Jabalpur. बोफोर्स तोप को उन्नत कर बनाई गई धनुष तोप सेना के हर मानक पर खरी उतरी है। अचूक मारक क्षमता और हाईरेंज के चलते इन तोपों को सेना सीधे बॉर्डर पर तैनात करने जा रही है। जिसके चलते जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री को बड़े लक्ष्य के साथ इस गन का ऑर्डर मिला है। जानकारी के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में जीसीएफ 30 धनुष तोपों को तैयार कर सेना के सुपुर्द करेगी। उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए व्यापक पैमाने पर कच्चे माल के ऑर्डर फैक्ट्री की तरफ से दिए जा रहे हैं।
युद्ध क्षेत्र में कई खूबियों वाली इस तोप का उत्पादन गन कैरिज फैक्ट्री में एक दशक से चल रहा है। मार्च में सेना ने राजस्थान के पोकरण रेंज में सबसे कठिन डबल सेकंड लाइन फायरिंग में इसे परखा था। उसमें सफलता मिलने के बाद इसकी सीधे बॉर्डर पर तैनाती का रास्ता भी साफ हो गया था। उसी समय बड़ा लक्ष्य इस तोप के उत्पादन के लिए तय किया गया था। उसी के अनुरूप अब इन तोपों का उत्पादन किया जा रहा है। 40 किलोमीटर की दूरी तक गोला दागने वाली 155 एमएम 45 कैलीबर वाली धनुष तोप का उत्पादन जीसीएफ के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी शारंग और लाइट फील्ड गन का काम उतना ज्यादा नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पिछले साल भी एलएफजी का ऑर्डर फैक्ट्री को नहीं मिला है। जबकि पहले यह फैक्ट्री का मुख्य उत्पाद था। निगमीकरण के बाद भी बड़े प्रोजेक्ट पर निर्माणियां विशेष ध्यान दे रही है।
लद्दाख में भी होगी टेस्टिंग
धनुष तोप को गर्मी के सीजन में क्षमताओं को परखने पोकरण में रखा गया था। अब करीब आधा दर्जन तोपों का परीक्षण लद्दाख की कड़कड़ाती ठंड में भी फायरिंग रेंज में इसकी परख होगी। 4 साल पहले भी लद्दाख में इसका परीक्षण किया गया था, माना जा रहा है कि लद्दाख में भी इसकी तैनाती हो सकती है।
अब तक 24 तोप तैयार
गन कैरिज फैक्ट्री में लगातार इस तोप का उत्पादन हो रहा है। अभी तक 24 से अधिक तोप तैयार हो चुकी हैं। इनमें 18 तोप की सप्लाई सेना को की जा चुकी है। कुछ तोप तो फायरिंग के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया है, उनकी वापसी पर इनकी सप्लाई सेना को की जाएगी।