रत्नगर्भा धरती में चार लोगों की चमकी किस्मत, हीरा कार्यालय में जमा हुए चार हीरे

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The Sootr CG
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रत्नगर्भा धरती में चार लोगों की चमकी किस्मत, हीरा कार्यालय में जमा हुए चार हीरे

Panna. मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती इन दिनों आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोगों पर मेहरबान है। गुरुवार को चार लोगों की किस्मत चमक गई है और वे पलक झपकते लखपति बन गये हैं। हीरा धारकों ने प्राप्त हीरों को नियमानुसार कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में जमा कराया है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की उथली खदान क्षेत्रों में इन दिनों मेला जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। हजारों की संख्या में लोग अपना भाग्य आजमाने के लिए खदान का पट्टा बनवाकर हीरों की तलाश कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोग ही किस्मत वाले होते हैं जिन्हे हीरा मिलता है और वे पलक झपकते रंक से राजा बन जाते हैं। गुरुवार 22 सितम्बर को एक साथ चार लोगों की किस्मत चमकी है।





नीलामी में बिक्री के लिए रखे जाएंगे





हीरा कार्यालय पन्ना के हीरा पारखी अनुपम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आज चार अलग-अलग लोगों द्वारा हीरे जमा किए गए हैं। राजेंद्र गुप्ता को भरका खदान में 3.21 कैरेट का हीरा, पूरन अहिरवार को पटी खदान में 1.10 कैरेट का हीरा तथा ओम प्रकाश को पटी खदान में 3.96 का हीरा मिला है, जबकि नीरू पाल की किस्मत इतनी बुलंद थी कि उसे रास्ते में पड़ा हुआ 1.30 कैरेट का हीरा मिला गया, जिसे पाकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है। इन चारों हीरा धारकों ने हीरा कार्यालय में अपने-अपने हीरे जमा करवा दिए हैं। जो कि आगामी हीरा नीलामी में बिक्री के लिए रखे जाएंगे। पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि प्राप्त हुए हीरे उज्जवल किस्म के हैं, नीलामी में इनकी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है।





बहुत कम बची है हीरा धारित राजस्व भूमि





गौरतलब है कि वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से अधिकांश हीरा धारित क्षेत्र वन सीमा के भीतर आ जाने के कारण वहां पर वैधानिक रूप से हीरों का उत्खनन बन्द हो गया है। शासकीय राजस्व भूमि बहुत ही कम है जहां हीरों की उपलब्धता है। ऐसी स्थिति में निजी पट्टे की भूमि व वन क्षेत्र में ही अधिकांश खदानें संचालित हो रही हैं जिनमें ज्यादातर अवैध हैं। हीरा की उपलब्धता वाले प्रमुख क्षेत्रों में सकरिया, नरेन्द्रपुर, जनकपुर, खिन्नीघाट, पटी, राधापुर, महुआ टोला, पुखरी, हर्रा चौकी, इमला डाबर, रानीपुर, गोंदी करमटिया, विजयपुर, बाबूपुर, हजारा, मडफ़ा, मरका, रमखिरिया, सेहा सालिकपुर, सिरसा, द्वारी, थाड़ी पाथर, पतालिया, चांदा, जमुनहाई, डाबरी व गऊघाट आदि हैं। इन इलाकों में सदियों से हीरों का उत्खनन हो रहा है। वन क्षेत्र में अवैध रूप से चलने वाली खदानों में हीरा मिलने पर या तो उसे चोरी छिपे बेच दिया जाता है या फिर तुआदार राजस्व भूमि में वैध पट्टा बनवाकर उस हीरे को वैध खदान में मिला बताकर जमा कर दिया जाता है। ऐसा करने से हीरा धारक को पकड़े जाने के भय से जहां निजात मिल जाती है वहीं शासकीय नीलामी में हीरा की बिक्री होने पर उसे नंबर एक का पैसा मिल जाता है जिसका वह मनचाहा उपयोग कर सकता है।



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