भारत के रॉबिनहुड: जबलपुर से टंट्या भील की बलिदानी मिट्टी खंडवा के लिए हुई रवाना

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भारत के रॉबिनहुड: जबलपुर से टंट्या भील की बलिदानी मिट्टी खंडवा के लिए हुई रवाना

जबलपुर. जबलपुर (Jabalpur) सेंट्रल जेल में अमर क्रांतिकारी टंट्या भील (Tantya Bhil) को याद करने के लिए खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अमर शहीद टंट्या भील के बलिदान को याद करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल की पवित्र मिट्टी कलश में रखकर उनकी जन्मस्थली खंडवा (Khandwa) के लिए रवाना किया गया। जबलपुर की सेंट्रल जेल (Central Jail) आजादी के आंदोलन में बलिदानियों की पहचान है। इस जेल में भारत माता के कई वीर सपूर रहे हैं। सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) को अंग्रेजों ने इसी जेल में रखा था। इसी जेल में आदिवासियों के नायक टंट्या भील को भी फांसी दी गई थी। टंट्या भील को भारत का 'रॉबिनहुड' भी कहा जाता है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देश भर में आदिवासी जन नेताओं को याद किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava),जबलपुर सांसद राकेश सिंह (Rakesh Singh) समेत अनेक विधायक मौजूद रहे।

टंट्या भील बलिदान की गाथा

इस मौके पर प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि कई जननायक हैं, जिनके बलिदान की गाथाओं को इतिहास से अलग कर दिया गया। ऐसे ही जननायकों की स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को एक बार फिर आज की पीढ़ी के सामने लाया जा रहा है। गोपाल भार्गव ने बताया कि आज का दिन गौरवपूर्ण दिन है,जब हम जननायक टंट्या भील को याद कर रहे हैं। 
इस मौके पर सांसद सिंह ने कहा कि जबलपुर के इतिहास में यह गौरवशाली दिन है, क्योंकि टंट्या भील की शहीद स्थली से मिट्टी संग्रहण कर खंडवा को भेजी जा रही है। उनका आजादी की लड़ाई में जनजातियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है और जो स्थान उन्हें मिलना चाहिए वह नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों की पहचान कर उनका सम्मान किया जा रहा है। 

टंट्या भील का जबलपुर से नाता

आपको बता दें कि अमर शहीद टंट्या भील को जबलपुर की केंद्रीय जेल में 4 दिसंबर 1889 को फांसी दी गई थी। 12 साल तक अंग्रेजों से लड़ने वाले टंट्या भील जनजाति समाज के योद्धा थे। उनका जन्म 1840 में पूर्वी निमाड़ की पंधाना तहसील में हुआ था। जबलपुर सेंट्रल जेल से कलश में मिट्टी लेकर उनकी जन्मस्थली पर पहुंचाया जा रहा है और वहीं पर उनका एक भव्य स्मारक तैयार हो रहा है। उस स्मारक में इस पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा।  

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