भोपाल में 28 मार्च से राष्ट्रीय पिट्टू प्रतियोगिता, 350 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे

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भोपाल में 28 मार्च से राष्ट्रीय पिट्टू प्रतियोगिता, 350 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे

भोपाल. 7 पत्थर बिखरते ही हम यहां-वहां भागने लगते थे। गेंद से बचते हुए मौका देखकर पत्थरों को फिर से एक के ऊपर एक जमाने की जद्दोजहद होती थी। कुछ ऐसा ही तो था हमारे बचपन का प्रिय खेल पिट्टू, जिसे खेलने के लिए 7 चपटे पत्थर और एक गेंद की जरूरत होती थी। अब हमारा प्रिय खेल पिट्टू फिर से लौट आया है। पिट्टू खेल प्रेमियों के लिए भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में 28 से 30 मार्च तक पिट्टू की सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। ये इस प्रतियोगिता का दूसरा सीजन होगा। पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस अनोखी प्रतियोगिता में मेजबान मध्यप्रदेश सहित देश के 14 राज्यों के करीब 350 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।



पिट्टू भारत का पारंपरिक खेल: हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में पिट्टू खेला जाता है। ये हमारे पारंपरिक खेलों में से एक है। अलग-अलग राज्यों में इस खेल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार और छत्तीसगढ़ में इसे पिट्टू कहा जाता है। वहीं आंध्र प्रदेश में यडू पेंकुलटा, पिट्टू। कर्नाटक में लागोरी, महाराष्ट्र में लिंगोरचा, लागोपी, सात टीलो कहा जाता है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में इसे सितोलिया कहा जाता है। गुजरात में सतोदिया, डिकोरी और लिंगोज, केरल में डब्बा कली और असम में इसे सातगोटी कहा जाता है।




भारत का पारंपरिक खेल पिट्ठू।

भारत का पारंपरिक खेल पिट्ठू।




कैसे खेला जाता है पिट्टू: सात चपटे पत्थर और एक गेंद से पिट्टू खेला जाता है। इसमें पत्थरों को एक के ऊपर एक जमाया जाता है। इस खेल में दो टीमें हिस्सा लेती हैं, पहली टीम का खिलाड़ी गेंद से पत्थरों को गिराता है और उसके साथी पिट्टू गरम बोलकर पत्थरों को वापस जमाते हैं। वहीं दूसरी टीम के खिलाड़ी पहली टीम के खिलाड़ियों को गेंद से मारते हैं, अगर पत्थर जमने से पहले किसी खिलाड़ी को गेंद लग गई तो पहली टीम आउट हो जाती है और दूसरी टीम की बारी आ जाती है।



कैलाश विजयवर्गीय ने कहा: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पिट्टू फेडरेशन के अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि ये खेल शहरों में नहीं खेला जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध है। असम में ये गेम आज भी खेला जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में ग्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले खेलों को प्रोत्साहित किए जाने की बात कही थी। खेलो इंडिया में इस खेल को मान्यता दी गई है। पार्टी में भी हम कप्तान के इशारे पर काम करते हैं। मुझे संगठन का काम दिया गया है तो मैं संगठन का काम कर रहा हूं। मैं स्वयं अपने बारे में कभी निर्णय नहीं लेता हूं।



पिट्टू फेडरेशन ने बनाए प्रतियोगिता के नियम: सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेल के लिए पिट्टू फेडरेशन की समिति ने नियम बनाए हैं। इसमें दोनों टीमों में 14-14 खिलाड़ी होंगे। 10-10 मिनट के दो सेट खेले जाएंगे। पिट्टू को जमाकर हर टीम अंक अर्जित करेगी। निर्धारित समय में ज्यादा अंक अर्जित करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाएगा।



पीएम ने कही थी पिट्टू को बचाने की बात: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में पारंपरिक खेल पिट्टू को बचाने की बात कही थी। जिसके बाद बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया गया था। इस फेडरेशन का उद्देश्य पिट्टू को वापस लोकप्रिय बनाना है। फेडरेशन ग्रामीण से राष्ट्रीय स्तर तक प्रतियोगिताएं आयोजित करता है।


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