ग्वालियर.मिहिर भोज की जाति का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। ग्वालियर खंडपीठ इस मुद्दे पर अपना फैसला लिया, जिसके बाद से विवाद बढ़ गया। शनिवार यानी 25 सितंबर को प्रशासन शिला पटिटका को ढंकने गया था। तभी गुर्जर समाज के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इस बीच प्रशासन और लोगों के बीच जमकर झड़प हुई। पथराव इतना भयंकर था कि कई SSP राजेश दंडोतिया घायल भी हो गए। उनके पैर में पत्थर लग गए। भीड़ को काबू करने के लिए आसू गैस के गोले दागे गए।
क्या है विवाद?
कुछ दिन पहले ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति लगाई गई। इसके बाद मुरैना में भी लगाई गई। इस मूर्ति के नीचे लगे शिलालेख में उन्हें गुर्जर बताया गया। इसी बात को लेकर दोनों वर्गों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद अब धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप लेता जा रहा है।
पट्टिका से गुर्जर हटाने की मांग
मुरैना में 23 सितंबर को दिन में एक समुदाय के लोगों ने जाम लगाया था। उनकी मांग थी कि राजा मिहिर भोज की पटि्टका पर जिस वर्ग का नाम लिखा है, वह गलत लिखा है, उसे हटाया जाए। लोगों को हटाने के लिए भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और भीड़ को तितर-बितर किया गया। इसके बाद रात करीब 10 बजे बानमौर में ग्वालियर-मुरैना के बीच चल रहीं बसों में तोड़फोड़ कर दी। हालांकि, इसमें कोई घायल नहीं हुआ। इसे दिन में किए गए विरोध का जवाब माना जा रहा है।
कोर्ट का आदेश क्या था
ग्वालियर खंडपीठ ने सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद में कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी गठित के आदेश दिए है। खंडपीठ ने कहा था कि जबतक विवाद की रिपोर्ट ना जाए । तबतक इसे ढंक दिया जाए। ग्वालियर के एक समाजसेवी राहुल साहू ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में शहर की स्थिति बिगड़ चुकी है, ऐसा बताया गया था।
कमेटी क्या करेगी
कमेटी ठोस सबूत व साहित्य के आधार पर ऐतिहासिकता का पता लगाएगी। साथ ही इस पर भी विचार करेगी कि सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय नायक की मूर्ति के सामने जाति प्रयोग किया जा सकता है। देश में लगी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाओं के संबंध में भी मार्गदर्शन लेगी। साथ ही समय पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए संवैधानिक सिद्धांत व आदेशों पर भी विचार करेगी। बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की जाएगी।