Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार से यह सवाल किया है कि उप सरपंच, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष पदों पर महिला आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। एक जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने पंचायत एवं सामाजिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त और कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी।
जबलपुर निवासी पूर्व सरपंच मीना बाई बर्मन की ओर से दायर याचिका पर अधिवक्ता सृष्टि कश्यप ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में वर्ष 1994 से मप्र पंचायत राज अधिनियम लागू है। उन्होंने बताया कि 1995 से नियमानुसार महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में 50 फीसद आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। दलील दी गई कि पंच, सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्षों के पदों पर महिलाओं को समान रूप से आरक्षण मिल रहा है, लेकिन उपसरपंच, उपाध्यक्ष पद पर महिलाओं को यह आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का खुला उल्लंघन बताया। यह तर्क भी दिया गया कि उक्त पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण दिया गया है। मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार व अन्य से जवाब पेश करने कहा है।
बरगी विस चुनाव याचिका पर गवाही देने पहुंचेंगे नरसिंहपुर कलेक्टर
बरगी विधानसभा से कांग्रेस विधायक संजय यादव के निर्वाचन को चुनौती देेने वाली याचिका पर तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी और वर्तमान में नरसिंहपुर कलेक्टर रोहित सिंह तथा तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी गुरूवार को गवाही देने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होंगे। जस्टिस वीरेंदर सिंह की सिंगल बेंच के समक्ष इनके बयान दर्ज होंगे व प्रतिपरीक्षण भी किया जाएगा।
जितेंद्र अवस्थी की ओर से दायर चुनाव याचिका में कहा गया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अंतिम तिथि को नामांकन पत्र भरने जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें कलेक्ट्रेट के बाहर करवा दिया। जिसकी वजह से वे नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर पाए थे। जिसके चलते इस मामले में अधिकारीद्वय की गवाही काफी महत्वपूर्ण है।