रक्तबीज पर विजय पाई, देवताओं ने आसन दिया; विजयासन धाम में विराजीं बीजासन माता

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rahulk kushwaha
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रक्तबीज पर विजय पाई, देवताओं ने आसन दिया; विजयासन धाम में विराजीं बीजासन माता

शिवराज सिंह राजपूत, सीहोर. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पास सीहोर के सलकनपुर में बीजासन माता विराजीं हैं। इसे सलकनपुर माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं मां बिजासन के दरबार में किसी की पुकार कभी खाली नहीं जाती। मां बीजासन सभी की मनोकामना पूरी करती हैं। 'सलकनपुर माता मंदिर' एक चमत्कारी स्थान हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इन्हीं की कृपा से पहले सांसद और फिर मुख्यमंत्री बने। नवरात्र में सलकनपुर देवी धाम में भक्तों का तांता लगा है। 



मां बीजासन पार्वती का रूप और कुलदेवी



माना जाता है कि मां बीजासन देवी सलकनपुर के पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में विराजीं हैं। विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला पर निवास करने वाली देवी को विंध्यवासिनी कहते हैं। पुराणों के अनुसार देवी बीजासन माता पार्वती का अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नाम के राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। बीजासन देवी की कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजा करते हैं। 



रक्तबीज का संहार किया, देवताओं ने आसन दिया



श्रीमद भागवत कथा के मुताबिक जब रक्तबीज नाम के राक्षक से त्रस्त हो गए तो देवी की शरण में पहुंचे। देवी ने विकराल रूप धारण करके रक्तबीज का संहार किया और विजय पाई। इसके बाद देवताओं ने देवी को आसन दिया, जो विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ। मां बीजासन विजयासन धाम में विराजीं।



सलकनपुर देवी धाम का निर्माण



विजयासन देवी धाम मंदिर निर्माण के बारे में कहा जाता है कि करीब 300 साल पूर्व बंजारों ने उनकी मनोकामना पूरी होने पर इस मंदिर का निर्माण किया था। मंदिर निर्माण और प्रतिमा मिलने की कथा के मुताबिक अनुसार पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारे जब यहां रुके थे तब अचानक ही उनके पशु गायब हो गए थे।



1400 सीढ़ियां चढ़कर होते हैं मां के दर्शन



बीजासन देवी का मंदिर 1 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियां पार करनी होती हैं। हालांकि पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ सालों में ही सड़क मार्ग में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि1400 सीढ़ियों पर 'जय माता दी' के जयकारे लगाते हुए जाने से ही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए भक्तगण जय माता दी बोलते हुए बीजासन के दरबार में पहुंचते हैं।


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