CM शिवराज से नाराज या VD शर्मा तक पहुंचेगी आंच, या फिर सिंधिया पर आकर रुकेगी बात; क्या MP BJP में होने वाला है बड़ा उलटफेर

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The Sootr CG
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CM शिवराज से नाराज या VD शर्मा तक पहुंचेगी आंच, या फिर सिंधिया पर आकर रुकेगी बात; क्या MP BJP में होने वाला है बड़ा उलटफेर

BHOPAL. रायपुर में आरएसएस यानी संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक होने जा रही है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा शामिल होंगे। बैठक छत्तीसगढ़ में होनी है लेकिन हलचल मध्यप्रदेश में हो रही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान वैसे तो दिल्ली का एक चक्कर काट आए हैं लेकिन इस बैठक के बाद प्रदेश बीजेपी नेताओं के लिए क्या फरमान जारी हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। जिस तरह मध्यप्रदेश में सियासी हलचलें तेज हो रही हैं और बीजेपी जिस तरह आपे से बाहर दिख रही है। उसे देखते हुए लगता है कि इस बार सत्ता और संगठन दोनों ही संघ के कसौटी पर कसे जाएंगे। 





200 से ज्यादा पदाधिकारी होंगे शामिल





आरएसएस और बीजेपी की अखिल भारतीय समन्वय बैठक रायपुर में तीन दिन तक चलेगी। ये बैठक 10, 11 और 12 सितंबर को होगी। इन तारीखों के जरिए एक बार फिर छत्तीसगढ़ में नई तारीख गढ़ने की कवायद भी है। क्योंकि साल 2018 के चुनाव में बुरी तरह हार के बाद ये क्षेत्र बीजेपी के हाथ से निकल गया था। पिछली हार के लिए संघ और बीजेपी में समन्वय की कमी को भी जिम्मेदार माना गया। इसलिए नए सिरे से समन्वय स्थापित करने की कोशिशों के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन बैठक में मौजूद रहेंगे। साथ में होंगे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष इसके अलावा आरएसएस के  37 अनुषांगिक संगठनों के 200 से ज्यादा पदाधिकारी भी बैठक का हिस्सा बनेंगे।





बड़े उलटफेर के आसार





बैठक छत्तीसगढ़ के जैनम मानस भवन में हो रही है। माना जा रहा है कि फोकस पूरा छत्तीसगढ़, वहां के आदवासी और वनवासी मतदाताओं पर होगा। लेकिन अंदर की बात ये है कि जब इतने बड़े-बड़े लोग एकजुट होंगे तो बात सिर्फ एक प्रदेश की नहीं उन पांचों प्रदेशों की बात होगी, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। इसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश अहम हैं। इन तीनों राज्यों में बीजेपी को पिछले चुनाव में मनमाफिक नतीजे नहीं मिले। राजस्थान और छत्तीसगढ़ तो हाथ से चले ही गए मध्यप्रदेश बमुश्किल झोली में आया। लेकिन यहां हालात अब भी फेवर में दिखाई नहीं दे रहे। बल्कि यूं कहें कि सियासी हालात दिनों दिन बिगड़ते जा रहे हैं तो भी कुछ गलत नहीं होगा। इसलिए अब ये माना जा रहा है कि इस बार संघ और संगठन दोनों की नाराजगी सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को झेलना पड़ सकती है। इन्हें संघ और संगठन की फटकार या बड़े उलटफेर का सामना करना पड़ सकता है।





एमपी की राजनीति में ये भी जान लीजिए





एमपी को लेकर कोई भी बड़ा फैसला बीजेपी कभी भी ले सकती है। नगरीय निकाय चुनावों के दौरान और उसके बाद से ही बीजेपी लगातार ऐसी घटनाओं से गुजर रही है, जो उसके इतिहास में पहले कभी नहीं हुई। इसका असर मतदाताओं पर भी पड़ना तय है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ में होने वाली बैठक एमपी के लिए अहम मानी जा रही है। हो सकता है तीन दिन चलने वाली बैठक में तत्काल कोई रिजल्ट निकलकर सामने न आए, लेकिन ये तय है कि आने वाले दिनों में इसका असर जरूर नजर आएगा। एमपी के इन बड़े नेताओं से नाराजगी की वजह क्या है। ये जान लेना भी जरूरी है। अगर आप न्यूज स्ट्राइक को फॉलो कर रहे हैं तो पुराने एपिसोड्स में आप ये देख ही चुके होंगे कि बीजेपी अभी क्या-क्या झेल रही है। यही सियासी घटनाक्रम संघ और संगठन दोनों की नाराजगी का विषय हैं। जिन पर बैठक के तीन दिनों में कभी भी चर्चा हो ही सकती है।





जब भी एमपी में कुछ उठापटक होती है या बीजेपी का कोई फेलियर नजर आता है। लोगों की नजरें सीएम शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी पर होती हैं। क्योंकि बीजेपी सीएम का चेहरा बदलने में देर नहीं करती। इसलिए कयास यही लगते हैं कि अब शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी गई। बावजूद इसके कि नड्डा और अमित शाह दोनों ये कह चुके हैं कि शिवराज ही सीएम रहेंगे। इस बार भी ये कयास लगने शुरू हो चुके हैं। हालांकि सीएम की कुर्सी रहेगी या जाएगी इस पर कुछ भी कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी। लेकिन वक्त खामोशी और शांति से बीत जाएगा ये कहना गलत है। नगरीय निकाय चुनाव के बाद से प्रदेश में जो हालात हैं। उसके बाद से नाराजगी सिर्फ शिवराज सिंह चौहान नहीं, बल्कि वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी हो सकती है। इसकी एक नहीं कई वजह हैं।





नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी को मिली हार





नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों में हार बीजेपी के लिए बड़ा सबक है। सात सीटें गंवा चुकी बीजेपी इस हार के कारण पर मंथन जरूर करेगी। क्योंकि उसी आधार पर रणनीति तय होगी। इस हार के लिए अकेले सीएम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। संगठन के प्रमुख होने के चलते वीडी शर्मा भी हार की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।





इन सिंधिया समर्थकों की मनमर्जी





इस चुनाव से पहले और नतीजों के बाद सिंधिया समर्थकों ने संगठन के खिलाफ जाकर भी बड़े दांव पेंच दिखाए। इसका खामियाजा सिंधिया खेमे को भुगतना पड़ सकता है। सीधे सिंधिया को कुछ न भी कहा जाए तो मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का कद घटा कर या उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर मैसेज दिया जा सकता है।





प्रीतम लोधी के बयान के बाद उठा सियासी बवंडर





संघ और संगठन की नाराजगी की वजह ये घटनाक्रम भी है। प्रीतम लोधी के आपत्तिजनक बयान के बाद प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कार्रवाई में तो तेजी दिखाई। लेकिन उसका नफा नुकसान आंकने में भूल कर गए। गलती जहां भी हुई हो इस बात से कोई दो राय नहीं कि प्रदेश स्तर पर पार्टी डेमेज कंट्रोल के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाई है। जबकि चुनाव अभी सिर पर है। बैठक से ये मुद्दा भी अछूता नहीं रहेगा।





बीजेपी ये खूब समझती हैं कि मुद्दे छोटे हों या बड़े चुनाव के नतीजों पर असर जरूर डालेंगें। ये तीन बड़े मुद्दे बीजेपी में किस-किस तरह हलचल मचा रहे हैं और क्यों? ये मामले गंभीर हैं। इसे गहराई से समझने के लिए आप न्यूज स्ट्राईक के पुराने एपिसोड्स देख सकते हैं। फिलहाल आपको बताते हैं कि संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक क्यों होती है और किस तरह से काम करती है। 





ये बैठक क्यों है अहम





राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ऐसी बैठकों में संघ के बाकी आनुषांगिक संगठनों की जिम्मेदारियों, उनके काम करने के तरीके के साथ अब तक किए गए कार्यों का फीडबैक लिया जाता है। साथ ही आगे बेहतर काम करने की रणनीति बनाई जाती है। संघ और उसके 35 के करीब आनुषांगिक संगठन हैं। वो किस तरह से बेहतर ढंग से काम कर संघ की विचारधारा को विस्तार दे इस पर फोकस किया जाता है। संघ की ही विचारधारा के आधार पर बना राजनीतिक दल बीजेपी भी बैठक में शामिल होता है।



संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक को लेकर ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में 2024 के आम चुनाव और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की। अब तक की तैयारियों को लेकर फीडबैक लिया जा सकता है। ये भी हो सकता है कि संघ वो एजेंडे तय करे जिसे वो अपने हाथ में लेगा जिनका बीजेपी को विधानसभा और आमचुनावों में फायदा मिल सके।





बैठकों में शामिल होने वाले संघ के 35 के लगभग अनुषांगिक संगठनों के पूरे साल के कामकाज की जानकारी देंगे। जो लक्ष्य तय किए गए हैं उन पर संगठनों का काम कहां तक पहुंचा और इस बीच किस तरह की दिक्कतें आईं। इस पर चर्चा हो सकती है। माना जा रहा है कि आरएसएस की इस समन्वय बैठक में भले सारी रणनीति 2024 के आम चुनाव केन्द्रित रखते हुए तैयार की जाएगी, लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों पर चर्चा के बगैर बैठक पूरी नहीं होगी। 





कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने पर होगी चर्चा





आने वाले पांच राज्यों के चुनाव को बीजेपी इम्तिहान से कम नहीं मान रही है। खासतौर से एमपी को। जहां बीजेपी चुनाव हारने के डेढ़ साल बाद सत्ता में तो लौटी लेकिन कांग्रेस को कमजरो नहीं कर सकी है। नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे झटका देने वाली हार तो हैं ही साथ ही बीजेपी का बूथ तक मजबूत कार्यकर्ता भी इन चुनाव में अनदेखी से नाराज रहा है। माना जा रहा है कि अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने और संगठन को मजबूत करने पर बैठक में चर्चा होगी। साथ ही लक्ष्य को अंजाम देने में कहां कमी आ रही है कौन सी कड़ी टूट रही है उस पर भी विचार होगा। बूथ के कार्यकर्ता की नाराजगी संघ और पार्टी दोनों के आलाकमान के दरवाजों तक पहुंच चुकी है। उसकी अनदेखी कितनी भारी पड़ेगी इसके गवाह नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे हैं। 





कार्यकर्ता की नाराजगी के लिए सिर्फ मंत्री या विधायक ही जिम्मेदार नहीं हैं। शिवराज और वीडी शर्मा भी जिम्मेदार हैं, जो प्रमुख पदों पर होने के बावजूद सिस्टम को कस नहीं पा रहे। इनकी हर कोशिश कहीं न कहीं चूक रही है। बैठक भले ही छत्तीसगढ़ में हो लेकिन समन्वय सबसे पहले मध्यप्रदेश में बिठाने की जरूरत है। विजयी रथ पर सवार बीजेपी के दिग्गज नेता भी ये भांप ही चुके हैं। तीन दिन के बाद ही कोई जिन्न बाहर न निकले। लेकिन ये तय है कि इसका असर धीरे धीरे एमपी बीजेपी के सत्ता और संगठन दोनों पर नजर आने लगेगा। जस्ट वेट एंड वॉच बदलाव आप खुद महसूस कर सकेंगे।



 



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