अम्बुज माहेश्वरी, RAISEN. रायसेन में वन विभाग (Forest Department) ने 1400 मीटर की सड़क बनाई थी। अधिकारियों ने ग्रेवल सड़क के निर्माण में लाखों का गोलमाल किया था, जो अब उनके गले की फांस बन गया है। द सूत्र (The Sootr) ने पिछले दिनों अधिकारियों के इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। इसके बाद उस सड़क को दुरुस्त किया जा रहा है। इसके अलावा एक नई सड़क बनाकर भी ग्रामीणों को साधने के प्रयास वन विभाग के अफसर द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, इस सड़क के लिए भी पहाड़ के ही पत्थर को अवैध खनन (Illegal Mining) कर उपयोग में लिया जा रहा है। रोलर और वाईव्रेटर चलवाकर सड़क को समतल किया जा रहा है। ग्रामीण इस बात से खुश हैं कि अफसरों की चोरी सामने आई और अब अच्छे से काम हो रहा है। ग्रामीणों सहित गुफा मन्दिर के महंत ने द सूत्र को धन्यवाद दिया है। खबर के बाद डीएफओ अजय पांडे (DFO Ajay Pandey) ने कलेक्टर को एक पत्र लिखकर किसी एजेंसी से जांच करवाने की बात कही है।
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यह था मामला
1400 मीटर की एक सड़क में वन विभाग के अफसरों ने पहाड़ का पत्थर ही चोरी करके ग्रेवल रोड (Gravel Road) बना ली थी। इसके एवज में 13 लाख की राशि खर्च कर अब 11 लाख और निकालने की तैयारी हो रही थी। वन विभाग के गढ़ी रेंजर (Garhi Ranger) की शह पर परिक्षेत्र के ही गुफा ग्राम (Gufa Village) में यह कारनामा हुआ था। ग्रामीणों सहित मंदिर के महंत सड़क निर्माण में मटेरियल चोरी करने और वहीं के पत्थरों से वहीं की सड़क बना की बात करते हुए खासे नाराज थे। उनका कहना था कि एक बारिश को भी यह सड़क नहीं झेल पाएगी। एक तरफ रेंजर रजनीश कुमार शुक्ला (Rajnish Kumar Shukla) इसे पूरी तरह नियमानुसार बता रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ डीएफओ अजय पांडे ने कलेक्टर को पत्र लिखकर किसी एजेंसी से जांच करवा लेने कहा था।
डेढ़ किमी की थी ग्रेवल सड़क, अब एक किमी तक बोल्डर बिछाकर बनाई नई सड़क
क्षेत्रीय विधायक स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने जनवरी में ग्रेवल सड़क की सौगात ग्रामीणों को देकर इसका भूमिपूजन किया था। वन विभाग ने तेंदूपत्ता की लाभांश राशि में से अधोसंरचना मद से 23 लाख 87 रुपए में इसे स्वीकृत किया था। अहम बात यह है कि इसमें निर्माण एजेंसी वन विभाग ही रहती है। नियमानुसार ग्रेवल सड़क का निर्माण उसकी निर्धारित ऊंचाई और चौड़ाई के अनुसार मुरम से किया जाता है लेकिन आसपास के पत्थर का ही उत्खनन कर इसे बना दिया गया था। इस सड़क के निर्माण में वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों के सामने खुलेआम सड़क के दोनों तरफ का पत्थर पोकलेन मशीन से खुदवाकर बिछवा दिया था। इसके ऊपर मुरम डलवाकर इसे तैयार ग्रेवल रोड बताकर आवागमन शुरू करवा दिया। पिछले दिनों द सूत्र ने ग्रामीणों से मिली शिकायत के आधार पर जाकर जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो सामने आया कि पास के ही ग्राम खेजड़ा से करीब 200 ट्रॉली मुरम लाकर यहां खुदाई के पत्थर से बनी सड़क पर बिछा दी गई है। रेंजर रजनीश कुमार शुक्ला से तथ्य पूछकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया था तो श्री शुक्ला ने बताया था कि 1400 मीटर की इस सड़क के निर्माण में पूरा मटेरियल हमने बाहर से खरीदा है।
पहाड़ पर निशान कर रहे हकीकत बयां
वनकर्मी इस सड़क के मामले में चाहे कितना ही नियमों से बनना बताएं, लेकिन सड़क के दोनों ओर पहाड़ पर चली पोकलेन मशीन के निशान और सड़क के नीचे उपयोग में आए पत्थर का एक होना, इस पूरे मामले की हकीकत बयां कर रहा है। दरअसल, गुफा गांव गढ़ी से 15 किमी अंदर की तरफ है। यहां पहुंचने का मुख्य मार्ग इतना खराब है कि लोग यहां आने जाने से बचते हैं। विदिशा जिले की सरहदी सीमा पर बने इस गांव में सड़क के नाम पर हुआ, यह फर्जीवाड़ा अब जांच की जद में आ चुका है।
जिम्मेदारों का क्या कहना है
डीएफओ अजय कुमार पांडे ने कहा कि मैं बाइट देने के लिए बाध्य नहीं हूं।
ग्रामीण बोले....
बारेलाल लोधी ने कहा कि द सूत्र से आप लोग आए तो फिर अफसरों का दौरा शुरू हो गया। वो रोड तो अच्छा कर रहे हैं, अब दूसरे देव स्थान तक एक और रोड बना रहे। आप लोग नहीं आते तो ये तो सब यही का यही कर चुके थे।
हल्के राम गोस्वामी, महंत ग्राम गुफा मंदिर ने कहा कि द सूत्र को धन्यवाद आप लोग आए थे, अब सुधार हो गया है।
इमरान ने कहा कि द सूत्र वाले आए थे, इसलिए अब ये सब हो रहा है। 24 लाख की राशि थी अब दूसरी सड़क भी बना रहे हैं।