Shivpuri: मृत और जिंदा प्रत्याशी की शंका में उलझा सरपंच पद का चुनाव, जानें डिटेल

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Manoj Bhargava
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Shivpuri: मृत और जिंदा प्रत्याशी की शंका में उलझा सरपंच पद का चुनाव, जानें डिटेल

Shivpuri. मप्र में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) होने जा रहे है। इस बीच शिवपुरी (Shivpuri) जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Three Tier Panchayat Election) की विसात बिछने लगी है। प्रत्याशी चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग कर रहे हैं। इन्हीं कलाबाजियों के चलते चुनावी रण में अपने प्रतिद्वंदी को मरा घोषित करने की एक शिकायत रिटर्निंग ऑफिसर को दी  गई। शिकायतकर्ता का कहना है कि उसकी प्रतिद्वंदी जिस महिला से हो रही है, उसकी मौत तो 10 साल पहले हो चुकी है। इसके बाद मृत घोषित बताई जाने वाली सरपंच की प्रत्याशी महिला ने रिटर्निंग (Returning) अधिकारी के पास पहुंच कर अपने जिंदा होने के सबूत पेश किए। मामला शिवपुरी जिले के खनियाधाना (Khaniyadhana) तहसील के ग्राम पिपरोदा उबारी का है। यह पंचायत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 



यह है पूरा मामला



सरपंच पद के लिए उत्तम आदिवासी की पत्नी दाखा आदिवासी ने नामांकन दाखिल किया। लेकिन दाखा आदिवासी की प्रतिद्वंदी कपूरी आदिवासी ने दावा किया है कि दाखा की मृत्यु 10 साल पहले ही हो चुकी है और इसकी एक शिकायत शपथ पत्र के जरिए संपत पत्नी पूरम आदिवासी के द्वारा रिटर्निंग अधिकारी से की है। रिटर्निंग अधिकारी से की गई शिकायत में दाखा को ग्राम पिपरोदा उबारी की निवासी बताते हुए कहा गया कि चुनाव लड़ रही दाखा खनियाधाना के मसूरी गांव की रहने वाली है। साथ ही वह राकेश आदिवासी की पत्नी है। दाखा आदिवासी को जब इस बात की सूचना लगी कि उसे 10 साल पहले ही मृत बताए जाने की साजिश रची जा रही है तो रिटर्निंग अधिकारी के सामने पेश हुई। दाखा ने अपने जीवित होने के दस्तावेज रिटर्निंग ऑफिसर को दिखाए और कहा कि मैं जिंदा हूं। दाखा आदिवासी ने बताया कि उसके पति उत्तम की मृत्यु 8 वर्ष पहले हो चुकी है, जिसके बाद उसने खनियाधाना के ग्राम मसूरी के रहने वाले राकेश आदिवासी से दूसरी शादी कर ली थी। 



दाखा के प्रस्तावक को मारा फर्सा



सरपंच पद की उम्मीदवार दाखा आदिवासी ने अधिकारियों को जानकारी देते हुए कहा कि उसके प्रस्तावक बने अरुण प्रताप सिंह पर उसके प्रतिद्वंदियों ने फरसे से हमला किया है। जिसका इलाज जिला अस्पताल में जारी है। इस हमले की शिकायत उसने मायापुर थाने में की है। इस पूरे मामले पर सीडीपीओ अमित यादव का कहना है कि दाखा आदिवासी के पर्चे पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। लेकिन जांच में आरोप झूठे निकले।  




 


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