संजय गुप्ता, INDORE. खासगी ट्रस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मप्र शासन इसमें रिव्यू याचिका लगाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रशासन की ओर से विधिक सलाह देने के लिए शासकीय वकील को पत्र भी लिख दिया गया है। साथ ही शासन धर्मस्व और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव को भी मामले की जानकारी देते हुए इसमें आगे मार्गदर्शन देने के लिए पत्र लिखा गया है।
मप्र शासन ने रखे थे हाईकोर्ट के आदेश के बिंदु
कारण है कि मध्यप्रदेश शासन ने सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका में हाईकोर्ट के आदेश के तहत ही कई सारे बिंदु रखे थे। इसमें ईओडब्ल्यू जांच भी जरूरी बताई गई थी साथ ही शासन ने इन संपत्तियों को अपना बताते हुए तर्क रखे हैं। सुप्रीम कोर्ट से इन दोनों ही मामलों में मप्र शासन को कोई राहत नहीं मिली है। ईओडब्ल्यू जांच बंद की गई है और संपत्तियां भी ट्रस्ट की मानी गई हैं, राहत केवल इतनी मिली है कि ट्रस्ट को रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट के दायरे में लाकर रजिस्ट्रार द्वारा ही बिकी संपत्ति की जांच करने के लिए कहा गया है।
ट्रस्ट में तीन सरकारी प्रतिनिधि, इनसे कैसे होगी वसूली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रजिस्ट्रार ट्रस्ट बिकी हुई संपत्तियों की जांच करेगा और इसमें कुछ गलत पाने पर संबंधित से वसूली करेगा। इसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि पांच सदस्यीय ट्रस्ट में तीन तो सरकारी प्रतिनिधि होते हैं, इसमें केंद्र सरकार से नियुक्त व्यक्ति (जो बीजे हिरजी है रिटायर्ड आईएएस), पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर पदेन और पदेन संभागायुक्त इसमें सदस्य होते हैं। जब हरिद्वार की संपत्ति बिकी उस समय संभागायुक्त बीपी सिंह (वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयुक्त) थे। ऐसे में यदि रजिस्ट्रार यदि कोई अनियमितता पाता है तो क्या ऐसे में वसूली में इन्हें भी शामिल किया जाएगा? वहीं अभी ये भी स्पष्ट नहीं है कि बिकी संपत्तियों का क्या होगा, क्या उनकी रजिस्ट्री रद्द होकर इन्हें वापस ट्रस्ट के तहत लिया जाएगा या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।