योगेश राठौर, INDORE. इंदौर में मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी जिला अस्पताल (Government District Hospital) है। यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री और देश के द्वितीय गृहमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत (Pandit Govind Ballabh Pant Hospital) के नाम पर अस्पताल का नाम है। करीब ढाई साल से यहां पर नया भवन (New Building Construction) बनाया जा रहा है। अस्पताल के नए भवन के लिए 25 करोड़ रुपए पास हुए थे, जो खत्म हो गए तो दोबारा अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई। भवन बनाने के लिए जो निर्धारित समय निश्चित किया गया था, वह भी खत्म हो चुका है इसलिए समय भी बढ़ाया गया है। इस निर्माण कार्य से मरीजों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य सड़क से अस्पताल भवन की दूरी काफी दूर है। लेकिन निर्माण कार्य के चलते रोड की हालत खराब है। डिलीवरी वाली महिला हो या गंभीर मरीज, सभी को कीचड़ से गुजरते हुए पैदल जाना पड़ता है क्योंकि अंदर वाहन नहीं जा पाते हैं। 28 जुलाई को एक शव को खाट पर रखकर पोस्टमार्टम (Post mortem) के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा था।
इसके बाद सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने तत्काल सड़क को ठीक करने के निर्देश दिए। खानापूर्ति के लिए सड़क पर मुरम और मिट्टी डलवा दी गई है। इसके बाद बयान जारी किया गया कि हमने रोड सुधरवा दी है। बयान में बताया गया कि कंपनी को नोटिस देकर चेतावनी भी दे दी गई है कि भविष्य में ऐसा नहीं किया जाए।
मरीज बोले ऑटो वाले बाहर ही उतार देते हैं
मरीज की परिजन ममता नामदेव बोलतीं हैं कि ऑटो वाले सड़क पर ही उतार देते हैं। डिलेवरी महिला तो आ ही नहीं पातीं हैं। बड़ी मुश्किल से लाते हैं। भवन दूर-दूर बने हैं, एक जगह पर्ची कटवाओ। रास्ते के नाम पर कुछ नहीं है। पानी गिर जाए तो आना मुश्किल हो जाता है।
महिला मरीज लीलाबाई बोलतीं हैं कि आंखों की रोशनी कम है, अंदर पैदल चल कर आने में समस्या होती है। रिक्शा वाले अंदर ही नहीं आते हैं।
मरीज अंकित बताते हैं बहुत हालत खराब है, पैदल ही कीचड़ से आना होता हैय़ शौचालय तक नहीं हैं। यूरिन सैंपल देना हैय़ शौचालय का पूछा तो बोला गया कि वहां पतरे लगे हैं, उधर ही जाकर कर लो।
फ्रीजर कमरे में बंद पड़ा है, शव रखने की जगह ही नहीं
समाजसेवा का काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि यहां फ्रीजर ही नहीं है। शव रखने की कोई जगह ही नहीं है। फ्रीजर आया था लेकिन प्रभारी डॉ. भरत वाजपेयी ने उसे कमरे में बंद करके रखा है। कई शव वैसे ही खराब हो जाते हैं। उधर मरच्यूरी प्रभारी डॉ. भरत वाजपेयी का कहना है कि अस्पातल के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूंय़ यहां हर साल 700-800 पीएम होते हैं। उसके बाद परिजन हाथों हाथ बॉडी ले जाते हैं। इसलिए यहां जरूरत नहीं पड़ती है।