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REWA. नगर निगम चुनाव (Municipal Corporation Election) के शोर ने यद्यपि पंचायतों के चुनाव (panchayat elections) को दबा दिया है लेकिन कई बड़े नेता अपनी घर के ही महाभारत में उलझ गए हैं। जिला पंचायत सदस्य (District Panchayat Member) के लिए रीवा में विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम (Assembly Speaker Girish Gautam) के बेटे और भतीजे मुकाबले में आमने-सामने हैं। विधायक नागेन्द्र सिंह (MLA Nagendra Singh) अपने भतीजे के लिए जुटे हैं तो विधायक पंचूलाल प्रजापति (MLA Panchulal Prajapati) पूर्व विधायक पत्नी पन्नाबाई के लिए गली-गली घूम रहे हैं। स्पीकर के बेटे समेत तीनों बीजेपी के अधिकृत प्रतिनिधि हैं। यहां दो चरणों में 25 जून और 1 जुलाई को मतदान होना है।
भाई-भाई भिड़े परिवार में घमासान
जिला पंचायत के चुनाव में रीवा जिला का वार्ड 27 कुरुक्षेत्र में बदल गया है। समूचे विन्ध्य के लिए कौतुक का विषय है। इस वार्ड से स्पीकर गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम और उनके सगे भतीजे पद्मेश गौतम आमने-सामने हैं। दोनों के बीच यह लगातार दूसरी भिडंत है। पिछली बार भी ऐसे ही मुकाबले में दोनों ही हार गए थे जीते थे बसपा समर्थित जयवीर सिंह जो इसबार विधानसभा देवतालाब से गिरीश गौतम के बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं।
बेटे को आगे बढ़ाने की होड़ में कलह
कम्युनिस्ट पार्टी से भाजपा में आए गिरीश गौतम का परिवार एकता के लिए मिसाल दिया जाता था। रेंजर साहब के नाम से मशहूर उनके बड़े भाई ने गिरीश गौतम के लिए न जाने कितने तबादले यहां तक कि निलंबन झेला है। पद्मेश गौतम इन्हीं के बेटे हैं। विधायक बनने के बाद जब गिरीश जी ने राजनीति में अपने बेटे राहुल को शह देना शुरू किया तो परिवार में फूट शुरू हो गई। छोटे भाई शिवेश(अब स्वर्गीय) के बेटे विवेक गौतम ने भाजयुमो से राजनीति शुरू की लेकिन बेटे के आगे विवेक भी हासिये में पड़ते गए और राहुल जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बन गए। कलह यहाँ तक पहुंची कि पिछले जिला पंचायत चुनाव में राहुल के खिलाफ उनके चचेरे भाई पद्मेश ताल ठोककर उतर गए और विवेक गौतम ने देवतालाब से अपने ताऊ के मुकाबले विधायक की उम्मीदवारी की दावेदारी पेश कर दी। कलह का असर यह हुआ कि बेटे और भतीजे को बसपा के जयवीर सिंह ने हरा दिया। यही नहीं स्वयं स्पीकर गौतम जयवीर सिंह की पत्नी सीमा सिंह से विधानसभा का चुनाव बमुश्किल हजार-बायह सौ से जीते।
अब कई पुराने साथी खिलाफ
जिला पंचायत के चुनाव में कई मायनों में स्पीकर गौतम की साख दाँव पर है और कई पुराने साथी खिलाफ खड़े हैं। इन साथियों में सबसे अहम हैं गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह। जिन नागेन्द्र सिंह ने गिरीश गौतम को आगे करके विन्ध्य के प्रतिनिधित्व के लिए अभियान चलाया और गौतम स्पीकर पद तक पहुंचे वही नागेन्द्र सिंह अब गिरीश गौतम के भतीजे के पद्मेश के साथ खड़े हैं। जिला पंचायत के वार्ड 27 में उनका गाँव है। दरअसल स्पीकर बनने के बाद गौतम नागेन्द्र सिंह के प्रतिद्वंद्वी कपिध्वज सिंह से मिलने उनके घर पहुंच गए। प्रतिक्रिया स्वरूप नागेन्द्र सिंह गिरीश गौतम के भतीजे पद्मेश की पीठ पर हाथ धरकर बता दिया कि घर की राजनीति में दखल करना वे भी जानते हैं। पद्मेश कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं उनके चुनाव की कमान जयवीर सिंह के हाथ में हैं जो अगले विधानसभा के लिए भी गौतम के खिलाफ अभी से ताल ठोक रहे हैं। इस तरह पंचायत के चुनाव ने स्पीकर गौतम को घर में घेरकर रख दिया है। यदि राहुल हारते हैं तो गिरीश गौतम की विधानसभा चुनाव की दावेदारी में कुछ असर तो पड़ेगा ही।
पंचूलाल पत्नी के लिए तो नागेन्द्र भतीजे के लिए जुटे..
तीन बार के विधायक पंचूलाल प्रजापति पत्नी पन्नाबाई के लिए वार्ड 24 से वैसे ही भिड़े हैं जैसे कि विधानसभा हो। पन्नाबाई भी मनगँवा से एक बार विधायक रह चुकी हैं। उनकी नजर में जिला पंचायत की उपाध्यक्षी है। इधर राजनीति में अपने बेटों से निराश हो चुके नागेन्द्र सिंह ने भतीजे प्रणव सिंह को मैदान पर उतारा है। प्रणव भाजपा समर्थित उम्मीदवार हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक दिग्गज नेता रामलखन शर्मा वार्ड 11 से अपनी बहू सुमन शर्मा के लिए गाँव-गाँव भटक रहे हैं। इनका मुकाबला जनता शासन में मंत्री रहे सीता प्रसाद शर्मा की बहू से है। यह हाल तब है जब रीवा का जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित है।