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Indore.स्वास्थ विभाग और उससे जुड़े लोगों का स्वास्थ सुधारने में सरकारी अमला कितना मुस्तैद है इसका उदाहरण 175.63 करोड़ रुपए की वो पुनुरुत्थान योजना है जिसकी सैद्धांतिक मंजूरी कागज पर आए करीब ढाई साल हो गए लेकिन इसके बाद कोई अपनी जगह से नहीं हिला। न कागज, न अमला। नतीजा पूरे प्रोजेक्ट में यथास्थिति है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के पीजी अपग्रेडेशन कामों के लिए नवंबर 2019 में 175.63 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मंजूरी पीडब्ल्यूडी की परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) को मिली थी। दिल्ली की कंसलटेंसी फर्म ने प्रोजेक्ट भी बनाकर भेज दिया था। लग रहा था कि इसके बाद हॉस्पिटल भवन, बॉयज और और लड़कियों के हॉस्टल सहित कई प्रतीक्षारत कामों की प्रतीक्षा खत्म हो जाएगी, लेकिन सरकार और सरकारी अमले की लेटलतीफी ने इस इंतजार को और बढ़ा दिया। वैसे यह जरूर है कि कुछ इंतजार कोविड ने बढ़ा दिया लेकिन कोविड के पहले और कोविड के बाद भी कागज जहां के तहां हैं। पााई
थोड़ा केंद्र, थोड़ा राज्य का हिस्सा
कुल 175.63 करोड़ के प्रोजेक्ट में 122. 50 करोड़ रुपए निर्माण कार्य के लिए और 53.13 करोड़ रुपए उपकरणों की स्थापना के लिए मंजूर हुए थे। इसका करीब 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार से मिलना है और 40 प्रतिशत राज्य सरकार से। केंद्र तभी राशि देना शुरू करता है, जब राज्य की तरफ से मंजूरी मिल जाती है। नाम न छापने के आग्रह पर एक अफसर ने कहा-अभी सारा मामला राज्य सरकार के पाले में अटका है। मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
यहा काम होना हैं
-दो सौ बिस्तरों का हॉस्पिटल जिसमें छह ऑपरेशन थियेटर और आठ लिफ्ट लगना है। यह भवन भूतल सहित कुल चार मंजिला बनना है।
-134 छात्रों के लिए होस्टल। यह भवन भूतल सहित चार मंजिला होगा जिसमें दो लिफ्ट होंगी।
-134 छात्राओं की क्षमता वाला पंच मंजिला एक अन्य होस्टल, जिसमें दो लिफ्ट होगी।
-पैथॉलॉजी और बॉयोकेमेस्ट्री विभाग का भवन (लैबोरेटरी) , रिसर्च रूम, ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण।
-भूतल सहित कुल पांच मंजिला भवन जिसमें लैब, डेमो रूम, सेमीनार हॉल आदि होंगे।
-इनके अलावा 53.13 करोड़ रुपए के उपकरण भी स्थापित होना हैं।