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आशीष मालवीय, Ashoknagar. मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए खरीदी केंद्र बनाए हैं। लेकिन खरीदी केंद्रों पर किसानों की उपज नहीं खरीदी जा रही है। अशोकनगर के खरीदी केंद्र पर सर्वेयर ने किसानों का गेहूं चमकहीन बताकर खरीदने से इनकार कर दिया। सर्वेयर का कहना था कि गेहूं में चमक नहीं है, इसलिए इसे खरीदा नहीं जाएगा। जबकि किसानों का गेहूं खराब नहीं था। इसके बाद भी सर्वेयर ने गेहूं नहीं खरीदा।
किसानों ने कलेक्ट्रेट में लगाया गेहूं का ढेर
सर्वेयर के गेहूं नहीं खरीदने पर किसान नाराज हो गए और अपना अनाज लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। किसानों ने कलेक्ट्रेट के मेन गेट पर गेहूं का ढेर लगा दिया। किसानों ने बताया कि खरीदी केंद्र पर अच्छी उपज को भी चमकहीन बताकर खरीदा नहीं गया। उनका गेहूं FCI और खरीदी केंद्र पर बिक नहीं रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस-प्रशासन ने किसानों को समझाने की कोशिश की। इस दौरान किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच हल्की नोक-झोंक भी हुई। पुलिस-प्रशासन ने किसानों को समझाइश दी, जिसके बाद किसानों ने प्रदर्शन खत्म किया। कलेक्ट्रेट में फैले गेहूं को वापस ट्रॉली में भरा गया।
गेहूं की चमक क्यों खो जाती है ?
जब गेहूं की फसल पकने वाली होती है या पककर तैयार हो जाती है। अगर उस वक्त गेहूं की फसल बेमौसम बारिश की चपेट में आ जाती है। तो गेहूं की चमक पर प्रभाव पड़ता है। गेहूं का दाना उतना ज्यादा चमकीला नहीं रह जाता है। बाजार में चमक वाले गेहूं की कीमत ज्यादा होती है। वहीं चमकहीन गेहूं कम दाम में बिकता है।
राशन दुकानों से बांटा जाता है चमकहीन गेहूं
सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हर साल 1 करोड़ 11 लाख परिवारों को लगभग 32 लाख मीट्रिक टन गेहूं और चावल बांटती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन राशन हर महीने मुफ्त दिया जाता है। राशन दुकानों से मुफ्त में दिया जाने वाला गेहूं चमकहीन होता है। क्योंकि इसे लंबे वक्त तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता। इसलिए हर महीने राशन दुकानों से लोगों को चमकहीन गेहूं बांट दिया जाता है।