सिवनी में नगर पालिका द्वारा बनाए जा रहे कचरे के डंपिंग जोन के खिलाफ धरने पर बैठे ग्रामीण आदिवासी

author-image
Rajeev Upadhyay
एडिट
New Update
सिवनी में नगर पालिका द्वारा बनाए जा रहे कचरे के डंपिंग जोन के खिलाफ धरने पर बैठे ग्रामीण आदिवासी

Seoni,Vinod Yadav. कचरा और गंदगी है ही ऐसी चीज जिससे सभ्य समाज दूरी ही बनाना चाहता है, चाहे वो शहरी हो या फिर ग्रामीण। एक ऐसे ही मामले पर सिवनी जिले के छपारा थाना इलाके के गांव जूनापानी के आदिवासी ग्रामीण प्रशासन के खिलाफ आक्रोशित हैं। दरअसल गांव के पास ही नगर पालिका ने अपनी जमीन पर कचरा डंपिंग जोन प्रस्तावित कर रखा है। जहां कचरा फेंकना भी शुरू कर दिया गया है। 





बुधवार को ग्रामीणों ने तहसीलदार कार्यालय का घेराव किया और अपना शिकायती ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। इस दौरान एसडीएम सिद्धार्थ जैन और ज्ञापन देने पहुंचे ग्रामीणों के बीच तीखी बहस भी हुई। ग्रामीणों ने जब गांव के पास कचरा फेंके जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी तो एसडीओपी लखनादौन ने उन पर मुकदमा दर्ज करने की भी चेतावनी दे दी। 





publive-image





पहले भी कर चुके हैं जंगी प्रदर्शन





गांव के पास बनाए जा रहे कचरा डंपिंग जोन के खिलाफ ग्रामीण लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। इससे पहले ग्रामीणों ने नगर परिषद के कचरा डंपिंग जोन में ताला भी जड़ दिया था। लेकिन अब ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन छेड़ने की तैयारी कर ली है। बता दें कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ग्रामीणों की इस समस्या पर लड़ाई लड़ रही है। 





कचरा फेंकने पर अडिग प्रशासन





दरअसल सिवनी नगर पालिका ने शहर से दूर कचरा डंपिंग जोन काफी पहले से प्रस्तावित कर रखा था। लंबी प्रक्रिया के बाद नगर पालिका की इस जमीन पर शहर का कचरा फेंका जाना शुरू हुआ, लेकिन ग्रामीण कचरे की बदबू और इससे फैलने वाली बीमारियों के चलते परेशान हैं। दूसरी तरफ प्रशासन भी शासकीय योजना में अवैधानिक रूप से अड़ंगा लगाने वालों से सख्ती से निपटने की बात कह रहा है। प्रशासन की दलील है कि जमीन सरकारी है और उसका उपयोग सिवनी शहर की विकासोन्मुख योजना के तहत किया जा रहा है। पर ग्रामीण भी अपने गांव के पास कचरे के ढेर की मुसीबत खड़ी नहीं करने पर अड़े हुए हैं।



seoni सिवनी नगर पालिका CHHAPARA GARBEGE DUMPING ZONE JUNAPANI RURAL TRIBALS SDM SIDDHARTH JAIN कचरा डंपिंग जोन बदबू और बीमारियों के चलते परेशान छपारा गांव जूनापानी आदिवासी ग्रामीण