संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश कांग्रेस सचिव राकेश यादव एमपीसीए पर लगातार हमले कर रहे हैं। उनके द्वारा एमपी अगेंस्ट एमपीसीए करप्शन अभियान शुरू किया गया है। 27 अक्टूबर को फिर यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि एमपीसीए की वर्तमान मैनेजिंग कमेटी का कार्यकाल 1 अक्टूबर 2022 को ही खत्म हो गया था लेकिन इसके बाद भी बिना फर्म एंड सोसायटी की मंजूरी के यह मैनेजिंग कमेटी मैचों की मलाई खाने के उद्देश्य से अवैधानिक रूप से संचालित हो रही है। कायदे से अभी तक इसकी चुनावी एजीएम होकर नई मैनेजिंग कमेटी का गठन होना था। प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर, सचिव संजीव राव और अन्य सभी गैरकानूनी तरीके से काम कर रहे हैं। इसकी शिकायत सीएम और कलेक्टर मनीष सिंह से की जा रही है।
क्या हुआ विजयवर्गीय-सिंधिया की दोस्ती का
राकेश यादव ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पारिवारिक दोस्ती पर तंज कसते हुए कहा कि विजयवर्गीय ने सिंधिया के एमपीसीए में प्रेसीडेंट रहते हुए सदस्यता लेने के लिए चार बार आवेदन किया था। लेकिन हर बार उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। अब इतनी दोस्ती है तो सिंधिया को आगे बढ़कर विजयवर्गीय को सदस्यता देनी चाहिए।
लोढ़ा कमेटी के विपरीत बांटे टिकट, पास
यह भी आरोप लगाए गए कि लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम क्षमता के केवल दस फीसदी टिकट ही पास के रूप में कॉम्पलीमेंट्री दिए जा सकते हैं। यानी होलकर स्टेडियम की 27500 की क्षमता में केवल 2750 ही पास हो सकते हैं। लेकिन एमपीसीए ने केवल 14 हजार टिकट ऑनलाइन बेचे। यानी बाकी पर्दे के बीच ब्लैक में टिकट बेचने के लिए दे दिए। इन टिकटों की कमाई सीधे एमपीसीए कमेटी के पदाधिकारियों की जेब में गई हैं। सरकार के जीएसटी और मनोरंजन कर की राशि भी एमपीसीए सीएओ रोहित पंडित ने नहीं दी।
अंपायरों को कोविड में मदद के नाम पर धोखा
राकेश यादव ने आरोप लगाया कि एमपीसीए में भ्रष्टाचार का यह हाल हैं कि कोविड में एमपीसीए अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर और सीएओ रोहित पंडित ने अंपायरों को पच्चीस-पच्चीस हजार रुपए की मदद दी थी। इसके लिए बीसीसीआई से मिले फंड में से ढाई लाख रुपए लिए गए, लेकिन उन्हें मात्र 25 हजार रुपए ही दिए।
पूर्व सचिव के बेटे पर भी लगाए आरोप
राकेश यादव ने पूर्व सचिव मिलिंद कनमडीकर के बेटे प्रसून कनमडीकर पर स्क्रैप बिक्री की राशि लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैच के पहले और मैच के बाद टूटफूट और कुर्सी बदलने के नाम प्रत्येक टी-20 मुक़ाबले के बाद चालीस से पचास लाख का कबाड़ बेचकर जो राशि आती है, वह प्रसून रख लेते हैं।