सिंगरौली में 98 लाख की लागत से बनी सड़क की गुणवत्ता पर उठे सवाल, महज 6 महीनों में उखड़ गई सड़क

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The Sootr CG
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सिंगरौली में 98 लाख की लागत से बनी सड़क की गुणवत्ता पर उठे सवाल, महज 6 महीनों में उखड़ गई सड़क

अरविंद मिश्र, SINGRAULI . मध्य प्रदेश में एक तरफ बीजेपी की शिवराज सरकार शहर से लेकर गांवों तक विकास की गंगा बहाने का दावा ठोकती रहती है तो वहीं दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर विकास कार्यों को गति दे रहे विभागीय अफसर है कि उस पर पलीता लगाने में जुटे हुए हैं।हम बात कर रहे हैं सिंगरौली जिले की, जिसको सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने खुद गोद ले रखा हैं। लेकिन यहां के भ्रष्ट अधिकारियों की उदासीन कार्यप्रणाली रवैये के चलते जिले में हो रहे सभी विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं। 



लाखों की लागत से बना रोड जर्जर



नगर निगम सिंगरौली के वार्ड क्रमांक 45 में पर्यावरण प्रदूषण विभाग के ऑफिस की तरफ जाने वाला लाखों रुपये की लागत से नौगढ़ कृष्णविहार से भकुआर तक बनी सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि सड़क बनने के चंद दिनों बाद ही टूट गई थी, जिसे कई बार रिपेयर भी किया जा चुका है। जानकारी तो यहां तक मिली है कि नगर निगम के बनाये गए गुणवत्ताविहीन सड़क के बार-बार टूटने से ग्रामीणों ने थक हार कर इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की। जिनके हस्तक्षेप के बाद हरकत में आया नगर प्रशासन ने सड़क का निरीक्षण करते हुए संविदाकार को फिर से सड़क ठीक करने की नसीहत दी। हैरत की बात तो यह है कि निरीक्षण-परीक्षण की कवायद के बाद भी कुछ नहीं बदला, आज हालात यह है कि यह सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, रोड चलने लायक नहीं रहा। लाखों रुपए की लागत से बनाई गई इस सड़क को भ्रष्टाचार का दीमक अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।



निर्माण कार्य को लेकर वार्ड पार्षद ने जताई नाराजगी



नवनिर्वाचित वार्ड पार्षद रामगोपाल पाल ने बताया कि नगर निगम ने लगभग 98 लाख रुपये की लागत से सड़क बनाई थी। इस रोड का काम मेमालाल शाह और सत्या इंटरप्राइजेज ने किया। पार्षद का कहना हैं कि नौगढ़ कृष्णविहार से पर्यावरण ऑफिस और पर्यावरण ऑफिस से कचनी तक यानी 3 किलोमीटर की सड़क के निर्माण में भारी धांधली हुई हैं। सड़क बनने के बाद कई बार टूट चुकी हैं। इसको लेकर आवाज भी उठाई गई, लेकिन भ्रष्ट तंत्र ने एक भी नहीं सुनी। आज हालात यह हैं कि 45 नंबर वार्ड ही नहीं बल्कि जांच हो तो वार्ड क्रमांक 1 से 45 तक पूरे वार्डों में हाहाकार मचा हुआ है। रोड,नाली-पुलिया का कहीं पता ही नहीं है। रोड 6 महीने के अंदर ही वगैर बरसात के उखड़ गई, नाली टूट गई, पुलिया बह गई अधिकारियों और ठेकेदारों ने आपस में मिलकर नगर निगम के करोड़ों रुपयों का गबन कर लिया।



सड़क की हो निष्पक्षता से जांच



गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करते हुए वरिष्ठ समाज सेवी अरुण सिंह ने कहा कि सड़क, नाली,पुलिया निर्माण में गड़बड़ी नगर निगम के लिए कोई नई बात नहीं हैं। ठेकेदार करोड़ों की लागत से बनने वाली सड़कों में घटिया मेटेरियल का इस्तेमाल करते हैं, नतीजन निर्माण के कुछ महीनों बाद ही सड़कें जर्जर हो जाती हैं और यह सब जिम्मेदारों के देखरेख में होता है, जिसके एवज में ठेकेदार नगर निगम के जिम्मेदारों को एक मोटी रकम अदा करते हैं। ग्रामीणों और समाज सेवियों ने जिला प्रशासन से 98 लाख की लागत से बनी नौगढ़ कृष्णविहार कॉलोनी से पर्यावरण ऑफिस तक की सड़क का निष्पक्षता से जांच कराने की मांग की है और दोषियों पर कार्रवाई की अपील करते हुए फिर से सड़क निर्माण कराने को कहा है।


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