Rewa. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मध्यप्रदेश के 52 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण 31 मई को पूर्ण कर लिया गया है। ऐसे में रीवा जिले का अध्यक्ष पद एसटी महिला (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित है। आरक्षण के बाद कई नेताओं के सपनों पर पानी फिर गया। 23 साल बाद एसटी महिला जिला पंचायत अध्यक्ष होगी। इसके पहले 1999 में एसटी पुरुष था।
कई नेताओं के सपनों पर फिरा पानी
रीवा में जिला पंचायत सदस्य के 32 वार्डों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए वार्ड क्रमांक-1, वार्ड क्रमांक-20, वार्ड क्रमांक-23, वार्ड क्रमांक-31 और वार्ड क्रमांक-32 निर्धारित हैं। इनमें से वार्ड क्रमांक-1, वार्ड क्रमांक-20 और वार्ड क्रमांक-32 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में इन्हीं 3 वार्डों से जीतने वाला प्रत्याशी रीवा का जिपं अध्यक्ष बनेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे सामान्य वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के नेताओं के सपनों पर पानी फिर गया है। सालों से कई नेता पुत्र जिला पंचायत का चुनाव लड़कर अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन 31 मई को नए तरीके से हुए आरक्षण ने सभी के अरमानों पर पानी फेर दिया। अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के कई नेता चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी में थे। उम्मीद थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष सामान्य सीट होगी। ऐसे में सदस्य बनने के बाद अध्यक्ष का ताज पहन लेंगे पर सब-कुछ उल्टा हो गया।
अब तक की स्थिति
त्रिस्तरीय पंचायत राज के गठन के बाद पहले चुनाव में अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग कोटे में था और 1994 में कांग्रेस की मंजूलता तिवारी जिला पंचायत की पहली अध्यक्ष चुनी गई थीं। इसके बाद 1999 में कांग्रेस के ही नत्थूलाल आदिवासी अध्यक्ष बने थे और तीसरी बार एससी कोटा होने पर बबिता साकेत अध्यक्ष चुनी गईं। इसके बाद महिला पिछड़ा वर्ग होने पर माया सिंह पटेल बीजेपी से अध्यक्ष चुनी गईं और 2014 में दिलचस्प मुकाबला रहा। सामान्य होने पर अभय मिश्रा जिला पंचायत अध्यक्ष बने। पहले बीजेपी के पाले में थे और बाद में कांग्रेस के हो गए।