संजय गुप्ता. Indore.प्रदेश में चौकियों पर ट्रकों से अवैध वसूली तो जारी है वहीं अब परिवहन विभाग मप्र का एक नया कारनामा सामने आया है। विभाग ने सार्वजनिक वाहनों (ट्रक, बस, स्कूल बस, टैक्सी आदि) पर व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग (वीएलटी) सिस्टम और पैनिक बटन को अनिवार्य किया है लेकिन यह सिस्टम लगाने के लिए दिल्ली और हरियाणा की कुल चार कंपनियों को ही इसके लिए अधिकृत किया है। यानि इन कंपनियों के सिवा अन्य किसी का सिस्टम लगा हुआ मिला तो आरटीओ से वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट ही जारी नहीं होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र ने देश भर में कुल 89 कंपनियों को इसके लिए अधिकृत किया हुआ है और साथ ही 25 अक्टूबर 2018 को जारी नोटिफिकेशन के बिंदु 4सी के तहत वाहन मालिकों को स्वतंत्रता दी हुई है कि वह अधिकृत किसी भी कंपनी से यह सिस्टम लगवा सकते हैं लेकिन मप्र ने यह स्वतंत्रता छीनते हुए अपनी मनचाही कंपनियों को ही अधिकृत कर दिया है।
दूसरी कंपनी साढ़े तीन हजार में तो यह दस हजार में लगा रही सिस्टम
इंटौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती बताते हैं कि अधिकांश वाहन मालिकों ने साल 2018 में आए केंद्र के नोटिफिकेशन के बाद से ही यह सिस्टम लगवा लिए थे। यह सामान्य तौर पर साढ़े तीन से चार हजार रुपए के बीच में पड़ता है लेकिन जिन कंपनियों को मप्र में अधिकृत किया गया है वह दस हजार में यह सिस्टम लगाने का बोल रही है। यह तो सरासर लूट है औऱ केंद्र के नोटिफिकेशन का उल्लंघन है।
इन कंपनियों को किया है अधिकृत
ट्रांसपोर्ट कमिशनर मप्र से जारी सर्कुलर में इन कंपनियों को अधिकृत किया गया है-
- एक्यूट कम्युनिकेशन सर्विस- दिल्ली
सबसे बडी कंपनी को ही नहीं किया अधिकृत
केंद्र ने देश में कुल 89 कंपनियों को अभी तक इस काम के लिए अधिकृत किया है, इसमें सबसे बडी कंपनी ब्लैकबॉक्स जीपीएस टेक्नोलॉजी मानी जाती है, अधिकांश वाहन चालकों ने इसी से ही यह वीएलटी सिस्टम लगवाया हुआ है। ट्रक ऑपरेटर्स का कहना है कि इस आदेश के कारण सभी मजबूर हो जाएंगे कि वह अपने पुराने सिस्टम को निकालकर फिर से वाहनों में दोगुनी कीमत वाले सिस्टम लगवाएं।