अम्बुज माहेश्वरी, Raisen. 1400 मीटर की एक सड़क में वन विभाग (Forest department) के अफसरों की नाक के नीचे पहाड़ का पत्थर ही चोरी करके ग्रेवल रोड (Gravel Road) बना ली गई और इसके एवज में 13 लाख की राशि खर्च कर अब 11 लाख और निकालने की तैयारी है। ये कारनामा वन विभाग के गढ़ी रेंजर (Garhi Ranger) की शह पर परिक्षेत्र के ही गुफा ग्राम (Gufa Village) में हुआ है। ग्रामीणों सहित मंदिर के महंत सड़क निर्माण में मटेरियल चोरी करने और वहीं के वहीं सड़क बना देने की बात करते हुए खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि एक बारिश भी ये सड़क टिक नहीं पाएगी। एक तरफ रेंजर रजनीश कुमार शुक्ला (Rajnish Kumar Shukla) इसे पूरी तरह नियमानुसार बनना बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ डीएफओ अजय पांडे (DFO Ajay Pandey) आरईएस या अन्य किसी एजेंसी से इसकी जांच करवा लेने की बात कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन सिद्ध देव स्थान तक जाने के लिए एक सड़क की मांग हम बरसों से कर रहे थे लेकिन जब ये सौगात मिली भी तो अफसर इसके निर्माण को गोलमाल कर गए हैं।
डेढ़ किमी की है ग्रेवल सड़क
क्षेत्रीय विधायक स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी (Minister Dr. Prabhuram Choudhary) ने जनवरी में इस सड़क की सौगात ग्रामीणों को देकर इसका भूमि पूजन किया था। वन विभाग ने तेंदूपत्ता की लाभांश राशि में से अधोसंरचना मद से 23 लाख 87 रुपए में इसे स्वीकृत किया था। अहम बात यह है कि इसमें निर्माण एजेंसी वन विभाग ही रहती है। नियमानुसार ग्रेवल सड़क का निर्माण उसकी निर्धारित ऊंचाई और चौड़ाई के अनुसार मुरम से किया जाता है।
सड़क के दोनों तरफ का पहाड़ खोदकर बिछा दिया पत्थर
इस सड़क के निर्माण में वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों के सामने खुलेआम सड़क के दोनों तरफ का पत्थर पोकलने मशीन से खुदवाकर बिछवा दिया है। इसके ऊपर मुरम डलवाकर इसे तैयार ग्रेवल रोड बताकर आवागमन शुरू करवा दिया। पिछले दिनों जब इस प्रतिनिधि ने ग्रामीणों से मिली शिकायत के आधार पर जाकर जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो सामने आया कि पास के ही ग्राम खेजड़ा से करीब 200 ट्राली मुरम लाकर यहां खुदाई के पत्थर से बनी सड़क पर बिछा दी गई है। हमने जब इस मामले में रेंजर रजनीश कुमार शुक्ला से तथ्य पूछकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो रजनीश कुमार शुक्ला ने बताया कि 1400 मीटर की इस सड़क के निर्माण में पूरा मटेरियल हमने बाहर से खरीदा है।
पहाड़ पर निशान और सड़क के नीचे पत्थर कर रहे हकीकत बयां
वनकर्मी इस सड़क के मामले में चाहे कितना ही नियमों से बनना बताएं लेकिन सड़क के दोनों और पहाड़ पर चली पोकलेन मशीन के निशान और सड़क के नीचे उपयोग में आए पत्थर का एक होना इस पूरे मामले की हकीकत बयां कर रहा है। दरअसल गुफा गांव गढ़ी से 15 किमी अंदर की तरफ है, यहां पहुंचने का मुख्य मार्ग इतना खराब है कि लोग, यहां आने-जाने से बचते हैं। विदिशा जिले की सरहदी सीमा पर बने इस गांव में सड़क के नाम पर हुआ यह फर्जीवाड़ा अब ग्रामीणों के मुखर होने से सामने आ गया है।
हम जांच करवा रहे
करीब 1450 मीटर लम्बाई की यह सड़क है। हमें अभी तक किसी भी सूत्र से कोई शिकायत नहीं मिली है। आपसे संज्ञान में आया है हमने इसके पहले ही जांच अपने स्तर से कराने के निर्देश दिए हैं। अभी सड़क पूरी नहीं हुई है, इस पर अभी खर्च भी 13 लाख के लगभग हुआ है। - अजय कुमार पांडे, डीएफओ
बाहर से लाए है मटेरियल
इस सड़क निर्माण में हमने पूरा मटेरियल बाहर से लिया है। निर्माण एजेंसी वन विभाग है। अधिक जानकारी हमारे वरिष्ठ अधिकारियों से ले लीजिए। -रजनीश कुमार शुक्ला, रेंजर गढ़ी
ग्रामीण बोले....
मुरम तो चलो मान लो बाहर से आई है लेकिन बाकी तो सब वहीं के वहीं साइड से खोदकर उपयोग हुआ है। - बारेलाल लोधी
बड़ी मशीन चलाकर यहीं खुदाई हुई और यहीं सब पूर दिया। ये सड़क एक बारिश भी चल पाएगी, हमें तो मुश्किल लग रहा। जब मटेरियल यही का लगाया तो पैसा किस नाम पर खर्च कर दिया। - हल्के राम गोस्वामी, महंत ग्राम गुफा मंदिर
क्या बताए सब सामने है, जो होना था वो नहीं हुआ। सब खानापूर्ति कर दिया 24 लाख में ऐसी सड़क बनती है क्या? -अमर सिंह, ग्रामीण