Jabalpur. वो कहावत है ना कि दिया तले अंधेरा होता है। लेकिन जबलपुर में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का यह आलम है कि उन्हें सूरज की तेज रोशनी में भी रतौंधी की शिकायत रहती है। हम बात कर रहे हैं जबलपुर जिला अस्पताल स्थित सीएमएचओ कार्यालय की। जी हां अभी जबलपुर में निजी अस्पताल में हुए दर्दनाक अग्निकांड को बीते हफ्ता भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन उससे प्रशासन ने कोई सबक लिया है या नहीं आप जबलपुर जिला अस्पताल के हाल जानकर ही समझ जाऐंगे।
शुक्रवार को जब जिला कलेक्टर इलैयाराजा टी ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया तो उन्हें इस हद दर्जे की लापरवाही का पता चला। दरअसल जिला अस्पताल में आगजनी की घटना से बचाव के लिए जो अग्निशामक रखे हुए थे। उनमें एक्सपायरी और रिफलिंग डेट निकल जाने के बाद पुराने लेबल पर ही एक्सपायरी की तारीख बदलकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जा रहा था। इस गफलत से नाराज कलेक्टर ने जिला अस्पताल और सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारियों की क्लास ले डाली और जल्द से जल्द जिला अस्पताल का फायर ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आकस्मिक स्थिति से निपटने अस्पताल की विद्युत आपूर्ति और अग्निशमन व्यवस्थाओं को दुरूस्त रखने की हिदायत भी दी गई।
4 और निजी अस्पतालों के पंजीयन किए गए निरस्त
जबलपुर में हुए हादसे के बाद फायर एनओसी नहीं होने और अन्य मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले 4 और निजी अस्पतालों के पंजीयन सीएमएचओ ने निरस्त कर दिए हैं। इन अस्पतालों में डॉ.खान ईएनटी हॉस्पिटल सिविल लाइन, तिगनाथ हॉस्पिटल राइट टाउन, लाइफलाइन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल सुहागी और आयुष्मान हॉस्पिटल सिहोरा शामिल हैं। सीएमएचओ डॉ संजय मिश्रा ने चारों अस्पतालों में नए मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगा दी है। जबलपुर में हुए हादसे के बाद अब तक 29 अस्पतालों की मान्यता रद्द की जा चुकी है।