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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर शहर में बीजेपी को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले बड़े भैया यानी विष्णु प्रसाद शुक्ला नहीं रहे। वे 86 साल के थे। 25 अगस्त की शाम साढ़े 4 बजे उन्होंने बाणगंगा में अपने घर पर अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। विष्णु शुक्ला की आखिरी यात्रा शुक्रवार को निकलेगी।
बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गजों ने शोक जताया
विष्णु शुक्ला के निधन के समय कांग्रेस विधायक और उनके बेटे संजय शुक्ला भोपाल में थे, इसके बाद वे इंदौर पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित कई बड़े नेताओं ने शोक संवेदना वयक्त की है।
विधायक श्री संजय शुक्ला जी के पूजनीय पिता एवं इन्दौर भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री विष्णुप्रसाद शुक्ला जी के महाप्रयाण का समाचार अत्यंत दुखद है। मैं प्रभु से उनकी आत्मा की शांति तथा शोक संतप्त परिवार को इस अपार दु:ख को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।
।। ॐ शांति ।।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 25, 2022
विधायक संजय शुक्ला के पिताजी श्री विष्णुप्रसाद शुक्ला जी के निधन का दुखद समाचार मिला।
परिवार के प्रति शोक संवेदनाएँ।
ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणो में स्थान व पीछे परिजनो को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। pic.twitter.com/FSDcMR9mQk
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 25, 2022
8 भाइयों में अग्रज होने की वजह से नाम मिला बड़े भैया
बड़े भैया के पिता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। जानापावा की पहाड़ी के पास बसे जामली गांव में साल 1937 में उनका जन्म हुआ। वे आठ भाई और 12 मौसेरे भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के कारण बड़े भैया कहलाए। वे परिवार को एकजुट रखने में सबसे आगे रहते थे। यही वजह है कि बाणगंगा का उनका निवास आज सभी संयुक्त परिवार की पहचान है और 50 सदस्य एकजुट रहते हैं और वही होता था जो बड़े भैया कहते थे। परिवार की एकता को उन्होंने सबसे पहले रखा। बाणगंगा गांव में चले एक कानूनी विवाद के चलते पिता की संपत्ति कोर्ट-कचहरी में चली गई। फिर बड़े भैया को मिल में नौकरी करनी पड़ी। यहीं से उनके संघर्ष का सफर शुरू हुआ।
चुनाव से बढ़कर थे अपने लोग
बीजेपी ने 1980 के दशक में दो बार उन्हें विधानसभा का टिकट भी दिया। हालांकि वे जीत नहीं सके। साल 1990 के चुनाव में उनके समर्थक की हत्या हो गई, समर्थक पर काफी अपराध दर्ज थे। लोगों ने समझाया उनकी अंतिम यात्रा में मत जाइए, आपके चुनाव पर बात आ जाएगी लेकिन उन्होंने कहा कि चुनाव के कारण अपने लोगों को नहीं छोड़ सकता हूं। वे समर्थक की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे।
विष्णु शुक्ला के खिलाफ गलत बोलने पर चुनाव हार गए थे गुप्ता
विष्णु शुक्ला का प्रभुत्व इतना था कि जब 2018 के चुनाव के पहले उन्होंने एक बहस के दौरान संजय शुक्ला को उनके पिता के हिस्ट्रीशीटर होने की बात कह दी। इस बात ने इतना तूल पकड़ा कि गुप्ता को माफी मांगनी पड़ी लेकिन इसके बाद भी वे चुनाव हार गए। शुक्ला परिवार के किसी सदस्य की विधानसभा चुनाव में ये पहली जीत थी, तभी संजय शुक्ला विधायक बने। वहीं महापौर चुनाव के पहले पुष्यमित्र भार्गव ने शुक्ला के घर जाकर उनसे आशीर्वाद लिया था, उन्हें शुक्ला ने आशीर्वाद भी दिया, जबकि सामने उनके पुत्र संजय शुक्ला भी महापौर का चुनाव लड़ रहे थे।