डायरेक्टर अर्चना मिश्रा से इस पूरे मामले में बात की गई तो उन्होंने छतरपुर के CMHO डॉक्टर विजय पथेरिया से संपर्क करके जो जानकारी ली उसमें यह साफ हो गया कि जिले में गर्भवती महिलाओं का पहली तिमाही में रजिस्ट्रेशन 4 साल में 37% से बढ़कर 97% नहीं, बल्कि 61% से बढ़कर 76% हुआ है। इससे साफ चलता है कि रजिस्ट्रेशन में करीब 16 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है।
97% वाला डाटा शायद किसी एक ब्लॉक का है: इस पूरे मामले में छतरपुर CMHO डॉक्टर विजय पथेरिया से बात की। उन्होंने बताया कि 97 प्रतिशत का जो आंकड़ा है। वह पूरे जिले का नहीं है, शायद वह आंकड़ा एक ब्लॉक का है। उन्होंने ये भी कहा कि सभी जगह से डाटा मंगवाया गया है और उसके आने के बाद ही वे कुछ बोलने की स्थिति में होंगे। हालांकि, बड़ा सवाल यह है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में पूरे छतरपुर जिले का ही जिक्र कर दिया था।
किस मामले में है छतरपुर में 97% प्रगति: प्रधानमंत्री ने भाषण में जो विषय उठाया, उसमें प्रोग्रेस 61% से बढ़कर 76% हुई है। यह 97% नहीं है। ऐसा लगता है कि नीति आयोग के कंसल्टेंट अथवा अफसरों ने प्रधानमंत्री के भाषण के लिए छतरपुर के संदर्भ में दूसरे इंडिकेटर के आंकड़े गर्भवती महिलाओं के प्रथम तिमाही के रजिस्ट्रेशन में फिट कर दिए हैं। दरअसल 4 साल पहले गर्भवती महिलाओं की प्रथम तिमाही में 4 बार हीमोग्लोबिन की जांच 66% होती थी, जो अब बढ़कर 97% हो गई है। आज की डेट में तो नीति आयोग की वेबसाइट पर यह प्रोग्रेस 100% है। यह फिगर इंडिकेटर 3.2 में दिए गए हैं। लेकिन हीमोग्लोबिन जांच का वर्ष 2018 में आंकड़ा 66% था। यह 37 प्रतिशत नहीं था। जो इंडिकेटर 4 साल पहले 37% के आसपास है, वह महिलाओं के घरों में सुरक्षित प्रसव का है। जिले में इंडिकेटर 5 स्किल्ड बर्थ अटेंडेंस (SBA) 4 साल पहले लगभग 36% था, जो अब बढ़कर 78% हो गया है। लेकिन ये भी 97% नहीं है। कुल मिलाकर 4 साल पहले 37% और वर्तमान में 97% की प्रोग्रेस किसी भी इंडिकेटर में नहीं है।
प्रधानमंत्री के भाषण में गलती न होती तो अच्छा होता: यहां गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री के भाषण में इतनी बड़ी गलती कैसे हुई? जाहिर है नीति आयोग के अफसरों ने जो जानकारी पीएमओ को दी, उसी हिसाब से यह बोला गया होगा। प्रधानमंत्री ने जिस 97% आंकड़ों का जिक्र किया है, उनमे दूसरे जिलों की प्रगति भी छतरपुर की टक्कर की है।
पहले भी उठ चुका है फर्जी जानकारी का मुद्दा: गौरतलब है कि पूर्व में दो दर्जन आकांक्षी जिलों द्वारा नीति आयोग को गलत जानकारी दी गई थी। इस मामले में जांच भी हो चुकी है। तब से नीति आयोग को भेजी जाने वाली जानकारी में सुधार हुआ। वरना पहले तो कलेक्टर अधीनस्थों पर दबाव बनाकर गलत जानकारी भिजवा रहे थे। इसकी भी बारीकी से पड़ताल हो जाए, तो सच्चाई सामने आ जाएगी।
बहरहाल प्रधानमंत्री की प्रशंसा से निसंदेह छतरपुर जिले के सरकारी अमले का हौंसला बढ़ेगा, और आकांक्षी जिलों में इस तरह के कॉम्पिटिशन होने से विकास होगा। आम आदमी का जीवन स्तर, सरकारी कामकाज में प्रगति होगी। इसलिए यह कवायद प्रधानमंत्री का उत्साहवर्धन प्रशंसा के काबिल है। हालांकि नीति आयोग की वेबसाइट पर आंकड़ों के प्रेजेंटेशन में जिस इंडिकेटर की प्रधानमंत्री बात कर रहे हैं। उसमें छतरपुर जिले की प्रगति 97 प्रतिशत न होकर 76 प्रतिशत ही है।