मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी की अपरंपार लीला, टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर 30 से ज्यादा छात्रों का सुधारा जाएगा रिजल्ट

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Rajeev Upadhyay
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मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी की अपरंपार लीला, टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर 30 से ज्यादा छात्रों का सुधारा जाएगा रिजल्ट

Jabalpur. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में एक के बाद एक परीक्षा और रिजल्ट संबंधी कारनामे सामने आते रहते हैं। ताजा मामला ईसी बैठक में लिए गए उस निर्णय का है जिसमें 30 से ज्यादा स्टूडेंट्स के रिजल्ट को टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर सुधारने का निर्णय लिया गया है। चर्चा यह छिड़ गई है कि एकाध दो छात्रों के रिजल्ट में टाइपिंग मिस्टेक होती तो बात गले भी उतर जाती। 30 से ज्यादा रिजल्ट में टाइपिंग मिस्टेक कैसे हो गई। वहीं रिजल्ट बनाने वाले उस महान स्टेनोग्राफर पर क्या कार्रवाई होगी इस बात की ईसी बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई। 





पहले भी हो चुका है नंबर बढ़वाने का खेल





दरअसल किसी और विश्वविद्यालय में यह सब होता तो शायद कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा नहीं होता लेकिन मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में इससे पहले कई ऐसे कांड हो चुके हैं। सबसे बहुचर्चित कांड तो रिजल्ट बनाने वाली निजी कंपनी के कर्मचारियों से सांठगांठ कर रिजल्ट में नंबर बढ़वाने वाला ही था। 





अनुपस्थित स्टूडेंट्स को भी कर दिया गया था पास





इससे पहले मेडिकल यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड कॉलेजों में ऐसे स्टूडेंट्स को भी पास कर दिया गया था जो पेपर के दौरान अपसेंट थे। उक्त पेपर में जब बड़ी तादाद में छात्रों को एटीकेटी आई तो उन्होंने ही इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। तब भी प्रबंधन ने क्लैरिकल मिस्टेक होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया था। 





सारी गलतियां इसी विश्वविद्यालय में क्यों हो रहीं?





छात्र हितों से जुड़े संगठनों का कहना है कि इस तरह की तमाम क्लैरिकल मिस्टेक और टाइपिंग मिस्टेक इसी विश्वविद्यालय में क्यों हो रही हैं। शहर में और भी विश्वविद्यालय हैं जहां इस तरह की गंभीर गलती नहीं होती। यहां तो छात्रों को डॉक्टर बनाया जाता है, जिसके लिए छात्रों के परिजन लाखों रुपए की फीस भरते हैं। ऐसे में मेडिकल यूनीवर्सिटी की ईसी बैठक में 30 से ज्यादा छात्रों के रिजल्ट में टायपिंग मिस्टेक और उसके बाद रिजल्ट को सुधारने का फैसला सवालों के घेरे में आ गया है। 





गलती करने वाले कॉलेजों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई





कॉलेजों द्वारा गंभीर से गंभीर गलतियां की जा रही हैं और डॉक्टर बनाने वाले संस्थानों में ऐसी गलतियां होना बताता है कि प्रबंधन कितना गंभीर है। वहीं इतनी बड़ी मात्रा में टाईपिंग मिस्टेक में सांठगांठ होने के सवाल उठना भी लाजमी है। ऐसे में उक्त कॉलेजों पर क्या कार्रवाई की जानी है इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।



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