Rewa. यदि कोई कहे कि जनजाति वर्ग के छात्रों की उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए स्थापित इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के अलावा नशाखोरी, धर्म परिवर्तन और भ्रष्टाचार होता है तो सहसा कोई यकीन नहीं करेगा लेकिन जब इसी आरोप के साथ यूनिवर्सिटी के कार्य परिषद के सदस्य और राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुका कोई जनप्रतिनिधि पुलिस अधीक्षक को ऐसी शिकायत दर्ज कराए तो बात गंभीर हो जाती है। आदिवासी वर्ग के बड़े नेता नरेन्द्र सिंह मरावी ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर इससे भी ज्यादा संगीन आरोप लगाए हैं।
यूनिवर्सिटी के बारे में जानें
पहले जान लें यूनिवर्सिटी के बारे में। यूपीए सरकार में जब मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह थे तो उन्होंने 2007 में पहल करके विन्ध्य के निरा आदिवासी क्षेत्र अमरकंटक में इंदिरा गांधी के नाम से देश की पहली और एक मात्र ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। 2012 में अमरकंटक की तलहटी में बसे पोड़की गांव में कोई 700 करोड़ लागत से विश्वविद्यालय का शानदार परिसर बनकर तैयार हुआ, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसका भव्य लोकार्पण किया। पाठ्यक्रम विशद और विशिष्ट है। ग्रेजुएशन से लेकर पीएचडी, डीलिट और रिसर्च के दो दर्जन से भी अधिक पाठ्यक्रम हैं। भव्य प्रवेश द्वार पर लगी भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर यूनिवर्सिटी के अपेक्षित चरित्र के बारे में बताती है। पर क्या वास्तव में ऐसा है.. नरेन्द्र मरावी की शिकायतों पर जाएं तो कतई नहीं..।
इंजीनियर नरेन्द्र मरावी ने अनूपपुर SP से की शिकायत
इंजीनियर नरेन्द्र मरावी जोकि भाजपा की टिकट पर शहडोल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, यहां के जिला पंचायत अध्यक्ष भी निर्वाचित हो चुके हैं, वर्तमान में शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह के पति हैं। मरावी ने 9 मई को अनूपपुर एसपी को विश्वविद्यालय में चल रहीं संगीन गतिविधियों का चार पेज का कच्चा चिट्ठा सौंपा। अपने आरोप के समर्थन में सांख्यिकी विभाग के स्नातकोत्तर छात्र बलराम बैगा का शिकायती पत्र भी नत्थी किया है।
विश्वविद्यालय में धर्मांतरण का संगीन आरोप
सबसे संगीन आरोप ये है कि विश्वविद्यालय के भीतर धर्मांतरण की गतिविधियां चलती हैं। केरल का एक एनजीओ सक्रिय है। समीप के ही गौरेला पेन्ड्रा की कैथलिक चर्च का छात्रों के बीच में अच्छा खासा दखल है। बलराम बैगा का खुद कहना है कि अच्छे अंकों से पास होने के लिए स्वयं उस पर धर्मांतरण का दबाव बनाया गया जबकि वह बजरंगबली का भगवा समर्थक है।
एडमिशन के पीछे गंभीर आरोप
दूसरा गंभीर आरोप यह कि केरल के किसी खास जगह के थोक के थोक छात्रों को दाखिला दिया गया। इनमें से तीन चौथाई या तो ईसाई हैं या फिर मुस्लिम। यही नहीं पाकिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्र के मुस्लिम युवाओं को भी प्रवेश दिया गया। विश्वविद्यालय में यद्यपि अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा होती है लेकिन ऐसा कुछ तो है कि एक ही जिले से बड़ी संख्या में छात्र प्रवेश पाने में सफल हो जाते हैं इसके पीछे भी गंभीर साजिश है। नरेन्द्र मरावी के आरोप में यह भी है कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों को नमाज पढ़ने की तो इजाजत है पर बजरंगबली की शोभायात्रा निकालने की नहीं। बलराम बैगा को इसलिए तंग किया जा रहा है क्योंकि वो परिसर में हनुमानजी की पूजा करता है।
नशाखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप
छात्र बलराम बैगा के हवाले से नरेन्द्र मरावी का एक आरोप यह भी है कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल नशाखोरी के अड्डे बने हैं यहां सीमा पार से नशे की खेप आती है। एक बड़ा गंभीर मुद्दा विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य और खरीद में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार का भी है।
गतिविधियों का जिम्मेदार कौन ?
यूनिवर्सिटी के कार्य परिषद के सदस्य मरावी ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव पी.सेलुवेनाथन व अधिष्ठाता तथा सेन्ट्रल परचेज कमेटी के चेयरमैन भूमिनाथ त्रिपाठी को इन गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। अलबत्ता आरोप और शिकायत में कुलपति डॉ. प्रभाकर मणि त्रिपाठी का कहीं कोई जिक्र नहीं है। नरेन्द्र मरावी ने ये भी उल्लेख नहीं किया कि उन्होंने ये मुद्दे कार्य परिषद की बैठक में उठाए भी थे या नहीं।
गंभीर शिकायतों की अनदेखी नहीं की जा सकती
ये सही है कि अमरकंटक यूनिवर्सिटी स्थापना के साथ ही गंभीर भ्रष्टाचार और अध्यापकों की भर्ती में मनमानी को लेकर चर्चित रही। 2012 में तत्कालीन सांसद राजेश नंदनी सिंह ने आदिवासियों के एक डेलीगेशन के साथ राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार की शिकायतें की थी। तब यहां के कुलपति प्रो. सीडी सिंह थे। परिणाम ये हुआ कि सीबीआई ने बड़े पैमाने पर छापे मारे थे। सीबीआई की जांच अभी लंबित है। इसलिए यूनिवर्सिटी से जुड़ी इन गंभीर शिकायतों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
सारे आरोप निराधार-कुलपति श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
अमरकंटक यूनिवर्सिटी पर लगे संगीन आरोपों को लेकर कुलपति श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी का कहना है कि सारे आरोप निराधार हैं। नशाखोरी, धर्म परिवर्तन और भ्रष्टाचार जैसा कोई भी कृत्य अमरकंटक यूनिवर्सिटी में नहीं हो रहा है।