Jabalpur.अमर शहीद बिरसा मुण्डा को उनकी 122वीं पुण्यतिथि पर जबलपुर में भी याद किया गया। अखिल भारतीय आदिवासी शबरी महासंघ के सदस्यों ने अधारताल तिराहे पर स्थित बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर पूर्व मंत्री कौशल्या गोंटिया भी कार्यक्रम में मौजूद रहीं। उन्होने अपने संबोधन में बिरसा मुण्डा द्वारा जल, जंगल जमीन की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष को याद दिलाते हुए लोगों से पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करने साथ ही उन्हें वृक्ष में परिवर्तित होने तक संजोने की अपील की। इस अवसर पर श्वेता वाजपेयी, अनीता गोंटिया, रोशनलाल कोल, जेठूलाल कोल, सुमित्रा समेत बड़ी संख्या में महासंघ के सदस्यों ने शिरकत की।
3 साल तक अंग्रेजों से लिया था लोहा
बिरसा मुण्डा के बारे में जो तथ्य उपलब्ध हैं उनके अनुसार झारखण्ड में पड़े भीषण अकाल के दौरान विषम परिस्थितियों में वे जननायक के तौर पर उभरे थे। जो अंग्रेजों को रास नहीं आ रहा था। अंग्रेजों के दमन के खिलाफ बिरसा ने अपने समर्थकों के साथ 1897 से लेकर 1900 तक अनेक छोटे बड़े संघर्ष किए। जिनके हर मर्तबा अंग्रेजी सैनिकों को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि अंत में एक संघर्ष के दौरान मुण्डा गिरफ्तार हो गए और 9 जून को रांची जेल में उन्होने अंतिम सांस ली। कहा यह भी जाता है कि अंग्रेजों ने उन्हें जहर देकर मार डाला था।