बैतूल. आप अगर कुछ ठान लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। आगरा से एक गर्भवती (Pragnent) फरवरी में बैतूल में परीक्षा देने आई थी। यहां उसने जिला अस्पताल बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म के बाद भी युवती ने एग्जाम देना जारी रखा। युवती ने बच्ची का नाम बैतूल कुमारी ही रखा। बिटिया बैतूल अब 9 महीने की हो गई है। 20 अक्टूबर को लाडो फाउंडेशन की ओर से बच्ची की मां कुसमा का सम्मान किया गया। फाउंडेशन देश में बेटियों को बढ़ावा देने और पहचान दिलाने के लिए उनके नाम की नेमप्लेट देता है।
नर्सिंग की परीक्षा देने आई थी कुसमा
आगरा के लखनपुर की रहने वाली कुसमा ने मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल के तहत नर्सिंग परीक्षा (Nursing Exam) का फॉर्म भरा था। एग्जाम सेंटर बैतूल के राजा भोज कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पड़ा। फॉर्म भरने के दौरान कुसमा गर्भवती थी। डिलीवरी (Delievery) के लिए डॉक्टरों ने 4 मार्च की डेट दी थी। कुसमा अपनी बहन कविता के साथ परीक्षा देने बैतूल आ गई। वह 16 फरवरी को कुसमा बैतूल पहुंची। 17 को पहला पेपर दिया। 18 फरवरी को लेबर पेन शुरू हो गया। उसे जिला अस्पताल में एडमिट कराया, जहां कुसमा बेटी को जन्म दिया।
डिलीवरी के दूसरे दिन पहुंची पेपर देने
प्री मैच्योर डिलीवरी के कारण बालिका का वजन कम था। उसे जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। कुसमा के पेपर बाकी थे। बेटी को जन्म देने के बाद भी कुसमा ने हार नहीं मानी। उसने बेटी को अस्पताल में भर्ती किया और 19 को दूसरा पेपर देने पहुंच गई। यहां तक कि 20 फरवरी को भी तीसरा पेपर दिया। 24 को प्रैक्टिकल में भी शामिल हुई। इसके बाद उसने बेटी का नाम ही बैतूल रख लिया। कुसमा बताती हैं कि बेटी का नाम इसलिए बैतूल रखा है कि जब वह बड़ी हो जाए तो वह उसे बता सके कि किन हालात में वह पैदा हुई।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन (Civil Sergeon) डॉ. अशोक वारंगा ने बताया कि जितने समय कुसमा परीक्षा देने गई, उसकी बेटी हॉस्पिटल में हम लोगों की देखरेख में रही। यही वजह थी कि कुसमा को बैतूल भा गया। उसने बच्ची का नाम बैतूल रख दिया। ये हमारे लिए लिए गर्व की बात है।