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बीपी गोस्वामी, RAJGARH. जिला अस्पताल में ब्लड बैंक में पदस्थ दैनिक वेतनभोगी अमित सक्सेना और मनोहर दांगी को 5 अगस्त को सिविल सर्जन ने आदेश जारी कर बर्खास्त कर दिया। बताया जा रहा है कि कथित लोगों के दबाव में आनन-फानन में जारी यह आदेश चौंकाने वाला था। इस आदेश में पुरस्कार प्राप्त इन कोरोना वॉरियर्स को दलाल कहा गया और ना ही जांच कमेटी को इस मामले की जांच सौंपे जाने की जानकारी दी गई। सिविल सर्जन डॉ. आरएस परिहार द्वारा इन दोनों कर्मचारियों की सेवा 5 अगस्त को समाप्त कर दी गई। वहीं, जिला पंचायत सीईओ प्रीति यादव ने डॉ. परिहार पर कार्रवाई की बात कही, जो अभी तक लंबित हे।
कर्मचारी की खुदकुशी की कोशिश
बिना किसी गलती के नोकरी खोने के दुख में 8 अगस्त की शाम अमित सक्सेना ने स्वास्थ्यकर्मियों के वॉट्सएप ग्रुप में मैसेज पोस्ट कर आत्महत्या का प्रयास किया। अमित ने पुलिस को दिए बयान में खुद को किसी भी घटना से अनभिज्ञ बताते हुए खुद को निर्दोष बताया है।
क्या बोला पीड़ित?
अमित के अनुसार, यह लोग (आरोपी) ब्लड बैंक से आए दिन बिना डोनर के मरीजों को खून देने का दबाव बनाते थे। वहीं, सिविल सर्जन डॉ आरएस परिहार समेत 5 लोगो पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। इसमें कुछ पत्रकारों के नाम भी सामने आए हैं। पत्रकारों मे राजस्थान पत्रिका के जिला ब्यूरो भानु ठाकुर का नाम भी पीड़ित ने अपने बयान में बताया है। वहीं, पत्रिका में कार्यरत रवि सेन, रक्तदाता समूह के सदस्य अशोक दांगी, चेतराम गुर्जर इन लोगों को भी कटघरे में खड़ा किया गया है। अमित का फिलहाल राजगढ़ में ही आईसीयू में इलाज चल रहा है।
पर्दे के पीछे भी कुछ है
ऐसा पहली बार देखने में आया कि किसी एक मरीज की दो तहरीर पुलिस को भेजी गई हों। सूत्रों के अनुसार, अमित को प्राथमिक उपचार देने वाले डॉ. भदौरिया ने पुलिस को तत्काल तहरीर भेजी थी, लेकिन अमित को नोकरी से हटाने वाले डॉ. आरएस परिहार भी घबराकर तत्काल वहां पहुंचे और पुलिस को अलग से एक तहरीर दी, जिसमें आत्महत्या का हवाला दिया गया। अब सवाल ये है कि जब पुलिस जांच कर रही है तो डॉ. परिहार वहा क्यों पहुंचे। वैसे परिहार को आपातकाल ड्यूटी से मुक्त किया हुआ है। उधर, परिजन का कहना है कि अमित को पत्रकारों के साथ मिलकर परिहार द्वारा प्रताड़ित करने के बयान से घबराकर सिविल सर्जन खुद वहा जांच प्रभावित करने पहुंचे थे।
अस्पताल में धरना
जिला अस्पताल में विगत दिनों राजगढ़ विधायक बापू सिंह तंवर अव्यवस्ताओ को लेकर खुद अस्पताल परिसर में धरने पर बैठ गए थे। जानकारी के बाद जिला पंचायत सीईओ प्रीति यादव, एसडीएम जूही गर्ग, तहसीलदार बागरी मौके पर पहुंचे और मामले में एक्शन का आश्वासन देते हुए धरना खत्म करवाया।