INDORE: कॉलेज बंद था तब छात्राओं के लिए खरीदे 5 लाख के सेनेटाइजर-मास्क, लाखों के तार-ट्यूबलाइट खरीदे; करोड़ों का हुआ घोटाला

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The Sootr CG
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INDORE: कॉलेज बंद था तब छात्राओं के लिए खरीदे 5 लाख के सेनेटाइजर-मास्क, लाखों के तार-ट्यूबलाइट खरीदे; करोड़ों का हुआ घोटाला

INDORE. मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के नए-नए मामले लगातार खुल रहे हैं। ताजा मामला न्यू जीडीसी कॉलेज (शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या) इंदौर का है। न्यू जीडीसी कॉलेज प्रशासन ने आठ वेंडर्स को 1.33 करोड़ का भुगतान किया है। ये भुकतान बाथटब, डिनर सेट जैसे सामानों के लिए किया गया है। इस सामान का कॉलेज में क्या काम है, यह कोई बताने की स्थिति में नहीं है। जब कोरोना के दौरान कॉलेज बंद थे, तब छात्राओं के लिए पांच लाख के मास्क और सेनेटाइजर खरीदे गए। इसका भुगतान कॉलेज द्वारा किया गया। हद तो तब कर दी, जब 24 लाख रुपए में 24 ट्यूबलाइटें खरीदी गईं। एक ही सामान की तीन-तीन बार खरीदी दिखाकर बिलों का बार-बार भुगतान किया गया। 



इस तरह किए घोटाले




  • कम्प्यूटर प्रिंटर की कॉर्टेज रिफिल कराने का बिल 15 हजार रूपए बताया गया, जो मात्र 300 रुपए की होती है।


  • बाथटब के लिए नौ हजार का भुगतान हुआ।

  • हर महीने पुताई के लिए 48 हजार का भुगतान करना बताया, जो पुताई कभी कॉलेज में हुई ही नहीं। जबकि यह काम पीडब्ल्यूडी के पास है। 

  • फ्लोरिंग के नाम पर आठ लाख रुपए का भुगतान किया गया, जबकि स्टाफ का कहना है कि यह हुआ ही नहीं। यानी कागज पर काम हुआ। टाइल्स, डेकोरेशन आदि पर अलग से 31 लाख का काम हुआ, जिसका प्रशासन के पास कोई हिसाब नहीं है। 

  • स्टेपलर पिन 80 हजार के खरीदे गए। 

  • बिजली के तार, एल्युमिनियम तार, केबल सहित अन्य सामान 24 लाख रुपए का बताया। लेकिन यह सामान कॉलेज के रिकार्ड में नहीं है। 

  • स्टेशनरी सामान की एक-एक खरीदी के तीन-चार बिल लगाए गए हैं। 



  • इन दुकानों से हुई खरीदी



    पूर्व प्राचार्य द्वारा बनाई गई जांच रिपोर्ट 125 पेज की है। इसमें वेंडर सुहाग इलेक्ट्रिक, एटू जेड कंपनी, ग्राफिक्स आर्ट, कमलेश मिश्रा, राहुल मिश्रा, आल साल्यूशन, प्रियल इंटरप्राइजेस और उपभोक्ता भंडार के बिल लगे हुए हैं। इन्हें भुगतान कॉलेज से हुआ है। इन सभी के 1.33 करोड़ के बिल लगे हुए हैं।



    सेल्फ फायनेंस कोर्स की फीस से किया घोटाला



    कॉलेज में सेल्फ फायनेंस का कोर्स चलता है। इससे मिलने वाली फीस से घोटाला हुआ है। इस तरह के यहां छह कोर्स होते हैं। इसकी सालाना फीस चार से छह हजार रुपए है। जबकि पांच हजार से ज्यादा छात्राएं यहां पढ़ती हैं। इस राशि से कॉलेज प्राचार्य कॉलेज के लिए जरूरी सामान खरीद सकते हैं और यही नियम घोटाले के लिए आधार बन गया। 



    इस तरह पकड़ा गया घोटाला



    मीनाक्षी जोशी जब साल 2021 में यहां प्राचार्य थी, तब साल 2018 से 2020 में हुई यह खरीदी उनके सामने आई। उन्होंने इस घोटाले को पकड़ा और उच्च स्तर पर शिकायत कर दी। इसके बाद घोटाला करने वाले एकजुट हुए और उनका ट्रांसफर करा दिया। बाद में इसी साल जनवरी में उनका निधन हो गया। लेकिन उनकी जांच को लेकर कुछ स्टाफ ने मामला आगे बढ़ाया और अब जांच कमेटी ने यहां आकर जांच की है। तत्कालीन प्राचार्य कुसुमलता निगवाल का कहना है कि खरीदारी सही हुई है वैसे भी सामान खरीदी स्टाफ का काम है।

     


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