द सूत्र की पड़ताल में खुलासा: मंत्री और IAS अफसर ने करवाए थे रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी?

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द सूत्र की पड़ताल में खुलासा: मंत्री और IAS अफसर ने करवाए थे रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी?

भोपाल. देश और प्रदेश में जब कोरोना की दूसरी लहर में हाहाकार मचा था। लोग अपनों की जान बचाने के लिए रेमडेसिविर को संजीवनी मानकर एक-एक इंजेक्शन के लिए मारे-मारे फिर रहे थे । उस वक्त स्वास्थ्य महकमे में ही इस जीवनरक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी का खेल चल रहा था। वह भी राजधानी भोपाल (bhopal) के सबसे बड़े हमीदिया (hamidia) अस्पताल में। यहां के सेंट्रल ड्रग स्टोर से चोरी- छिपे सरकार के एक मंत्री को रेमडेसिविर (remdesivir) इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे थे। इसी गोलमाल के चलते 16 अप्रैल को हमीदिया से 863 इंजेक्शन चोरी हो जाने का मामला सामने आया और इसकी जांच भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। जो साढ़े चार महीने की जांच के बाद भी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। लेकिन द सूत्र की टीम ने इस मामले की तह में जाकर वो तथ्य ढूंढ निकाले हैं जिनसे पता चलता है कि रेमडेसिविर गायब होने के पीछे सरकार के एक मंत्री और आईएएस अफसर की खास भूमिका रही है।

स्टिंग में खुलासा

द सूत्र की टीम ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए सबसे पहले हमीदिया अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया और स्टोर में उस वक्त पदस्थ कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की। लेकिन सभी ने कैमरे के सामने चुप्पी साध ली। लेकिन जब रिपोर्टर ने खुफिया कैमरे की मदद से उनसे दोबारा संपर्क किया तो इस गोलमाल से जुड़े कुछ कर्मचारियों ने सच उगल दिया।  डॉ आईडी चौरसिया ने बताया कि क्राइम ब्रांच (Crime branch) ने सेंट्रल ड्रग स्टोर से जो डायरी जब्त की है उसमें कर्मचारी तुलसीराम एंट्री करता था। उसने डायरी में स्टोर से इश्यू किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मंत्री का नाम लिखा है।

100-150 इंजेक्शन भेजे गए

रिपोर्टर ने जब तुलसीराम से बात की तो उसने बताया कि उसे साहब ने मंत्री के यहां इंजेक्शन पहुंचाने के लिए कहा था। अधीक्षक आईडी चौरसिया का फोन स्टोर प्रभारी संजीव जयंत के पास आता था। वो उन्हें बताते थे कि मंत्री जी  के यहां इंजेक्शन भेजने है। लिहाजा डायरी में नोट करने के बाद इंजेक्शन इश्यू कर देता था। इस तरह करीब 100-150 इंजेक्शन (Hamidia remdesivir) मंत्री जी के नाम पर स्टोर से दिए गए थे।

मंत्री को बचाने की कोशिश

दरअसल इस मामले में दो अलग-अलग जांच चल रही हैं।  एक जांच हमीदिया के डॉ एके जैन की अध्यक्षता में गठित कमेटी विभागीय जांच कर रही है। दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच की जांच चल रही है। लेकिन इन दोनों जांचों में संबंधित मंत्री को बचाने की कवायद की जा रही है। गांधी मेडिकल कॉलेज  के डीन डॉ. जितेन शुक्ला और क्राइम ब्रांच ASP गोपाल धाकड़ इस मामले में मंत्री के शामिल होने की बात से साफ इंकार कर रहे हैं।

पुलिस के लिए फांस बनी जांच

अस्पताल प्रशासन और क्राइम ब्रांच अब दोनों ही दावा कर रहे हैं कि इंजेक्शन चोरी ही नहीं हुए थे। रिपोर्ट दर्ज किए जाने के बाद स्टोर रूम में ही मिल गए। लेकिन अभी भी पूरे इंजेक्शनों की रिकवरी नहीं हो पाई है क्योंकि 150 से ज्यादा इंजेक्शन तो मंत्री को भेजे गए थे।  अब उनका रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। यहीं वजह है कि जांच पूरी नहीं हो पा रही है।

नहीं लग पाएगा खात्मा

कोरोना काल में संजीवनी बने रेमडेसिविर इंजेक्शन की चोरी के मामले में खात्मा लगाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur highcourt) के आदेश के बाद ऐसा कर पाना मुश्किल हो गया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को सेक्शन 173 के तहत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

मंत्री के खास आदमी की स्टोर में वापसी

मामला सामने आते ही स्टोर प्रभारी संजीव जयंत, कर्मचारी आरपी कैथल, तुलसीराम पाटनकर और अल्केंद्र दुबे को हटा दिया गया था। लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही स्टोर में अल्केंद्र की वापसी हो गई है। बताया जा रहा है कि अल्केंद्र संबंधित मंत्री  का खास आदमी है। लिहाजा 11 अगस्त को आदेश जारी कर दिए गए।

10 बिंदुओं में समझिए पूरा घटनाक्रम

1. 17 अप्रैल 2021 को सेंट्रल स्टोर से 863 इंजेक्शन गायब हो गए थे।
2. स्टोर प्रभारी डॉ संजीव जयंत ने कोहेफिजा थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
3. अस्पताल अधीक्षक आईडी चौरसिया, स्टोर प्रभारी डॉ. संजीव समेत पांच कर्मचारियों को पद से हटाया गया।
4. आनन-फानन में क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई जांच।
5. क्राइम ब्रांच ने 35 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की।
6. 20 अप्रैल को पुलिस ने बताया कि 400 इंजेक्शन अस्पताल में ही मिल गए है।
7. 21 जून 2021 को जबलपुर हाईकोर्ट ने रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी की जांच पूरी करने के आदेश दिए । 
8. कोर्ट ने पुलिस को सेक्शन 173 के तहत रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
9. याचिकाकर्ता और कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कोर्ट को बताया नेता और नौकरशाहों के इशारे पर चोरी कराई गई थी।
10. मसूद का आरोप है कि क्राइम ब्रांच इस मामले में खात्मा लगाना चाहती है।

क्राइम ब्रांच ने अपराधियों की तरह पीटा

चोरी की जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने हमीदिया के 16 कर्मचारियों को हिरासत में लिया था। स्टोर से जुड़े कर्मचारियों के साथ एंबुलेंस ड्राइवर भी शामिल थे। एक कर्मचारी ने बताया कि सभी को बुरी तरह पीटा गया था। क्राइम ब्रांच चाहती थी कि कर्मचारी कबूल कर लें कि उन्हीं ने इंजेक्शन चोरी किए है। इन लोगों के घरों पर छापामार कार्रवाई की गई थी।

इंजेक्शन का रिकॉर्ड गड़बड़ाया- डीन

मामले में डीन डॉ. जितेन शुक्ला का कहना है कि स्टोर में इंजेक्शन के इन्वेंटरी मैनेजमेंट में हुई गड़बड़ी की वजह से घटना हुई है। हमीदिया के सेंट्रल ड्रग स्टोर से पूरे प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई हो रहे थे। ऐसे में रिकॉर्ड गड़बड़ा गया।

झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई- ASP धाकड़

क्राइम ब्रांच के एएसपी गोपाल धाकड़ बताते हैं कि हमीदिया में चोरी हुई ही नहीं थी। थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। स्टोर के कर्मचारियों ने ही ग्रिल काटकर क्राइम सीन बनाया। बाद में 400 इंजेक्शन मिल भी गई। हाईकोर्ट के आदेश पर धाकड़ ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी।

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