बाढ़ का प्रकोप,चम्बल के निचले इलाकों के गाँव का सड़क से कटा संपर्क , राहत पहुंचाना भी मुश्किल

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Dev Shrimali
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बाढ़ का प्रकोप,चम्बल के निचले इलाकों के गाँव का सड़क से कटा संपर्क , राहत पहुंचाना भी मुश्किल


ग्वालियर. राजस्थान से लगातार पानी छोडे जाने के कारण चम्बल और उसकी सहायक नदियों का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है साथ ही श्योपुर ,मुरैना और भिंड जिला प्रशासन की भी चिंताएं बढ़ रही है क्योंकि पानी चम्बल के आसपास निचले इलाके में बसे गाँव को जलमग्न करता हुआ आगे बढ़ रहा है। मुरैना  जिले के पैंतीस गाँव का तो अब तक जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका  है। ऐसी हालत बाकी जिलों में भी है और दिक्कत ये है कि इन गाँव में फंसे लोगों को निकालना और इन तक राहत सामग्री पहुंचना भी कड़ी चुनौती बनी हुई है।



राजघाट पुल पर लगातार बढ़ रहा है जल स्तर




राजस्थान बाँध से लगातार पानी छोड़े  जाने से चम्बल  नदी में उफान बढ़ता ही जा रहा है। राजघाट का पुराना पुल तो दो दिन पहले ही डूब गया था ,हालाँकि अब इसका इस्तेमाल आवागमन के लिए नहीं होता है इसके लिए नए पुल बन चुके हैं, लेकिन यहाँ लगातार जल स्तर में  बढ़ोतरी होती जा रही है और पानी खतरे के निशान से छह मीटर  ऊपर बह रहा है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक आज सुबह यह स्तर  146. 20 मीटर तक पहुँच चुका था जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है।



राहत सामग्री पहुंचना मुश्किल



डूब बाले इलाकों में रास्ते में पढ़ने वाले सभी नदी -नाले और रास्ते  जलमग्न हो गए हैं और गाँव में पानी भर गया है।  लोग ऊंचे टीलों पर जाकर रह रहे हैं या फिर अपने घरों की छतों पर खड़े होकर रात गुजार रहे हैं। मुरैना जिले के अमलीपुरा ,जुगरूआ पुरा ,सबलगढ़ में चंबल नदी के किनारे बसे मदनपुरा ,चोखेपुरा ,बटेश्वरा ,पोरसा खुर्द सहित इस अंचल के अनेक गाँव में कच्चे महान ढह गए हैं लोग पक्के मकानों की छत पर शरण लिए हुए हैं। हालाँकि प्रशासन की टीमें और समाजसेवी मदद के लिए आगे आये है लेकिन इन तक राहत सामग्री पहुंचा पाना मुश्किल हो रहा है। बाढ़ में  डूबे सैकड़ों लोगों को वहां से निकालकर अब तक राहत केम्पों में भेजा जा चुका है लेकिन वहां तक वाहन नहीं पहुँच प् रहे है हैं। इन तक खाने का सामन और दबाइयाँ पहुंचाने के लिए दुपहिया वाहनों की मदद लेनी पड़  रही है



कल सीएम ने लिया था हालातों का जायजा



मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कल हेलीकॉप्टर से अंचल के बाढ़ के हालातों का एरियल सर्वे कर जायजा लिया था उसके बाद मुरैना जिले के राहत शिविरों में कार से पहुंचकर वहां रह रहे ग्रामीणों से वस्तुस्थिति जानी थी और उन्हें हर तरह की सहायता करने का भरोसा भी दिलाया था।  उन्होंने अधिकारियों को भी राहत और बचाव कार्य मुस्तैदी और संवेदनशीलता के साथ करने के निर्देश भी दिए थे।


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