मामा की आंगनवाड़ी में सुविधाओं का टोटा, 1200 करोड़ के बाद भी आंगनवाड़ियां बेहाल

author-image
Ruchi Verma
एडिट
New Update
मामा की आंगनवाड़ी में सुविधाओं का टोटा, 1200 करोड़ के बाद भी आंगनवाड़ियां बेहाल

भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों काफी एक्टिव हैं। औचक निरीक्षण और अलसुबह अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर लगा हुआ है। इन प्रशासनिक और राजनैतिक काम के साथ-साथ ही अब प्रदेश सरकार की एक योजना के लिए सीएम शिवराजसिंह चौहान मंगलवार को भोपाल के अशोका गार्डन क्षेत्र से सड़क पर हाथ ठेला लेकर निकलने वाले हैं। इस कार्यक्रम का मकसद राज्य में चल रहे 'एडाप्ट एन आंगनवाड़ी' अभियान में जनसहभागिता को गति देना है। कार्यक्रम के दौरान अशोका गार्डन क्षेत्र में विवेकानंद चौराहे से मनसा देवी मंदिर तक लगभग एक किलोमीटर क्षेत्र में पैदल चलते हुए मुख्यमंत्री लोगों से आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए खिलौने, स्टेशनरी सामग्री तथा अन्य जरुरी सामग्री देने का आव्हान करेंगे। यहाँ पते की बात यह है की प्रदेश के मुखिया को जनता से उम्मीद है कि वो आंगनबाड़ियों को गोद लेकर, उनकी जरूरतें पूरी करके आंगनबाड़ियों की व्यवस्था सुधारने में सहयोग करें। परन्तु खुद उनके द्वारा गोद ली गई वार्ड 32 में सुनहरी बाग़ स्थित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 741 में मूलभूत सुविधाएं अप टू द मार्क नहीं है....देखकर लगेगा ही नहीं कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा गोद ली हुई आंगबाड़ी के ये हाल हो सकते हैं। कम से कम द सूत्र को अपनी पड़ताल में तो यही नज़र आया। बड़ी बात ये है कि आंगनबाड़ी केंद्र की ये हालत मुख्यमंत्री के हाल ही में 19 मई को किये गए दौरे के बाद है। यहां सवाल है कि आंगनबाड़ियों की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए हर साल जो 1200 करोड़ का बजट आता है...वो जाता कहां है? क्योंकि जितना पैसा आ रहा है उस हिसाब से तो आंगनबाड़ियों में व्यवस्थाएं नजर आई नहीं। पढ़िए द सूत्र की ग्राउंड रिपोर्ट...



18 मई तक आंगबाड़ी केंद्र में नहीं थी बिजली



भोपाल के सुनहरी बाग की आंगनबाड़ी को आप वीआईपी आंगनबाड़ी भी कह सकते हैं...क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे गोद लिया है। आज से दो महीने पहले जब द सूत्र की टीम जब इसी आंगनबाड़ी में गई थी तो  यहाँ पर शिकायत थी कि लाइट ना होने से टीकाकरण के बाद बच्चे बेहोश तक हो जाते थे। इस बार जब हम गए तो पाया की केंद्र में बिजली है। पूछने पर केंद्र संचालिका सारिका अग्रवाल ने बताया कि आंगनबाड़ी में 18 मई तक बिजली नहीं थी...19 मई को यहां बिजली कनेक्शन भी हो गया, कूलर भी लग गया और पंखे भी क्योंकि 19 मई को खुद मुख्यमंत्री इसे देखने के लिए पहुंचे थे। पर बस इतना ही। बाकी समस्याए आज भी जस की तस हैं।



बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबों की कमी



यहाँ कि संचालिका सारिका कि शिकायत है कि बच्चों को पढ़ने के लिए किताबों कि कमी है। साथ ही यहाँ पर ब्लैकबोर्ड भी नहीं है। बच्चों कसे जब बात कि गई तो उनकी भी मांग थी कि वो अच्छे स्कूल में, अच्छे कॉलेज में पढ़ना चाहते हैं...और इसके लिए उन्हें किताबें चाहिए।



प्रदेश में 35 फीसदी बच्चे अविकसित और CM की आंगनबाड़ी में मिल रहा पोषण रहित खाना



कम जिस दिन यहाँ आये बच्चों को उन्होंने मिठाईया बाटीं...पर यहाँ की संचालिका, बच्चों एवं माताओं की शिकायत है कि अभी जो खाना मिलता है वो पोषण मानकों से बेहद दूर है। दाल ऐसी मिलती है जिसमे दाल कम होती है पानी ज्यादा। दूध मिलता ही नहीं है और ना ही किसी तरह का फल-फ्रूट। इसलिए खाने कि क्वालिटी बढ़नी चाहिए। संचालिका ने बताया कि किशोरी बालिकाओं को मिलने वाला टेक होम सूखा राशन भी अभी नहीं दिया जाता। ज्ञात हो कि 2016 से 2018 के बीच एमपी में करीब 57 हजार बच्चों की कुपोषण से मौत हुई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 2019 से 2021 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब 35 फीसदी बच्चे अविकसित है और हर पांच बच्चे में से एक यानी 19 फीसदी निर्बल है। आंकड़ों के मुताबिक मप्र में एनीमिक बच्चों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है और ये आंकड़ा 72.7 फीसदी हो गया है। अब अगर खुद मुख्यमंत्री कि आंगनबाड़ी में मिलने वाला खाना ऐसा हो तो अन्य आंगनबाड़ियों से क्या ही उम्मीद करि जाए कि वो प्रदेश में कुपोषण कम करने में मदद करें।



आंगनबाड़ी में जगह की कमी



राजधानी भोपाल के वार्ड 32 में आने वाली आंगनबाड़ी नंबर 741 सिर्फ दो छोटे-छोटे कमरों में चलती है। यह तब है जब यहाँ 125-135 बच्चे दर्ज हैं और इनमें से 25-30 बच्चे यहाँ नियमित आतें हैं। इस आंगनबाड़ी में 16 हजार आबादी के लिए टीकाकरण केंद्र होता है। लेकिन यहां जो टीकाकरण की इंचार्ज है वो इस बात से परेशान है कि बच्चों को टीका लगाने जो महिलाएं आती है उन्हें बैठने की सुविधा नहीं है। वहीं गर्मी की वजह से टीके खराब होने का डर है सो अलग। यह समस्या भी जस की तस है। आज भी संचालिका की यही शिकायत है की यहाँ कमरा और बनना चाहिए और साथ में बाउंड्री वाल भी बननी चाहिए।



फण्ड की कमी से रुकी हुई है योजनाएं



आंगबाड़ी संचालिका ने बताया की पैसों की कमी से मंगल दिवस जैसी कई योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है एवं वें सुचारु रूप से नहीं चल पा रहीं। मंगल दिवस कार्यक्रम की मदद से इन आंगवाड़ी क्षेत्र में पोषण मिशन, लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसी अन्य योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है।



ऋषि नगर की किराये के भवन में चल रही आंगनबाड़ी में पंखा नहीं, टीन की चद्दर की तपती छत



वहीँ द सूत्र की टीम जब चार इमली जैसे पॉश इलाके के पास ऋषि नगर स्थित आंगनवाड़ी सेंटर पर गई तो पाया कि वह एक छोटे से किराए के कमरे में चल रही है। आँगनबड़ी केंद्र में 100 से ऊपर बच्चे रजिस्टर्ड हैं और 25-30 बच्चें नियमित आतें हैं। 12*9 फ़ीट के इस कमरे की छत चद्दर की है जो गर्मियों में भयंकर तपती है। बिजली है पर पंखा नहीं है। पूछने पर बताया की काफी समय से ख़राब था...सुधरने के लिए दिया हुआ है। आंगनबाड़ी से जुड़ा शौचालय नहीं है। अलग से सामने जाना पड़ता है। संचालिका छाया जो की 30-35 सालों से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता रहीं है, ने कमरे के सामने तो कोई शिकायत नहीं की परन्तु पीछे ये बात स्वीकारी कि सुविधाओं की कमी है। सरकार को खुद का अपना भवन देना चाहिए। यह जगह काफी छोटी पड़ जाती है। इस आंगनबाड़ी को भी एक NGO ने गोद लिया हुआ है।



मप्र में 30 हजार आंगनबाड़ियों में शौचालय नहीं, 10 हजार में पीने का पानी नहीं



ऊपरी हालत सिर्फ इन दो आँगनबड़ी कि नहीं...ज्ञात हो कि भोपाल जिले में कुल 1872 आंगनबाड़ियां है और ज्यादातर आंगनबाड़ियों की हालत कमोवेश ऐसी ही है। मप्र में 97 हजार 135 आंगनबाड़ियां हैं। महिला बाल विकास विभाग की तरफ से 6 अगस्त 2021 को जारी किए आंकड़े के मुताबिक 86 हजार 435 आंगनबाड़ियों में ही पीने का पानी है। यानी करीब 10 हजार आंगनबाड़ियों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। 68 हजार 235 आंगनबाड़ियों में ही केवल शौचालय की व्यवस्था है। यानी 30 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ियों में शौचालय नहीं है। वहीं, 97 हजार 135 आंगनबाड़ियों में से 25 हजार 280 आंगनबाड़ियां किराए के भवन में चलती है और 10 हजार 883 आंगनबाड़ियां कच्चे भवन में संचालित होती हैं। इन आंकड़ों से साफ समझा जा सकता है कि किस कदर आंगनबाड़ियों की हालत खस्ता है।



करोड़ो का बजट का कहाँ हो रहा इस्तेमाल



बता दें कि आंगनबाड़ियों के रख रखाव और सुविधाओं के लिए हर साल करीब 1200 करोड़ रु. का बजट आता है। बावजूद इसके हालात बद से बदतर है। आंगनबाड़ी सेवा स्कीम के तहत मप्र को 26.11.2021 तक पिछले चार सालों में जो बजट मिला है वह इस प्रकार है:




  • साल 2018-19 में करीब 1165 करोड़ रु. दिया गया था।


  • साल 2019-20 में करीब 1214 करोड़ रु. का बजट मिला था।

  • साल 2020-21 में करीब 1220 करोड़ रु. का बजट मिला था।

  • साल 2021-22 में 26 नवंबर तक बजट मिला करीब 694 करोड़ रुपए।

  • वहीं आंगनबाड़ियों के रखरखाव और मेंटेनेंस के लिए केंद्र सरकार हर पांच साल में एक बार अच्छी खासी रकम भी देती है। इसमें आंगनबाड़ी बिल्डिंग सुधार के लिए 2 लाख रु, मेंटेनेंस के लिए 3 हजार रु. प्रति आंगनबाड़ी, फर्नीचर और बाकी सुविधाओं के लिए 10 हजार रु. प्रति आंगनबाड़ी, और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को 7 हजार रु. पांच साल में एक बार मिलता है। इसके अलावा टॉयलेट बनाने और पीने के पानी की व्यवस्था करने के लिए अलग से पैसा दिया जाता है। महिला एवं बाल विकास विभाग की जॉइंट डायरेक्टर तृप्ति त्रिपाठी की दी गई जानकारी के अनुसार कुपोषण-निवारण के लिए पर प्रति लाभार्थी हर दिवस 8 रुपए खर्च किये जाते हैं। वहीं प्री-प्राइमरी एक्टिविटीज (चौक, पेंसिल, खिलौने इत्यादि) पर  प्रति आंगनवाड़ी हर महीने 3 हज़ार रुपए खर्च होते हैं।



  • जाहिर है कि जो पैसा आ रहा है वो इन आंगनबाड़ियों की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए पर्याप्त है मगर पैसे का सही इस्तेमाल हो नहीं रहा। पैसा आंगनबाड़ियों पर खर्च होने के बजाए कहीं और खर्च किया जा रहा या फिर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। कायदे से आंगनबाड़ियों की मूलभूत सुविधाएं ठीक करने पर जोर दिया जाता और उसके बाद उनके मेंटेनेंस के लिए लोगों से सहयोग लिया जाता तो बात समझ आती। ऐसे में द सूत्र की पड़ताल में ये साबित हुआ कि मुख्यमंत्री का आंगनबाड़ियों के लिए ठेला लेकर खिलौना लेकर निकलना केवल सस्ती लोकप्रियता ही है।


    Shivraj Singh Chauhan शिवराज सिंह चौहान Nirmala Sitharaman who Ministry of Women Development and Child Welfare India डब्ल्यूएचओ Anganwadi आंगनवाड़ी wcd mp Integrated Child Development Services MamaKiAaganwadi Ramrao Bhonsle एकीकृत बाल विकास सेवाएं महिला विकास और बाल कल्याण मंत्रालय भारत डब्ल्यूसीडी मध्य प्रदेश मामा की आंगनवाड़ी