Jabalpur. प्रदेश के सबसे पुराने नगर निगम जबलपुर में महापौर की ताजपोशी के बाद अब एमआईसी के गठन की सुगबुगाहट चल रही है। नियमों के मुताबिक पार्षदों के प्रथम सम्मिलन के 7 दिन के भीतर एमआईसी का गठन होना अनिवार्य है। आधा हफ्ता राखी और कजलियां के त्यौहार में बीत चुका है और 15 अगस्त की तैयारियां भी जोरों पर है। इसी बीच कांग्रेस पार्षद एमआईसी गठन को लेकर पशोपेश में हैं। 11 सदस्यीय मेयर इन काउंसिल में एससी,एसटी, ओबीसी, महिला जैसे आरक्षण का भी पूरा ध्यान रखना होता है, साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले इसका भी खयाल रखना पड़ेगा। जिसके चलते विधायक और खुद महापौर के लिए भी यह बहुत भारी काम हो गया है कि वे किसे एमआईसी में लें या किसे न लें।
वरिष्ठता और अनुभव रखता है मायने
वैसे तो एमआईसी के गठन में पार्षदों की वरिष्ठता और अनुभव मायने रखता है लेकिन इस बार कांग्रेस ने 18 साल बाद सत्ता का सूखा खत्म किया है। इसलिए कुछ नए पार्षद भी ताल ठोंकने में पीछे नहीं हैं। कुछ विधायकों की चरणवंदना के वरदहस्त पर दम भर रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया के जरिए बकायदा कैंपेन चला रहे हैं कि उनका एमआईसी में रहना कितना जरूरी है।
निर्दलीय भी हैं पूरे जोश में
वैसे तो नगर निगम सदन में कांग्रेस के 26 पार्षद हैं लेकिन यह संख्या बहुमत से बहुत कम है। ऐसे में हर प्रस्ताव पर कांग्रेस को निर्दलीय पार्षदों की ओर ताकना ही पड़ेगा। ऐसे में कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी जो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर सदन पहुंचे हैं। एमआईसी की सदस्यता पर दावा ठोंक रहे हैं। कांग्रेस सूत्र भी यही कह रहे हैं कि 6 निर्दलीय पार्षदों में से कम से कम एक को एमआईसी में जगह दी जा सकती है।
पूर्व और पश्चिम का चलेगा जोर
सूत्रों की मानें तो महापौर के चुनाव में जीत का मार्ग प्रशस्त करने वाले पूर्व विधानसभा क्षेत्र को एमआईसी गठन में भी प्राथमिकता मिलेगी। वहीं पूर्व वित्तमंत्री के क्षेत्र पश्चिम विधानसभा भी अपना जोर दिखाएगा ही क्योंकि यह महापौर का भी क्षेत्र है। माना जा रहा है कि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों से तीन-तीन एमआईसी सदस्य हो सकते हैं। वहीं उत्तर-मध्य विधानसभा में भले ही कांग्रेस के विधायक विनय सक्सेना मौजूद हों पर हो सकता है कि उनके क्षेत्र को 2 एमआईसी सदस्यों से संतुष्ट कराया जाए।