एक विभाग पांच करोड़ लिए बैठा रहा दूसरे ने टेंडर जारी कर छीन ली सड़क  

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एक विभाग पांच करोड़ लिए बैठा रहा
दूसरे ने टेंडर जारी कर छीन ली सड़क  

एक सड़क, दो मालिक



एक विभाग पांच करोड़ लिए बैठा रहा

दूसरे ने टेंडर जारी कर छीन ली सड़क  



-प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर तक बनना है 



ललित उपमन्यु

इंदौर

सड़क एक और मालिक दो। एक विभाग पांच करोड़ रुपए का प्रावधान कर कागज दौड़ाता रहा तब तक दूसरे ने उसके लिए टेंडर जारी कर निर्माण एजेंसी भी तय  कर दी। 

सड़क है ख्याति प्राप्त खजराना गणेश मंदिर से कनाड़िया रोड तक की। कुल छह किलो मीटर लंबी इस सड़क के लिए पीडब्ल्यूडी ने पांच करोड़ रुपए का प्रावधान कर कागजी कार्रवाई शुरू की थी। इसी बीच इंदौर नगर निगम ने इस सड़क को न केवल अपने बजट में शामिल कर बनाने की घोषणा कर दी, बल्कि टेंडर भी जारी कर दिए और निर्माण एजेंसी भी तय कर दी। पीडब्ल्यूडी का प्रावधान अब प्रावधान ही रह जाएगा।



दो सड़कों पर भी हो चुकी जंग



इससे पहले भी दो सड़कों पर जंग हो चुकी है। एक सड़क बड़ा बांगड़दा क्षेत्र में बनना थी। तब तो पीडब्ल्यूडी और नगर निगम दोनों ही टेंडर जारी कर सड़क बनवाने की तैयारी शुरू कर दी थी। जब एक ही सड़क के लिए दो विभागों का क्लैश होने लगा तो बैठकों और समाधान का दौर चला । तब नगर निगम ने पैर पीछे खींच लिए थे। खजराना वाली सड़क के मामले में पीडब्ल्यूडी पिछड़ गया। इसी तरह बांबे हॉस्पिटल से तुलसी नगर तक की सड़क भी किसी वक्त पीडब्ल्यूडी बनाने वाला था। बाद में उसमें इंदौर विकास प्राधिकरण की इंट्री हो गई । कुछ महीनों पहले ही सीएम ने इस सड़क के निर्माण का शुभारंभ किया है। अब आईडीए ही इसे बना रहा है। 



विभागों में तालमेल नहीं ,

राजनीति से होती है गफलत



दरअसल अपने क्षेत्र की सड़क बनाने के लिए क्षेत्रीय नेता सड़क निर्माण से जुड़े कई विभागों को एक साथ चिट्ठी लिख देते हैं। चूंकि चिट्ठी जन प्रतिनिधि की होती है सो विभाग भी त्वरित कार्रवाई करते हुए कागज दौड़ाने लगते हैं । जानकारों के मुताबिक ऐसी कोई व्यवस्था या प्रावधान भी नहीं है कि एक विभाग के निर्माण या योजनाओं की जानकारी दूसरे विभाग से साझा की जाए। सारे विभाग अपने-अपने कागज दौड़ाते रहते हैं और फिर एक मोड़ पर आकर आमने-सामने हो जाते हैं।


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