भोपाल। राजधानी के बड़े बिल्डर में शुमार सेज ग्रुप (sage group) के अग्रवाल कंस्ट्रक्शन (agrawal construction) ने अपने बहुप्रचारित सागर ग्रीन हिल्स (sagar green hills) प्रोजेक्ट में पेंट हाउस के नाम पर 16 अवैध फ्लैट बनाकर उनके सामने की छत भी बेच दी है। बड़े रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट (residencial project) में गड़बड़ी के इस मामले में विधानसभा (mp vidhansabha) में सवाल पूछे जाने पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (urban development and housing) के जवाब से खुलासा हुआ कि बिल्डर द्वारा अवैध रूप से बनाए गए अतिरिक्त फ्लैट एवं इनके सामने की छत बेचे जाने की जानकारी का रिकार्ड नगर निगम में उपलब्ध ही नहीं है। सेज ग्रुप रविवार, 30 जनवरी से नए ग्राहकों को लुभाने के लिए होम फेस्ट (sage home fest) का आयोजन कर रहा है। 6 फरवरी तक चलने वाले इस होम फेस्टिवल में खरीदारों के लिए फायदेमंद डील्स, आकर्षक आफर्स और बड़े डिस्काउंट का दावा किया जा रहा है। यह आयोजन सेज ग्रुप के कोलार रोड (kolar road) स्थित सागर ग्रीन हिल्स व सेज ग्रीन सिटी (sage green city) में ही किया जा रहा है।
विधानसभा में कांग्रेस विधायक ने उठाया प्रोजेक्ट में गड़बड़ी का मामला : आपको बता दें कि ग्रीन हिल्स सेज ग्रुप का वही विवादित रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट है जिसमें पेंट हाउस के नाम पर अवैध रूप से 16 अतिरिक्त फ्लैट बनाने और इनके सामने की छत भी बेचे जाने की गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। सागर ग्रीन हिल्स प्रोजेक्ट में की गई गड़बड़ियों का मामला विधानसभा के दिसंबर 2021 में हुए शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक (congress mla)अर्जुन सिंह काकोड़िया (arjun singh kakodia) ने उठाया था। उन्होंने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह (bhupendra singh) से सवाल पूछा था कि सागर ग्रीन हिल्स प्रोजेक्ट के कितने अपार्टमेंट में पेंट हाउस के नाम पर अतिरिक्त फ्लैट बनाकर बेचे गए। क्या इन फ्लैट्स के सामने की छत भी बेची गई। क्या बिल्डर को अपार्टमेंट की छत बेचने का अधिकार है। यदि अधिकार नहीं है तो क्या बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई की गई या की जाएगी।
नगर निगम में रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं : विधायक के इस सवाल के जवाब में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विधानसभा में लिखित जवाब में बताया कि सागर ग्रीन हिल्स प्रोजेक्ट के चार अपार्टमेंट ए,बी,सी एवं डी ब्लॉक में पेंट हाउस के नाम पर 4-4 फ्लैट यानि कुल 16 अतिरिक्त फ्लैट बनाए गए हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि इन 16 अतिरिक्त फ्लैट एवं इनके सामने की छत बेचे जाने की जानकारी नगर निगम में उपलब्ध ही नहीं है। यह बात नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने अपने जवाब में भी स्वीकार की है। इससे सागर ग्रीन हिल्स प्रोजेक्ट में फ्लैट के निर्माण औऱ बेचने में किए गए गोलमाल की शिकायतें और आरोप सही होने को बल मिलता है।
सागर प्रीमियम प्लाजा प्रोजेक्ट में धोखधड़ी के शिकार हो चुके हैं खरीदार : सेज होम फेस्ट के लिए खरीदारों से लुभावने वादे कर रहे ग्रुप के सीएमडी संजीव अग्रवाल (cmd sunjeev agrawal) का कहना है कि हमारा लक्ष्य समाज के लोगों को उनके अपने घर का सपना पूरा करने में सहयोग करना है। लेकिन शहर में सेज ग्रुप के ही एक बड़े और विवादित प्रोजेक्ट सागर प्रीमियम प्लाजा में अपनी मेहनत की कमाई से फ्लैट खरीदने वाले संजीव अग्रवाल के दावों और वादों पर भरोसा नहीं करते। वो इसलिए क्योंकि सेज ग्रुप ने यहां कलियासोत नदी के कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट के दायरे में अतिक्रमण कर फ्लैट बनाकर बेच दिए हैं। सागर प्रीमियम प्लाजा (sagar premium plaza) में फ्लैट खरीदने वाले अब अपने निर्णय पर पछता रहे हैं। सागर प्रीमियम प्जाला सोसाइटी के अध्यक्ष एचएम गुप्ता का आरोप है कि सागर बिल्डर्स ने लोगों के साथ धोखाधड़ी की है।
कलियासोत के ग्रीन बेल्ट में बना सागर प्रीमियम प्लाजा : वर्ष 2020 में ज्यादा बारिश होने पर तो कलियासोत डैम के 13 गेट खुले तो सागर प्रीमियम प्लाजा का एक हिस्सा नदी अपने साथ बहाकर ले गई। तब यहां रहने वाले लोगों को समझ आया कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। उनकी प्रॉपर्टी नदी के दायरे में आने से अब कोई औने-पौने दामों पर भी खरीदने को तैयार नहीं है। इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाले अरुण तिवारी कहते हैं कि यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने रिटायर होने के बाद अपनी जीवन भर की पूंजी खर्च कर या बैंक से लोन लेकर 40 से 45 लाख तक के फ्लैट खरीदे। लेकिन बाद में पता चला कि बिल्डर ने इस प्रोजेक्ट में कई गड़बड़ियां की हैं।
डर-डरकर जीते हैं सागर प्रीमियम प्लाजा के रहवासी : वर्ष 2020 में कलियासोत नदी की बाढ़ में सागर प्रीमियम प्लाजा का एक हिस्सा बहने के बाद अब यहां रहने वाले लोग हर बारिश में डर-डर के जीते हैं। अग्रवाल बिल्डर्स की काली करतूतों के कारण उनके सिर पर कानूनी कार्रवाई की तलवार भी लटकी हुई है। इसकी वजह इस प्रोजेक्ट के कई फ्लैट कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आ रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट इन्हें अतिक्रमण के दायरे में मानकर नगर निगम और जिला प्रशासन को कार्रवाई करने के निर्देश दे चुका है।