INDORE, आईएएस बन रही है ये लड़की, जरा पढ़ाई और प्रतिभा का रेकॉर्ड तो देखो

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Lalit Upmanyu
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INDORE,  आईएएस बन रही है ये लड़की, जरा पढ़ाई और प्रतिभा का  रेकॉर्ड तो देखो

Indore. दसवीं क्लास में कोई लड़की अगर कहे कि देखना एक दिन कलेक्टर बनूंगी तो आप क्या कहेंगे। शायद यही कि लड़क्कपन है। इस उम्र में हर बच्चा यही बोलता है। उसे कलेक्टरी तक के कठिन का सफर का अंदाजा ही नहीं होता है। लेकिन इस लड़की के लिए वो कठिन सफर बहुत ही आसान था, क्योंकि बचपन से तय कर रखा था...हर परीक्षा में टॉप ही करना है, दूसरे नंबर पर आना मना है। ऐसा हुआ भी। जब ऐसा हो गया तो वह भी हो गया जो इस लड़की ने दसवीं क्लास में बोला था...जी, आईएएस (IAS) बन गई है वो। वह भी पहले प्रयास में ही।



ये हैं श्रद्धा गोमे (Shrdha Gome) । पढ़ाई और प्रतिभा का रेकॉर्ड देखें तो लगता है ये केवल जीतने, पढ़ने और लक्ष्य हासिल करने के लिए ही बनीं हैं। स्कूली शिक्षा हो या कॉलेज की। कोई इम्तिहान हो या नौकरी। हर जगह टॉप पर। अभी-अभी यूपीएससी की परीक्षा देकर पहले ही प्रयास में सफल हुई हैं। जल्दी ही आईएएस की कुर्सी पर नजर आएंगी। 





स्कूल में सोच लिया था...यूपीएससी पास करना है





छोटी उम्र में बड़ा लक्ष्य कई लोग तय करते हैं लेकिन सफर में आगे बढ़ते हुए या तो लक्ष्य से पिछड़ जाते हैं या भटक जाते हैं लेकिन यहां कहानी दूसरी है। यहां तो अर्जुन की तरह लक्ष्य पर तब तक नजर रखी जब तक कि उसे पा नहीं लिया। पढ़ना है और एक्जाम पास करना है जैसे मुहावरे से इतर श्रद्धा ने सोच लिया था कि बुनियाद मजबूत होगी तो हर परीक्षा आसान रहेगी। इसी योजना के तहत स्कूली जीवन में ही तय कर लिया था कि टॉपर ही रहना है। दूसरे नंबर पर आना मना है। अपनी इस योजना को उन्होंने निभाया भी खूब। पूरे कैरियर में टॉपर ही रहीं।





डेढ़ साल की पढ़ाई में यूपीएससी पास





सुना है, बड़ी और कड़ी परीक्षा देने वाले दुनिया से कट जाते हैं। पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई। यहां ऐसा नहीं है। वजह वही थी...मजबूत बुनियाद। शुरू से पढ़ाई में इतनी तेज थी कि हर परीक्षा एक सी लगी। जब यूपीएससी दे रहीं थीं तब भी फिल्में देखीं, पसंद की किताबें पढ़ीं, बेडमिंटन खेला और परिवार के साथ भी वक्त बिताया। हां, जब पढ़ने बैठतीं तो फिर पढ़ाई ही होती। न टीवी, न मोबाइल न कोई और चीज। फिर वो पढ़ाई आठ घंटे की हो या दस घंटे की। वो समय पूरा परीक्षा के नाम रहता। यही वजह है कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी महज डेढ़ साल में की और पहले ही प्रयास में पास हो गईं। इसके लिए न कोई कोचिंग न किसी प्रशिक्षक की जरूरत पड़ी। खुद ही घर में रहकर और ऑनलाइन पढ़कर लक्ष्य हासिल किया 





जरा इनकी प्रतिभा पर नजर तो डालें





-दसवीं की परीक्षा में सीबीएससी में इंदौर (Indore)  सीटी में टॉपर



-बारहवीं की परीक्षा में अजमेर (Ajmer) जोन के पांच राज्यों में टॉपर



-क्लैट परीक्षा में पूरे देश में रिजर्व वर्ग में टॉपर



-देश के नंबर वन लॉ कॉलेज (बंगलुरू) में पांच साल बीए, एलएलबी की पढ़ाई में 13 गोल्ड मैडल जीते।



-अंतरराष्ट्रीय डिबेट कंपीटिशन में प्रथम स्थान प्राप्त किया। भारत सरकार ने यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित पांच देशों के लिए चयन किया।



-एचयूएल में बड़े वेतन पर भारत और लंदन में सेवा देने के बाद स्वदेश लौंटी और अपने पुराने लक्ष्य (यूपीएससी) को पूरा किया।



 



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