राहुल तिवारी, Shahdol. यहां की रीवा रोड पर रोहनिया टोल प्लाजा के पास एक तेंदुआ मृत अवस्था में मिला। तेंदुए की लाश मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई। सूचना के बाद हरकत में आए वन अमले और प्रशासन ने जांच कर बताया कि तेंदुए को 30 मई की देर रात करीब 3 से 4 बजे भारी वाहन ने जोरदार टक्कर मारी। ठोकर से हुई हेड इंजरी को तेंदुए की मौत का कारण बताया जा रहा है। मृत तेंदुए का दो डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम कर बॉडी को डिस्पोज करने के लिए भेज दिया है। वहीं, अज्ञात वाहन के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
कहां से आ रहे हैं तेंदुए
बांधवगढ़ नेशनल पार्क की सरहद से सटे हुए वन क्षेत्र में वन्य प्राणियों का आना जाना लगा रहता है। वन्य प्राणियों में बाघ और तेंदुए जैसे जानवरों की बढ़ती संख्या ने उनके रहने, खाने और पीने के पानी की समस्या पैदा कर दी है। वे जंगल से बाहर आ रहे हैं और हाईवे पर भारी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं, इस कारण बाघ और तेंदुए की मौत की खबरें सामने आती हैं।
जंगल से बस्ती में क्यों आ रहे हैं तेंदुए ?
विशेषज्ञों के अनुसार, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में बाघों के लिए ग्रीनलैंड बनाया गया है। यहां पर हिरण और चीतल जैसे वन्य प्राणी विचरण करते हैं तो वहीं बाघ अपनी प्राकृतिक अवस्था में इनका शिकार करते हैं। बांधवगढ़ क्षेत्र के बाहर कोई भी ग्रीनलैंड नहीं है। जिसके कारण तेंदुए का भोजन हिरण चीतल भी नहीं है। कुछ मात्रा में जंगली सुअर जरूर जंगलों में पाए जाते हैं, जो तेंदुए के शिकार बनते हैं। लेकिन इनकी उपलब्धता भी काफी कम होने के कारण तेंदुए आबादी वाले क्षेत्र में गाय, भैंस, बकरी को अपना शिकार बनाते हैं।
आबादी वाले इलाकों के लिए खतरा
शहडोल वन परिक्षेत्र बीते महीनों में ही तेंदुए ने करीब 15 से 20 मवेशियों का शिकार किया है। इनके फुटप्रिंट से पिपरिया, रोहनिया, श्यामडीह और सोन नदी पार करके गोहपारू क्षेत्र में इनकी उपस्थिति दर्ज होती रहती है। आबादी वाले क्षेत्रों में भी इनकी उपस्थिति जहां एक तरफ इंसानों के लिए बड़ा खतरा है, दूसरी तरफ तेंदुए के लिए भी बड़ा खतरा है। जहां उसके शिकार से लेकर किसी भी प्रकार की दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है।