भोपाल. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश सरकार नया कानून (MP New Law) ला रही है। इस कानून के दायरे में प्रदर्शनकारी और आंदोलनकारी आएंगे। अगर प्रदर्शन, आंदोलन, पत्थरबाजी के दौरान किसी तरीके से सरकारी (Govt) या निजी संपत्ति (Private Property) को नुकसान पहुंचाया जाता है तो सरकार उन्हीं से इस नुकसान की वसूली (Damage Recovery) करेगी। इस एक्ट को लागू कराने के लिए ट्रिब्यूनल (Tribunal) का गठन होगा। ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट (Civil Court) की ताकत होगी। इसके फैसले को सिर्फ हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। मध्यप्रदेश सरकार इस कानून को लागू करने वाला तीसरा राज्य होगा। इस समय यह कानून हरियाणा और उत्तरप्रदेश में लागू है।
ट्रिब्यूनल घटनास्थल के हिसाब से होगा
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने 3 नवंबर को इस कानून की जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश सरकार 'निजी एवं लोक संपत्ति नुकसान निवारण एवं वसूली अधिनियम' लेकर आ रही है। इस कानून में जो लोग पत्थरबाजी करते हैं और शासकीय और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, उस नुकसान की वसूली के लिए एक क्लेम ट्रिब्यूनल बनाने का है। ये ट्रिब्यूनल घटना स्थल के हिसाब से भी बनेगा। जैसे यह घटना ग्वालियर (Gwalior), जबलपुर (Jabalpur) की है तो यह ट्रिब्यूनल वहां काम करेगा।
मध्यप्रदेश में अब पत्थरबाजी, धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों के दौरान निजी और शासकीय संपति को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रदेश सरकार इनसे निपटने के लिए निजी एवं लोक संपत्ति नुकसान निवारण एवं वसूली अधिनियम लेकर आ रही है।@mohdept @JansamparkMP pic.twitter.com/I2EOrJcfZo
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) November 3, 2021
सरकारी संपत्ति के नुकसान का जानकारी कलेक्टर देंगे
मिश्रा ने बताया कि इस ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड DG, IG, सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। सरकार संपत्ति के नुकसान की जानकारी कलेक्टर देंगे और निजी संपत्ति के नुकसान की जानकारी पीड़ित व्यक्ति देगा। भू-राजस्व संस्था में जैसे वसूली के अधिकार (Right of Recovery) है, वैसे ही अधिकार इसमें रहेंगे। उन्होंने बताया कि तीन महीने के अंदर प्रकरण का निराकरण होगा।
नुकसान की भरपाई ओसीओ (OSO) से कराकर पीड़ित व्यक्ति को दिलाने की जिम्मेदारी ट्रिब्यूनल की होगी। ट्रिब्युनल के फैसले को सिर्फ हाईकोर्ट (Highcourt) में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि दंगा (Riot), पत्थरबाजी (Stone Pelting) करके संपत्ति की नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
कैबिनेट के बाद विधानसभा में जाएगा प्रस्ताव
इस एक्ट को लेकर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा, जिसके बाद विधानसभा में लाकर इस कानून को अमली जामा पहनाया जा सकेगा। ये पहली बार नहीं है कि यूपी के किसी कानून को मध्य प्रदेश भी लागू करने पर विचार कर रहा हो। इससे पहले भी यूपी की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में माफियाओं की संपत्ति कुर्क की जा रही है और उसे जमींदोज भी किया जा रहा है। इसके अलावा लव जिहाद (Love Jihad) के खिलाफ धर्म स्वतंत्र विधेयक को भी उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश में लागू किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में दिए थे निर्देश
1 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने किसी फिल्म या सांस्कृतिक कार्यक्रम के विरोध में हिंसक भीड़ से सरकारी या निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान पर फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति या समूह के उकसाने, पहल या किसी अन्य कारणों की वजह से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के खिलाफ हिंसा हो और उस हिंसा की वजह से किसी की जान चली जाए या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संपत्तियों का नुकसान हो तो उन्हें हिंसा पीड़ित को मुआवजा देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक नैतिकता के 'ठेकेदार समूहों द्वारा की जाने वाली 'भीड़ हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार को जिला स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करने के लिए कहा है। जिससे कि बिना किसी देरी किए इस तरह की हिंसा पर काबू पाया जा सके।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सभी राज्यों को भीड़ हिंसा से निपटने के लिए विशेष हेल्पलाइन का गठन करने के लिए कहा है। साथ ही राज्य पुलिस को वेबसाइट पर साइबर इंफॉरमेंशन पोर्टल के जरिए भीड़ हिंसा और निजी व सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं का रिकार्ड रखने के लिए कहा है।