सुनील शर्मा, BHIND. बच्चों के लिए कठिन समझे जाने वाले गणित विषय को राजनारायण राजोरिया पिछले 42 सालों से सरल बनाने में जुटे हैं। राजोरिया ने गणित को आसानी से सिखाने के लिए गणित की दो किताबें लिखी हैं। इनमें भारतीय गणित विज्ञान और मजेदार गणित काफी लोकप्रिय हैं। बीहड़, बागी और बंदूक के लिए कई दशकों से भिंड जिला बदनाम है। लेकिन जिले के राजनारायण राजोरिया कई दशकों से ज्ञान की गंगा बहा रहे हैं। राजोरिया अपने अनोखे तरीके से पढ़ाने के लिए देश भर में विख्यात हैं। केंद्र और प्रदेश की कई सरकारें उनको सम्मानित कर चुकी हैं। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
एक्सपेरिमेंटल टूल्स से पढ़ना हैं बच्चों को
राजोरिया बेस्ट जैसे- लकड़ी, कांच, गत्ता, प्लास्टिक समेत कई अन्य चीजों का वो पढ़ाने के लिए उपयोग में लाते हैं। उन्होंने गणित सिखाने के लिए गणित की अवधारणा पर सैकड़ों एक्सपेरिमेंटल टूल्स बनाए हैं। इन एक्सपेरिमेंटल टूल्स से खेल-खेलकर बच्चे गणित को आसान तरीके में समझ जाते हैं। राजोरिया को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा रामानुजन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा 2014 में गणित में अनुकरणीय कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिया गया है।
देशभर की कई संस्थानों से आता है बुलावा
देशभर में गणित विषय पर आधारित कार्यशालाओं और सेमिनारों में व्याख्यान के लिए राजोरिया को बुलाया जाता है। वो अब तक देश के 15 राज्यों और कई विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्होंने अपने घर के एक कमरे में गणित की प्रयोगशाला बनाई है। यहां पर शहर के बच्चे गणित को समझने के लिए आते हैं। बच्चों को राजोरिया द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है। राजोरिया को भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने गणित विषय के शिक्षण की ट्रेनिंग देने के लिए रिसोर्स परसंस में शामिल किया है।
राजोरिया से प्रभावित हुए हैं कई संस्थान
राजोरिया द्वारा बनाए गए एक्सपेरिमेंटेल को देखकर कई संस्थान प्रभावित हुए हैं। उन्होंने अपने यहां इन्हीं से पढ़ाना शुरू किया है। चंबल अशिक्षा और पिछड़ेपन का शिकार है। यहां पर रोजगार और शिक्षा के सीमित साधन हैं। उसके बावजूद एक शिक्षक गणित को आसानी से समझाने के लिए नए-नए तरीके खोज रहा है।