जल जीवन मिशन: MP में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के हाल बेहाल, नल लगे मगर पानी नहीं

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जल जीवन मिशन: MP में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के हाल बेहाल, नल लगे मगर पानी नहीं

भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से जलजीवन मिशन (jal jeevan mission reality check) की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन देना है। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट (Modi Dream Project) को पूरा करने की राह में मध्यप्रदेश पिछड़ ही नहीं रहा बल्कि भटक भी गया है। हर घर नल पहुंचाने में मध्यप्रदेश, देशभर के राज्यों की रैंकिंग में 24 वें नंबर पर हैं। जेजेएम के तहत करीब 30 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का दावा किया है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग ने नल तो लगा दिए हैं, लेकिन उनसे जल नहीं पहुंचता यानी करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मोदी का सपना कैसे पूरा होगा, ये बड़ा सवाल है।

ग्राउंड रिपोर्ट में खुल गई पोल

क्या अब मुख्यमंत्री हम्माली करेगा? नलों की एक-एक टोटी चेक करेगा? पानी आ रहा है कि नहीं? तुम करते क्या हो? 15 दिन का समय दे रहा हूं। पूरा चेक करो और ठीक करो। मुझे रिपोर्ट करो। इसके बाद कहीं से शिकायत आई तो फिर खैर नहीं। एक-एक को सही कर दूंगा।’ 6 नवंबर को सीएम शिवराज (cm shivraj on water crisis) ने अपने गृह गांव जैत में ये हिदायत पीएचई के अधिकारियों को दी थी। अब बड़ा सवाल ये है कि जब मुख्यमंत्री के गांव में ये हालात है तो दूर-दराज के जिलों में क्या स्थिति होगी। लिहाजा द सूत्र की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की। जिसमें हकीकत सामने आ गई है। 

आंकड़ों से समझिए, क्यों हाल बेहाल

  • जल जीवन मिशन शुरू होने से पहले मध्यप्रदेश में 13.23 लाख घरों में नल कनेक्शन थे। 

  • जल जीवन मिशन की प्रोग्रेस रिपोर्ट में देश में 24 वें नंबर पर है मध्यप्रदेश
  • स्कूलों में पानी पहुंचाने में मध्यप्रदेश देश में 28 वें नंबर पर हैं।
  • जल जीवन मिशन में टारगेट 64.59 फीसदी काम करने का था यानी अब तक करीब 79 लाख घरों तक पानी पहुंच जाना चाहिए था। 
  • अचीव किया 35.41 फीसदी यानी पहुंचाया 43 लाख घरों तक पानी पहुंचाया।
  • पोर्टल को खंगाला, फिर जमीन पर देखी हकीकत

    सबसे पहले द सूत्र ने जल जीवन मिशन के पोर्टल (jal jeevan mission portal) की पडताल की। इस पोर्टल से ही उन पंचायतों के नाम निकाले गए, जहां सरकार का दावा है कि हर-घर तक नल से जल पहुंचा दिया गया है।

    राजधानी से सटे बैरसिया में ही बुरे हाल

    जेजेएम के पोर्टल के मुताबिक भोपाल जिले में सिर्फ 4 पंचायतें (भैंसोदा, दामखेड़ा, कुटकीपुरा, हिनौती सड़क) ऐसी हैं जहां सभी घरों और स्कूल, आंगनबाड़ियों (Anganwadi) में नल से जल पहुंच रहा है। बैरसिया (Berasia) के भैंसोदा पंचायत को जेजेएम पोर्टल पर फंक्शनल हाउसहोल्ड टेप कनेक्शन (FHTC) श्रेणी में रखा है। यानी भैंसोदा में हर घर में नल पहुंच गए है और ग्रामीणों को पानी भी मिल रहा है। लेकिन हकीकत इस दावे से कोसों दूर है। भैंसोदा में करीब एक साल पहले नल कनेक्शन कर दिए गए थे। चौपाल पर बैठे ग्रामीणों ने बताया कि शुरुआत में 3 महीने तक उन्हें नल से पानी मिला। लेकिन उसके बाद से नल सूखे ही पड़े रहे। जिम्मेदार कभी कहते हैं मोटर खराब है, कभी कहते वॉल्व खराब हो गया है। 

    मोटर, नल, टंकी सब है लेकिन हैंडपंप से पानी पीते बच्चे

    जल जीवन मिशन के तहत आंगनबाड़ी और स्कूलों (mp schools water) में पीने के पानी की व्यवस्था करनी है। लेकिन भैंसोदा गांव में पंचायत भवन के परिसर में ही बनी आंगनबाड़ी में नल बंद पड़े हुए है। ठेकेदार ने टंकी और नल तो लगा दिए है। लेकिन लाइट ही नहीं है तो मोटर चलेगी कैसे। लिहाजा बच्चे हैंडपंप से ही पानी पी रहे हैं। मौके पर द सूत्र की टीम ने देखा कि आंगनबाड़ी के लिए नाली किनारे बोर कर दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि नाली का गंदा पानी बोर के जरिए आंगनबाड़ी की टंकियों में पहुंचेगा, जिसे पीकर बच्चे बीमार होंगे।

    जबलपुर में भी दम तोड़ रही योजना

    जबलपुर (Jabalpur) के पनागर विकास खंड के रैपुरा गांव की हकीकत। पोर्टल के मुताबिक इस गांव में सौ फीसदी नल कनेक्शन लग चुके हैं। नलों में पानी भी आ रहा है। यहां टंकी तो लगी हुई है लेकिन बिजली सप्लाई नहीं होने के कारण टंकी में पानी ही नहीं भरता। गांव में नल कनेक्शन किए गए है लेकिन आधे-अधूरे। ये तमाम सच्चाई खुलकर ग्रामीणों ने बयां की।

    ग्वालियर में योजना के हाल बेहाल

    पोर्टल पर ग्वालियर (Gwalior) के भितरवार पंचायत के रिठोदन गांव में हर घर में पानी के कनेक्शन का दावा किया गया है। लेकिन जब द सूत्र ने जमीनी हकीकत जानी तो आज तक इस गांव की टंकी ही नहीं भरी। टंकी भरने की जिम्मेदारी ठेकेदार ने एक शख्स को दी, जब उससे पूछा गया कि टंकी क्यों नहीं भरी तो उसने दलील दी कि टंकी भरने के लिए जो मोटर चलेगी उसका पैसा कौन देगा?  

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