देव श्रीमाली, Gwalior. यूं तो कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की उनके समर्थकों की फौज के साथ हुई एंट्री के बाद से ही अंचल में भाजपा दो घटकों में बंटी नजर आ रही है। भाजपा और महाराज की भाजपा। लेकिन अब भाजपा के अंदर ही गुटबाजी परवान चढ़ने लगी है। मामला हाईकमान तक पहुंच चुका है।
बीजेपी में बीते महीने हुई 3 घटनाएं
पहली घटना एक कार्यक्रम में हुई जब पार्टी की जिला शहर इकाई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मंच पर प्रदेश कार्य समिति सदस्य जय प्रकाश राजौरिया बैठ गए। राजौरिया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद वीडी शर्मा के नजदीकी बताए जाते हैं। कार्यक्रम में कई कार्यकरिणी सदस्य मौजूद थे। एक सदस्य के मंच पर बैठने के बाद सुगबुगाहट शुरू हुई तो वरिष्ठ नेता राजेश सोलंकी ने इस पर आपत्ति की तो राजौरिया ने अनदेखी की। जब राजेश ने उनसे सीधे कहा कि मंच पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अपेक्षित नहीं हैं तो वहां कुछ अप्रिय शब्द बोले। सोलंकी संघ से आए नेता हैं। उनके पिता कप्तान सिंह सोलंकी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष में रहे हैं। इसके बाद वे प्रदेश भाजपा के शक्तिशाली संगठन महामंत्री रहे और उमा भारती और फिर बाबूलाल गौर की सरकार के समय वे प्रदेश के ताकतवर नेता थे। इसके बाद संघ ने पहले उन्हें राज्यसभा भेजा और फिर हरियाणा समेत दो राज्यों का गवर्नर बनाया। सार्वजनिक रूप से अपमानित हुए सोलंकी वहां तो कुछ नहीं बोले लेकिन उन्हें संघ और भाजपा दोनों के शीर्ष नेताओं तक घटनाक्रम पहुंचाया। हालांकि अभी तो इसका असर नहीं दिख रहा लेकिन सूत्रों की मानें तो आगे बढ़ा असर दिखेगा।
संगठन में तकरार
उधर बीजेपी की जिला इकाई में भी सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। मंडल अध्यक्ष इस बात से खफा हैं कि नियुक्तियों में उनको कोई पूछ ही नहीं रहा। अपनी नाराजगी दिखाने के लिए शहर बीजेपी के 8 में से 6 मंडल अध्यक्षों ने सर्किट हाउस पर बैठक ही कर डाली। उन्होंने निर्णय लिया कि आगे वे कोई काम नही करेंगे। इसकी खबर जब बीजेपी के जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी को लगी तो भी दौड़े-दौड़े वहां पहुंचे और समझा-बुझाकर मामला शांत किया। लेकिन कहते हैं अभी सिर्फ दरारों पर कागज ही चिपके हैं, लावा अभी खदबदा रहा है। उधर प्रदेश कार्य समिति में ग्वालियर में अनेक नेता शामिल हैं लेकिन जिला पदाधिकारी सिर्फ दो कार्यकारिणी सदस्यों को तवज्जो दे रहे हैं। इस बात की शिकायत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक भिजवाई गई है।
अपनी ढपली, अपना राग
उधर मंडल अध्यक्ष भी अपनी ढपली पर अपना राग अलाप रहे हैं जिससे पार्टी का अनुशासन तार-तार हो रहा है। एक मामला भगत सिंह मंडल का है। यहां के मंडल अध्यक्ष हरिओम ओझा ने अपने दो पदाधिकारियों को सीधे ही उनके पदों से बर्खास्त कर दिया जबकि इनकी नियुक्ति और हटाने का अधिकार उन्हें है ही नहीं। निकाले गए पदाधिकारियों ने ये बात जिला अध्यक्ष माखीजानी को बताई तो उन्होंने इसकी सूचना प्रदेश को दी। प्रदेश ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है। इस मामले को जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी स्वीकारते हैं। उनके अनुसार मामले की जानकारी प्रदेश को देकर उनका अभिमत मांगा है। जैसे ही वरिष्ठ नेताओं के निर्देश मिलेंगे जिम्मेदार लोगों पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।