GWALIOR News. एमपी हाईकोर्ट (HIGH COURT ) की ग्वालियर खंडपीठ ने आज एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला दिया। इसमें नर्सिंग कॉलेजों के नाम पर होने वाले फर्जीबाड़ा को लेकर न केवल कठोर रुख अपनाया बल्कि अंचल चल रहे ऐसे सत्तर नर्सिंग कॉलेजेज की मान्यता रद्द करने के भी आदेश दिए। उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए यह भी आदेश दिए कि जिन अधिकारी और कर्मचारियों ने ऐसे कॉलेजों को दी जो इसके मानक पूरे ही नहीं करते ,उन सबके खिलाफ विभागीय जांच संस्थित की जाए।
ये है मामला
हाईकोर्ट (HIGH COURT )ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवायी के बाद दिया। इसके याचिकाकर्ता हरिओम ने एडवोकेट उमेश बोहरे के जरिये ग्वालियर-चम्बल संभाग में संचालित नर्सिंग कॉलेजों (NURSING COLLEGE ) में अनियमितताओं को लेकर याचिका दायर की थी। इसमे कहा गया था कि अंचल में बड़ी संख्या में फर्जी नर्सिंग कॉलेज चल रहे है। अनेक के पास भवन,स्टाफ और वो चीजें भी नही है जो मान्यता देने के लिए अपरिहार्य शर्तों में शामिल मानी जाती है। याचिका स्वीकार करने के बाद ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक जांच कमेटी गठित की थी. इसमें यह निर्देश दिए थे कि 200 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों की जांच कराई जाए । जांच दल द्वारा पेश प्राथमिक जांच रिपोर्ट में में 70 कॉलेजों में तय मानकों को पूरा न करने के मामले में अनियमितता पाई गई, जिसमें हाईकोर्ट ने 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने के आदेश दिए हैं.
70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त:
जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद अंचल में चल रहे सभी 270 कॉलेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया था, और एक जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी थी. इस बीच हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसलिंग से भी एक रिपोर्ट मांगी थी उसे भी हाई कोर्ट (HIGH COURT ) में पेश किया गया. इस रिपोर्ट के आधार पर ही इन 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने के निर्देश दिए हैं. याचिका के माध्यम से कहा गया था कि अगर इन नर्सिंग कॉलेज को बंद नहीं किया गया तो अप्रशिक्षित हेल्थ वर्कर सामने आएंगे. इससे कहीं ना कहीं मानव जीवन पर भी खतरा हो सकता है. साथ ही याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट(HIGH COURT ) से मांग की है जिन कॉलेजों की मान्यता निरस्त की है उन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की मार्कशीट भी रद्द की जाए। हालांकि इस पर अभी हाईकोर्ट ने कोई फैसला नही दिया है।
यह है पूरा प्रकरण
दरअसल सन 2021 में हाईकोर्ट (HIGH COURT )की ग्वालियर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने तर्क दिया था कि अंचल में नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध मान्यता दी गई है. ये कॉलेज तय मानकों को पूरा नहीं करते. उनके पास न अस्पताल हैं, न बेड की व्यवस्था है अनेक कॉलेज तो सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रहे हैं. इनकी मान्यता निरस्त की जाए. इस पर नर्सिंग काउंसिल की ओर से तर्क दिया गया कि पिछले व वर्तमान सत्र में 271 कालेजों काे मान्यता दी गई है. मान्यता देने से पहले पूरे नियमों को परखा गया था. इसके बाद कोर्ट ने 24 अगस्त 2021 को आदेश दिया था कि कॉलेजों की वास्तविक स्थिति पता करें, इसके लिए आयोग बनाया जाए. आयोग के सदस्य कॉलेजों का निरीक्षण करेंगे. हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ प्राइवेट नर्सिंग एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में बदलाव कर दिया. जिसके बाद हाई कोर्ट को जांच के लिए फिर से कमेटी बनाने का आदेश दिया था. इस आदेश पर नर्सिंग काउंसिल ने 30 सदस्यों की जांच कमेटी बनाई .कमेटी ने अंचल में संचालित 200 कॉलेजों का निरीक्षण किया. जिसकी रिपोर्ट नर्सिंग काउंसिल ने हाईकोर्ट को पेश की थी. रिपोर्ट के आधार पर 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई है.