GWALIOR.प्रदेश की 11 सेंट्रल जेलों में लंबे समय से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 500 कैदियों के लिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती की सुबह नई रोशनी की किरण लेकर आ सकती है ।जेल मुख्यालय भोपाल से मिले आदेश के बाद अब प्रदेश की सभी 11 सेंट्रल जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को रिहा किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पूर्व में जेल मुख्यालय स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कैदियों को रिहा करता था। अब राज्य सरकार की अनुशंसा पर कैदियों को रिहा किया जाएगा। लगभग 500 बंदियों को इस बार छोड़ा जा रहा है। सरकार पूर्व में 15 अगस्त, 26 जनवरी को कैदियों को छोड़ती थी। अब साल में 4 बार कैदियों को रिहा किया जाएगा। 2 अक्टूबर के अलावा अब 14 अप्रैल बाबा साहेब आंबेडकर जयंती पर भी कैदियों को आजाद किया जाएगा। ग्वालियर सेंट्रल जेल द्वारा भोपाल मुख्यालय को 95 कैदियों को रिहा करने का प्रस्ताव बनाकर भेजा है और जितने बंदियों की स्वीकृति मिलेगी उन्हें रिहा किया जाएगा।
यह हुआ बदलाव
ग्वालियर सेंट्रल जेल के अधीक्षक ने बताया कि इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में यह बताया गया कि कैसे आजीवन कारावास के बंदियों को यथा समय कम सजाओं में छोड़ने के साथ और अन्य सज़ाओं के साथ जोड़ दी जातीं दी जातीं थीं उनमें और सज़ाएं भुगतना पड़तीं थी ,इस प्रक्रिया में थोड़ी शिथिलता प्रदान करने के निर्देश प्राप्त हुए थे। इस पर राज्य सरकार ने अभी अपनी नयी नीति घोषित की है उसमें पहले वर्ष में हम लोग सिर्फ दो बार रिहाई करते थे पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी की। इस दो की संख्या को अब चार में बदल दिया गया है। अब दो अक्टूबर और चौदह अप्रैल इन दो जयंतियों पर भी आजीवन कारावास के मुल्जिम छोड़े जाएंगे। आजीवन कारावास के बंदियों को पहले 14 की सज़ा काटने के बाद छोड़ा जाता था उसमें भी अब बदलाव किया गया अब कह साल की माफ़ी शामिल कर बीस वर्ष माना जाएगा और उन्हें छोड़ने की प्रक्रिया की जायेगी। ग्वालियर सेन्ट्रल जेल से ऐसे 95 बंदों के प्रस्ताव मुख्यालय भेजे गए हैं जिन्हें दो अक्टूवर को रिहाई दी जा सकती है अगर शासन की मंजूरी मिल जाती है।
प्रदेश में 15 हजार आजीवन कारावास के बंदी हैं
आधिकारिक जानकारी के अनुसार प्रदेश की 11 सेंट्रल तथा 50 जिला जेलों में 48 हजार 679 कैदी सजा काट रहे हैं। इनमें 15 हजार से ज्यादा कैदी आजीवन कारावास वाले हैं। 20 हजार 479 दंडित बंदी हैं, जिनमें 1066 महिलाएं भी हैं। बताया जा रहा है कि 28150 विचाराधीन कैदी हैं।